सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष को बड़ा झटका

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कोर्ट ने 14 विपक्षी पार्टियों की याचिका खारिज की

क याचिका जिसमें 14 विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था, को सुप्रीम कोर्ट ने 05 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दिया था।

याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के अलावा, द्रमुक, राजद, बीआरएस, तृणमूल कांग्रेस, आप, राकांपा, शिवसेना (यूबीटी), झामुमो, जद (यू), माकपा, भाकपा, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस जैसे दल शामिल थे।

याचिका में दावा किया गया था कि 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से विपक्षी नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामलों की संख्या में ‘भारी वृद्धि’ हुई है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने याचिका पर विचार करने के लिए अनिच्छा व्यक्त की और कहा कि अदालतें हमेशा राजनीतिक नेताओं की शिकायतें भी उसी प्रकार सुनती आयी है जैसे वे आम नागरिकों की शिकायतों का संज्ञान लेती हैं। राजनीतिक नेताओं को आम नागरिकों की तुलना में विशिष्ट अधिकार प्राप्त नहीं है… एक बार जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि राजनीतिक नेता पूरी तरह से आम नागरिकों के समान हैं, जिनके पास कोई विशिष्ट अधिकार नहीं है, तो हम कैसे कह सकते हैं कि ‘ट्रिपल टेस्ट’ के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती।

प्रमुख बिंदु

•• भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने याचिका की वैधता और व्यवहार्यता पर संदेह व्यक्त किया।
•• उन्होंने अधिवक्ता से पूछा कि क्या वह जांच और अभियोजन से विपक्षी दलों के लिए प्रतिरक्षा की मांग कर रहे हैं और क्या उनके पास नागरिकों के रूप में कोई विशेष अधिकार हैं।
•• मुख्य न्यायाधीश विपक्ष के तर्क से सहमत नहीं थे और उन्होंने कहा कि याचिका अनिवार्य रूप से राजनेताओं के लिए एक याचिका थी।
•• खंडपीठ ने कहा कि राजनीतिक नेताओं को आम नागरिकों की तुलना में विशिष्ट अधिकार प्राप्त नहीं है।
•• राजनीतिक व्यक्ति भी नागरिक हैं और एक नागरिक के रूप में वे समान नियमों के अधीन हैं।
•• पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत मीडिया के पास भी विशिष्ट शक्तियां नहीं हैं।
•• कोर्ट के रवैये को देखते हुए राजनीतिक दलों की ओर से पेश अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।