भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश

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2016-17 में 16.37 करोड़ टन दूध का उत्पादन

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। इस उपलब्धि का श्रेय दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई अनेक योजनाओं को जाता है। जहां 1960 के दशक में करीब 17-22 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था, वह बढ़कर वर्ष 2016-17 में 16.37 करोड़ टन हो गया। विशेषकर 2013-14 की तुलना में 2016-17 की अवधि में 19% की वृद्धि हुई है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह बात 28 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित डेयरी विकास पर परामर्श हेतु गठित समिति की बैठक में कही। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि आज भारत विश्व में उस पटल पर पहुंच गया है, जहां दुग्ध व्यवसाय में वैश्विक स्तर पर उद्यमियों के लिए अनेक संभावनाएं उभर कर सामने आ रही है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 में 307 ग्राम से बढकर वर्ष 2016-17 में 351 ग्राम हो गई है, जो 14.3% की वृद्धि है। इसी प्रकार 2011-14 की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77 % प्रतिशत की वृद्धि हुई। गत 3 वर्षों में प्रति वर्ष 5.53% की दर से दूध उत्पादन बढ़कर विश्व में दुग्ध उत्पादन की वार्षिक दर से आगे निकल गया है, जहां दुग्ध विकास की दर 2.09% रही है।

श्री सिंह ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर विशेषकर भूमिहीन एवं सीमांत किसानों के लिए डेयरी व्यवसाय उनके जीवन-यापन एवं खाद्य सुरक्षा प्रदान करने का जरिया बन गया है। करीब 7 करोड़ ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, जिनके पास कुल गायों की 80% आबादी है।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं की रुचि धीरे-धीरे अधिक प्रोटीन वाले उत्पादों की ओर बढ रही है एवं वेल्यु एडेड (मूल्य वृद्धि) उत्पादों का चलन भी बढ़ने के कारण दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है। गत 15 वर्षों में दुग्ध सहकारी संस्थाओं ने अपने कुल उपार्जित दूध के 20% हिस्से को वेल्यु एडेड (मूल्य वृद्धि) दुग्ध पदार्थों मे परिवर्तित किया है, जिससे तरल दूध की अपेक्षा 20% अधिक आय प्राप्त होती है। श्री सिंह ने बताया कि ऐसी अपेक्षा है कि वर्ष 2021-22 तक 30% दूध को मूल्य वृद्धि पदार्थों मे परिवर्तित किया जाएगा।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ (वर्ष 2022) तक किसानों की आय को दोगुना करने हेतु किए गए संकल्प के आधार पर डेयरी किसानों की आय को भी दोगुना करने हेतु विभाग द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। इस दिशा में डेयरी किसानों की आय बढ़ाने के दो आधार रखे गए है: एक– हमारे दुधारु पशुओं की उत्पादकता बढाकर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी कर आय में वृद्धि कराना एवं दूसरा डेयरी किसानों को दी जाने वाली प्रति किलो दूध की मूल कीमत में वृद्धि करवाना।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए इस समय आवश्यकता इस बात की है कि हमारी कार्यप्रणाली को धीरे-धीरे आधुनिक तकनीक वाले वातावरण में बदला जाए।

श्री सिंह ने कहा कि डेयरी विकास हेतु 3 महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं- राष्ट्रीय डेयरी परियोजना-1 (एनडीपी 1), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) तथा डेयरी उदयमिता विकास योजना।

राष्ट्रीय डेयरी योजना-1:

इस योजना का कार्यान्वयन एऩडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/ दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी):

इस योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना:

इस योजना का कार्यान्वयन नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्राम विकास बैंक) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से जिले में स्थित राष्ट्रीयकृत बैंकों के द्वारा किया जा रहा है।

डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि:

दुग्ध किसान की आय को दुगुना करने के उद्देश्य से तथा श्वेत क्रांति के पूर्व प्रयासों को तीव्र गति से आगे बढ़ाने हेतु एक महत्वाकांक्षी योजना वर्ष 2017-18 से प्रारंभ की गयी है। इस योजना का कार्यान्वयन एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से संबंधित राज्य की सहकारी दुग्ध संगठनों/दुग्ध फेडरेशन के द्वारा किया जा रहा है।