आपातकाल के सेनानी नरेन्द्र मोदी

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संपादित एवं संकलित: ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन एवं मोदी स्टोरी

पातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है। 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर आपातकाल थोप दिया था।
गुजरात से आरंभ नवनिर्माण आंदोलन और िबहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन ने पूरे देश में इंिदरा गांधी और उनकी िनरंकुश सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का कार्य किया। जब इलाहबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द करने का फैसला सुनाया, तो पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया।
आपातकाल लागू होते ही देश भर में सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण (जे.पी.) आपातकाल लगने से पहले ही इंदिरा गांधी के कुशासन के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। आपातकाल लगते ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही नानाजी देशमुख, दत्तोपंत ठेंगड़ी, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी समेत विपक्ष के अन्य बड़े नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

श्री नरेन्द्र मोदी उस समय 25 वर्ष के भी नहीं थे। श्री मोदी उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद संघ का कार्य जारी रखने की चुनौती थी। ये चुनौती गुजरात में भी थी।

ऐसे में श्री मोदी ने गुजरात में आपातकाल विरोधी आंदोलन को निरंतर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। श्री नरेन्द्र मोदी, जो संघ के स्वयंसेवक थे, ने भी इस अवधि के दौरान अपने संगठनात्मक कौशल का विकास किया।

जे.पी. तथा नानाजी देशमुख जैसे अन्य लोगों के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर एक लोक संघर्ष समिति का गठन किया गया। गुजरात में इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी श्री नरेन्द्र मोदी को दी गयी। साहित्य का प्रकाशन, संगठनात्मक कार्य करना, आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष और सत्याग्रह आदि कार्य इसी समिति की देखरेख में किये गये। इसमें श्री नरेन्द्र मोदी की अहम भूमिका रही।

श्री मोदी ने संघ स्वयंसेवकों की मदद से आपातकाल विरोधी साहित्य और पत्रिकाओं के लिए सामग्री एकत्र करने, प्रकाशित करने और वितरित करने की जिम्मेदारी संभाली। गुजरात में प्रकाशित साहित्य को प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी ले जाना था।

आपातकाल के दौरान संगठनात्मक कार्य करते हुए पुलिस से बचने के लिए श्री मोदी ने अनोखे तरीकों को अपनाया। कभी वे साधु बनकर घूमते रहे, कभी वह सरदारजी बन जाते थे।

आपातकाल के दौरान श्री मोदी ने उन कार्यकर्ताओं के परिवारों की भी सुध ली, जो गिरफ्तार किये गये थे। देश के शीर्ष नेताओं के गुजरात आने पर उनकी यात्रा की व्यवस्था करने और उनकी बैठकें आयोजित करने की जिम्मेदारी भी उन पर थी।

यह पुस्तक ‘आपातकाल के सेनानी नरेन्द्र मोदी’ आपातकाल के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी के योगदान को एक साथ रखने का एक प्रयास है। यह किताब अब अमेजन, फ्लिपकार्ट और प्रभात बुक्स पर उपलब्ध है।

प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन, पृष्ठ: 134, मूल्य: 250/-