दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर ‘आरोप पत्र’

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झूठ, फरेब एवं विश्वासघात की राजनीति बेनकाब

दिल्ली विधानसभा का चुनाव आ चुका है। मतदान करने से पूर्व यह आवश्यक है कि केजरीवाल सरकार को उसके वादों एवं कार्यों की कसौटी पर परखा जाये। इसमें अब कोई संदेह नहीं कि अरविंद केजरीवाल और उनकी राजनीति पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। भ्रष्टाचार, कुशासन एवं अकर्मण्यता के दलदल में डूबी आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली की जनता को धोखे पर धोखे दिये हैं। आइये, उनके पिछले पांच वर्षं के काले चिट्ठे पर नजर डालते हैं :

शुचिता का राग अलापने वाली केजरीवाल सरकार में दागी नेताओं की भरमार

• सेक्स कांड में केजरीवाल के एक मंत्री संदीप कुमार को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
• रिश्वत मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने कैबिनेट मंत्री आसिम अहमद खान को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
• केजरीवाल सरकार के मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को पद से हटाया गया, उन पर फर्जी डिग्री प्रस्तुत करने का आरोप था।
• दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय को भी भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद मंत्री पद से बेदखल किया गया।

‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग के साथ खड़ी आप सरकार

• आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं के इशारे पर जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया।
• इस साजिश के पहले किरदार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दूसरे आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान है, जिनके खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
• जेएनयू देशद्रोह मामला भी दिल्ली सरकार के पास ही लंबित है। इसको लेकर कोर्ट दिल्ली प्रशासन को फटकार भी लगा चुका है।
• केजरीवाल ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को आईसीयू में पहुंचाया।
• नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक “स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत” में दिल्ली की गिरती हुई सेहत को साफ देखा जा सकता है। केंद्र शासित राज्यों के सूचकांक में दिल्ली दो पायदान फिसलकर 5वें स्थान पर आ गई है।
• केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों में बेड की संख्या को 30,000 तक बढ़ाने का वायदा किया था, लेकिन अपने 5 साल के कार्यकाल में केवल 394 बेड ही मौजूदा व्यवस्था में जोड़ सकी।
• केजरीवाल सरकार ने 900 नए प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर बनाने का वादा किया था और शर्म की बात है कि पिछले 5 वर्षों में एक भी नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बन पाया।
• मुफ्त निदान, मुफ्त दवा और सभी मुफ्त स्वास्थ्य जांच जैसे महत्वपूर्ण वादा के साथ केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ‘मोहल्ला क्लीनिक’ के नाम पर सिर्फ धोखा दिया गया।
• करीब 130 ‘मोहल्ला क्लीनिक खोलने की बात कही गई, लेकिन मुश्किल से 50-60 मोहल्ला क्लीनिक खोले गए। जिनमें व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है और मरीजों की फर्जी एंट्री के मामले बढ़े।
• पिछले 5 सालों में दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग आवंटित बजट का 100% उपयोग एक बार भी नहीं कर पाया। इस साल भी कुल स्वास्थ्य बजट का केवल 46.47% उपयोग किया गया है।
• दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ (डॉक्टर, सर्जन और विशेषज्ञ) की संख्या में 34% की कमी है। पैरा मेडिकल स्टाफ में 29% की कमी, नर्सों की संख्या में 22% कमी, प्रशासनिक कर्मचारी की संख्या में 40% की कमी है।

केंद्र की ‘आयुष्मान योजना’ को दिल्ली में रोका गया

• दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने ‘आयुष्मान योजना’ को जानबूझ कर रोक लिया है और दिल्ली के लाखों गरीब लोग इसके लाभ लेने से वंचित हो गए हैं।

प्रदूषण रोकने में केजरीवाल सरकार नाकाम

• •‘विश्व वायु गुणवत्ता सूचकांक’ रैंकिंग पर एयर विजुअल के आंकड़ों के मुताबिक नई दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है।
• धूल और कूड़ा प्रदूषण के खिलाफ एक्शन प्लान तक नहीं बना पाई।
• दिल्ली वायु प्रदूषण की वजह से लोग गंभीर रूप से प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जिसके चलते उनकी सेहत और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
• दिल्ली में ‘हेल्थ रिस्क रैंकिंग’ के लिहाज से वायु प्रदूषण, अब मृत्यु होने की तीसरी सबसे बड़ी वजह बन चुकी है।
• सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण मामले में आम आदमी पार्टी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि प्रदूषण पर अरविंद केजरीवाल की सरकार उचित कदम उठाने में नाकामयाब रही है।

5,000 नई बसों को शामिल करने का खोखला वादा

• आप सरकार ने दावा किया था कि डीटीसी के मौजूदा बेड़े में 5,000 नई बसों को शामिल किया जाएगा।
• लेकिन केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में यह आंकड़ा 4,705 बसों से गिरकर 3,762 बसों तक पहुंच गया है।
• अपने पूरे कार्यकाल में केवल 50 बस ही शामिल करने में कामयाब रही।
• महिला सुरक्षा को लेकर नाटक करने वाली दिल्ली सरकार अब तक केवल डीटीसी की 25 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगा पाई है।

स्वच्छ पानी को तरसती दिल्ली

• दिल्ली का पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित है, बीआईएस की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के दावों की कलई को खोलकर रख दिया।
• दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार 650 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियों में पानी का कनेक्शन नहीं हैं।
• पिछले दो वर्षों में ‘पानी की आपूर्ति नहीं होने’ को लेकर पंजीकृत शिकायतों की संख्या 34,554 से बढ़कर 52,100 हो गई, जबकि ‘दूषित जल’ से संबंधित शिकायतें 27,227 से बढ़कर 33,884 हो गईं, जो 24 प्रतिशत की वृद्धि है।

शिक्षा पर फेल रही सरकार

• पिछले पांच सालों में दिल्ली सरकार के स्कूली छात्रों का प्रदर्शन निराशाजनक है।
• 10वीं कक्षा में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पास प्रतिशत 71.58% रहा और दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 28.42% छात्र दसवीं की परीक्षा में असफल रहे।
• इसी तरह, बारहवीं की परीक्षा में दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले केवल 0.84% छात्र ही 90% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने में कामयाब हुए हैं।
• एक रिपोर्ट के मुताबिक 79% छात्रों ने अपने शिक्षकों को 4 के पैमाने से नीचे रखा।
• ‘आप’ के नेतृत्व वाली सरकार अपने चुनावी वादे, जिसमें 500 नए विद्यालयों के निर्माण की बात कही गई थी, उस पर खरी नहीं उतरी है।

स्ट्रीट वेंडर्स के साथ नाइंसाफी

• आम आदमी पार्टी अपने वादे जिसमें सत्ता में आने के 90 दिनों के भीतर रेहड़ी-पटरी वालों को नियमित करने का कानून बनाने का वादा किया था, उसे 58 महीनों बाद भी पूरा नहीं कर सकी है।
• दिल्ली सरकार ने टाउन वेंडिंग कमेटियों के गठन का वादा किया था, लेकिन 58 महीने बाद भी यह काम पूरा नहीं हुआ है। 28 समितियों का गठन किया जाना था। लेकिन उनका अभी तक गठन नहीं हुआ है।
• दिल्ली सरकार जनता को आवास देने में असफल रही।
• आम आदमी पार्टी ने अनधिकृत कॉलोनियों में संपत्ति और बिक्री कार्यों के संबंध में पंजीकरण अधिकार प्रदान करने का वादा किया था जो खोखला साबित हुआ।

बिजली की अनकही कहानी

• केजरीवाल सरकार में बिजली कंपनियों को 600 करोड़ रुपए दी जाने वाली सब्सिडी का विरोध कर सत्ता में आयी और आज इन कंपनियों को 2500 करोड़ रुपए सब्सिड़ी के नाम पर दे रही है।
• यदि 600 करोड़ रुपए की सब्सिडी में भ्रष्टाचार हो रहा था तो अब कितना भ्रष्टाचार हो रहा है। प्राइवेट बिजली कंपनियों का ऑडिट करने का जो वादा आप सरकार ने किया था वह वादा ही रह गया।
• सौर ऊर्जा का वादा… वादा ही रहा।
समय आ गया है कि दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार को भ्रष्टाचार, कुशासन, झूठ, फरेब एवं विश्वासघात के लिये सबक सिखाये।