नए वित्तीय वर्ष 2017 में जीएसटी की प्रभावी शुरुआत

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विकाश आनन्द

पूरे देश को एकल कर प्रणाली के अंतर्गत लाने का जो विचार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने लाया था, उसे वास्तविकता में तब्दील होने में एक दशक से अधिक समय लग गया। दअसल, अटलजी के नेतृत्व में नेशनल डेमोक्रेटिक एलाइंस ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति का गठन जीएसटी ढांचा तैयार करने के लिए किया था। अंततः नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने जीएसटी को वास्तविकता में तब्दील किया। ऐतिहासिक जीएसटी अब 1 जुलाई से इस लक्ष्य को लागू करने के लिए निकटतम स्थिति तक पहुंच रही है।

जीएसटी विधेयक ने स्थानीय एवं राष्ट्रीय कर व्यवस्था को समान कर प्रणाली में बदलने का वादा पूरा किया और इस प्रकार देश के 29 राज्यों को एकीकृत किया। पहली बार संघ शासित क्षेत्रों और 1.3 अरब लोग काॅमन मार्केट में तब्दील हो गए। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने आज तक का यह सबसे महत्वपूर्ण कर सुधार करके दिखाया।

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार बिलों को लोकसभा एवं राज्यसभा में 29 मार्च 2017 और 6 अप्रैल को पारित कर दिया गया। इन चार बिलों में एकीकृत जीएसटी, केन्द्रीय जीएसटी, केन्द्र शासित जीएसटी और माल एवं सेवा कर (राज्यों का प्रतिकर) हैं। जीएसटी कौंसिल जिनमें वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली और राज्य वित्त मंत्रियों सदस्य हैं, जो अप्रैल 2017 के आखिर तक केन्द्रीय एक्साइज, सेवाकर और राज्य वैट तथा अनेक अन्य लेवियों के अलावा वर्तमान करों तथा अतिरिक्त प्रभारों को बदल देंगे। जीएसटी सम्बंधित पूरे कानून में संविधान (एक सौ एक संशोधन) अधिनियम 2016 में जीएसटी कौंसिल शामिल है, जो कोआप्रेटिव फेडरेलिज्म का सही भाव है। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के शब्दों में कहा जाए तो ‘यह पहली बार है जब केन्द्र और राज्य इकट्ठे हुए हैं और अपनी सम्पूर्ण प्रभुता को जीएसटी में मिलाकर वास्तविक रूप प्रदान किया है।’ 29 मार्च को लोकसभा में श्री जेटली ने कहा था कि ‘‘यह पहली बार है कि जब संवैधानिक स्वीकृति को फेडरल कंट्रेट में शामिल किया गया है। हम (संसद) कौंसिल को अपनी सिफारिशें कर सकते हैं, परन्तु साथ ही हमें इस फैडरल कंट्रेट का सम्मान करना होगा, जिसमें राज्य और केन्द्र ने अपनी सम्प्रभुता को कौंसिल को दी है और इन बिलों के विभिन्न प्रावधानों को शामिल कर लिया है।’’ हमारे प्रधानमंत्री ने इसे नए वर्ष, नए कानून, नए भारत की शुरूआत कहा है।

संविधान का 122वें संशोधन एक वाटरशेड के रूप में भारत के राजनैतिक-आर्थिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डालेगा, क्योंकि देश का आज तक का सबसे अधिक प्रगतिशील कर सुधार माना जा रहा है। जिससे हमारा जीवन और अधिक सरल बन जाएगा और उद्योग तथा उससे भी अधिक महत्वपूर्ण वस्तुओं और उपभोक्ता की सेवा की लागत कम हो जाएगी, जिसमें केन्द्र और राज्यों के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

विश्व बैंक में भारत का सरल रूप से 189 देशों में से 157वां स्थान है। जीएसटी से पहले नाफ्टा या यूरोपीय संघ अनेक करों के कारण वस्तु-सेवाएं महंगी और कठिन हो गई थीं। भारत की राज्य सीमाओं पर उसी तरह की लारियों की कतारों की स्थिति है अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर बनी हुई हैं।

अर्थशास्त्रियों और टेक्नोक्रेटों ने जीएसटी का समर्थन बहुत पहले से किया था, जिसे वे वर्ष में 1-2 प्रतिशत प्वाइंट से आर्थिक आउटपुट को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। प्रारम्भ में जीएसटी बिल का बहुत विरोध हुआ, परन्तु विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने क्षेत्रीय पार्टियों को समझाने में मदद कर विरोध को मिटा दिया।

2019 तक नए भारत के निर्माण के लिए अगला कदम जीएसटी बिल को पारित करना है जब भारत महात्मा गांधी की 150वीं जन्मदिन मना रहा होगा। गांधीजी ने सम्प्रभुता और मजबूत कोआप्रेटिव फ्रेडेªलिज्म की सिफारिश की थी। वर्तमान जीएसटी का काम है कि इससे 3’सी कोआप्रेशन, कोआर्डिनेशन और केन्द्र-राज्यों के बीच कंर्वेजेंस की स्थिति पैदा हो सके। एनडीए सरकार बिना किसी धर्म, जाति या सामाजिक स्थिति के भेदभाव किए लोगों की बेहतरी के अपने वायदे निभाने का काम कर रही है। आने वाले वर्षों में जीएसटी के लाभों की सूची से भारत विकसित देशों की सूची में आ जाएगा, जिससे एकीकृत अप्रत्यक्ष करों और व्यापार करने की सुविधा पैदा हो जाएगी।

केन्द्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) के लागू करने के बिल का सारांश

केन्द्र राज्य की आंतरिक रूप से वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति पर सीजीएसटी लगा सकता है। इस आपूर्ति में बिक्री, ट्रांसफर और लीज को व्यापार बढ़ाने के लिए विचार किया जा सकता है।

कर-दरेंः जीएसटी कौंसिल ने 5,12,18 और 28 प्रतिशत की चार स्तरों की ‘कर-संरचना’ की सिफारिश की है। उच्चतम स्लैब में लक्जरी कारों, साॅफ्ट ड्रिंक्स, तम्बाकू प्रोडक्ट्स, पान मसाला और कोयला शामिल रहेंगे ताकि पहले पांच वर्षों में संभावित राजस्व हानि से बचा जा सके।
सीजीएसटी से छूटः केन्द्र सूचना जारी कर जीएसटी के दायरे से कुछ वस्तुओं और सेवाओं को छूट दे सकती है। यह जीएसटी कौंसिल की सिफारिशों पर आधारित रहेगा।

जीएसटी के लाभ

जीएसटी कुशल कर व्यवस्था माना गया है और यह लागू एवं वितरणात्मक रूप में आकर्षक है। जीएसटी के लाभ इस प्रकार हैंः

-कर दरों में कमी करने और वर्गात्मक विवादों को समाप्त करने में आवश्यक है विस्तृत कर आधार

-बहुलवादी कर और उनके प्रभाव समाप्त करने के लिए

-कर संरचना का उदारीकरण और अनुपालन प्रक्रिया का सरलीकरण

-केन्द्र और राज्य कर प्रशासन की उदारीकरण, जिससे डुप्लीकेशन और अनुपालन लागत कम होगी।

-गलतियां कम करने और कुशलता बढ़ाने की प्रक्रिया के अनुपालन का आॅटोमेशन