राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण की स्थापना को मंजूरी

| Published on:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मार्च को राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) की स्थापना और एनएफआरए के लिए अध्यक्ष के एक पद, पूर्णकालिक सदस्यों के तीन पदों व एनएफआरए के लिए सचिव का एक पद के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।

इस निर्णय का उद्देश्य लेखापरीक्षा के कार्य, जो कंपनी अधिनियम, 2013 द्वारा लाए गए परिवर्तनों में से एक है, इसके लिए एक स्वतंत्र विनियामक के रूप में एनएफआरए की स्थापना करना है। वित्त संबंधी स्थायी समिति की विशिष्ट सिफारिशों (उसकी 21वीं रिपोर्ट) में यह प्रावधान करना शामिल था।

प्रभाव: इस निर्णय से विदेशी/देश में निवेश में सुधार, आर्थिक विकास में वृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों के अनुरूप कारोबार के वैश्वीकरण को अनुसमर्थन तथा लेखापरीक्षा व्यवसाय के सतत विकास में सहायता मिलेगी।

न्याय क्षेत्र: अधिनियम की धारा 132 के अंतर्गत सनदी लेखाकारों और उनकी फर्मों की जांच करने के लिए एनएफआरए का कार्यक्षेत्र सूचीबद्ध कंपनियों तथा वृहद गैर-सूचीबद्ध कंपनियों को कार्य क्षेत्र में लाना है, जो नियमों में निर्धारित अपेक्षा के अयोग्य है। केन्द्र सरकार ऐसे अन्य निकायों की जांच के लिए भी कह सकती है, जहां सार्वजनिक हित अंतर्विष्ट हो।

चाटर्ड अकांटेंट अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अनुसार आईसीएआई की व्याप्त विनियामक भूमिका सामान्य रूप से उनके सदस्यों तथा प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों से संबंधित लेखापरीक्षा के संबंध में विशेष रूप से जारी रहेंगी और थ्रेशहोल्ड सीमा से नीचे सार्वजनिक गैर-सूचीबद्ध कंपनियों को नियमों में अधिसूचित किया जाएगा।

गुणवत्ता पुनरीक्षा मंडल (क्यूआरबी) की प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों, निर्धारित थ्रेडहोल्ड से कम सार्वजिनक गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में गुणवत्ता लेखापरीक्षा भी जारी रहने के साथ-साथ उन कंपनियों की लेखापरीक्षा के संबंध में भी एनएफआरए द्वारा क्यूआरबी को यह कार्य सौंपा जा सकता है।

पृष्ठभूमि: लेखापरीक्षा घोटालों के दृष्टिगत विश्व में विभिन्न कार्य क्षेत्रों में महसूस की गई जरूरत के मद्देनजर एनएफआरए की स्थापना की जरूरत नहीं है, जिसका उद्देश्य इसका विनियमन कर रहे तंत्र से इतर स्वतंत्र विनियामकों को स्थापित करना और लेखापरीक्षा मानकों को लागू करना, लेखापरीक्षा की गुणवत्ता व लेखापरीक्षा फर्मों की स्वतंत्रता को सुदृढ़ बनाना है। अतएव, कंपनियों की वित्तीय स्थिति के प्रकटीकरण में निवेशक व सार्वजनिक तंत्र का विश्वास बढ़ाना है।