भविष्योन्मुखी बजट

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने बजट में राष्ट्र निर्माण के जिन प्रमुख पहलुओं पर सर्वाधिक बल दिया है, हमारे देश की आत्मनिर्भरता उनमें सर्वोपरि है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा हम भले पिछले एक-दो वर्षों से सुनते आ रहे हो, पर यथार्थ में यह मोदी सरकार की नीतियों का प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है। मोदी सरकार कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, आधारभूत संरचनाएं, तकनीकी संचार और स्वदेशी विनिमय, विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में भी लगातार स्वावलंबन के लिए प्रतिबद्ध रही है। उसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’, आत्मनिर्भरता और वोकल फॉर लोकल, स्टार्टअप इंडिया जैसे माध्यम से न केवल अपने पूर्ण स्वावलंबन बल्कि दुनिया भी की जरूरतों को भी पूरा करने में मेक फॉर वर्ल्ड की ओर आगे बढ़ रही है।

वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट इन्हीं संकल्पों का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है। देश की आत्मनिर्भरता और विकास की कसौटी पर मोदी सरकार की उपलब्धियां चमत्कृत करने वाली है। तमाम आंकड़े यह साबित करते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था सभी कसौटियों पर आगे बढ़ रही है। निरंतर नये आयाम स्थापित हो रहे हैं।

मोदी सरकार ने न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम किया है, बल्कि अकर्मण्यता और कामचोरी पर भी कड़ा प्रभाव प्रहार किया है। काम करने वालों को वित्तीय-प्रशासनिक प्रोत्साहन मिल रहा है।

देश में उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार की व्यवस्था हो रही है। निर्यात की तमाम संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि प्रशासनिक जटिलताओं को भी दूर करने का सकारात्मक प्रयास हुआ है।

पूर्व की गैर भाजपा सरकार सरकारों में अब तक यही होता रहा कि लोकलुभावन और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाला बजट पेश किये जाते थे। उससे अर्थव्यवस्था कमजोर होती थी और राजकोषीय घाटा चरम पर होता था।

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ सक्रिय है। दुनिया के लिए प्रेरित करने वाली है। भारत विरोधियों की इच्छाओं पर कुठाराघात करने वाली है, जबकि कोरोना काल में दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट और रुग्ण हो गई। अमेरिका और यूरोप तक की अर्थव्यवस्था लगभग चरमरा गई। भारत दुनिया की इतनी बड़ी आबादी को कोरोना में भी सक्रिय रखना और उनके लिए सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को सक्रिय रखना बड़ा कठिन कार्य था। कोरोना बंदिशों के कारण उत्पादन कार्य प्रभावित था, आपूर्ति प्रक्रिया बाधित थी।

इसके बावजूद इस दौरान महंगाई लगभग नियंत्रित रही और आपूर्ति कार्य भी सक्रिय रहा।

कोई बजट तब महत्वपूर्ण होता है, जब उसके अंदर जरूरतमंदों और गरीब तबकों के लिए कल्याण की बातें होती है, विकास की बातें होती हैं। हमारे देश में गरीबी हटाओ अभियान का नारा वर्षों पूर्व में दिया गया था, पर आज तक गरीबी नहीं हटी। श्री नरेन्द्र मोदी के बजट और अन्य योजनाओं का विरोध करने वाली कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों से यह पूछा जाना चाहिए कि आज तक गरीबी क्यों नहीं हटी। उसके पीछे क्या कारण है। उन्होंने तो 50 वर्ष तक शासन किया था। लेकिन आज जब गरीबों के कल्याण के लिए व्यवस्था होती है, कोई मजबूत गरीबी उन्मूलन योजना लाती है, तो भी विपक्ष विरोध करता है। इस बजट में गरीबों के लिए जितनी धनराशि दी गई है, उतनी धनराशि कभी भी नहीं दी गई थी। गरीबों को विकास के लिए कोई एक नहीं बल्कि कई योजनाएं चल रही हैं।

सबसे बड़ी बात है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी गांव में साफ पानी उपलब्ध नहीं है। गांव में अच्छी सड़कें न होना, साफ पानी उपलब्ध न होना चिंता की बात है। श्री नरेन्द्र मोदी ने यह बीड़ा उठाया है कि गांव में साफ पीने के पानी की समस्या को दूर करेंगे। देश का एक भी व्यक्ति प्यासा नहीं रहना चाहिए। ऐसा तब संभव होगा जब गांव में घर घर पानी की आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाई जाए। बजट में प्रावधान किया गया है कि 4 करोड़ लोगों के घरों में पानी के कनेक्शन दिए जाएंगे। पानी की आपूर्ति पर पहले 40 हजार करोड़ रुपये खर्च होते थे, पर इस बजट में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे 3.8 करोड़ घरों तक साफ पानी उपलब्ध कराया जायेगा। इस राशि को डेढ़ गुना करना यह दर्शाता है कि श्री नरेन्द्र मोदी के लिए गांव को पानी पहुंचाने की योजना कितना महत्व रखती है। जल जीवन मिशन के तहत पहले से ही लगभग 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से पानी की आपूर्ति शुरू हो गई है।

नदी जोड़ो योजना फिर प्राथमिकता में आई है। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने नदी जोड़ने की योजना शुरू की थी। नदी जोड़ने की योजना सिंचाई और पेयजल की समस्या दूर करने के लिए एक गेम चेंजर योजना थी। इससे बाढ़ पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन इसके बाद आई कांग्रेस सरकार ने इस योजना को ठंड़े बस्ते में डाल दिया। अब श्री नरेन्द्र मोदी ने फिर इस योजना को अमल में लाने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पानी की समस्या का समाधान होगा। देश की अन्य नदियों को भी जोड़ने की योजना है। इस योजना पर 44 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। नदियों को जोड़ने से पानी का प्रवाह लगातार रहेगा। किसानों के सूखे खेतों को पानी मिलेगा।फलस्वरूप उपज बढ़ने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।

कोविड के समय उनकी स्थिति को देखते हुए किसानों के खाते में एमएसपी के 2.37 लाख करोड़ रुपये भी ट्रांसफर किये जायेंगे। कृषि उपकरण सस्ते होंगे। आनेवाले दिनों में केमिकल फ्री नेचुरल फार्मिंग को प्रमोट किया जाएगा। किसानों तक तकनीक पहुंचाने की दिशा में भी काम करने की घोषणा हुई है। किसानों तक डिजिटल और हाईटेक तकनीक पहुंचाई जाएगी। कृषि क्षेत्र में ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जायेगा।

हर व्यक्ति को छत उपलब्ध कराना मोदी सरकार की प्राथमिकता में है। पिछले 7 वर्षों में तीन करोड़ लोगों को घर बनाकर दिया गया है। अभावग्रस्त और जरूरतमंद लोगों को घर बनाने में धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।

अभी तक सीमावर्ती इलाकों के विकास से की प्रक्रिया से बाहर थे। इसमें पिछली सरकारों का ध्यान नहीं था। सीमावर्ती गांव के लिए बिजली, सड़क, अस्पताल और शिक्षा आदि के क्षेत्र के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। सीमावर्ती गांवों में जब हमारी आधारभूत संरचनाएं मजबूत होगी, तब हम अपने दुश्मनों के नापाक इरादों को आसानी से ध्वस्त कर सकते हैं।

इस भविष्योन्मुखी बजट के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को देश की करोड़ों जनता की ओर से हार्दिक बधाई।

रघुवर दास

(लेखक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं)