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जनधन खातों में नोटबंदी ने दी 9 गुना रकम
रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के दौरान जमा रकम की जानकारी जारी की है। आरबीआई के मुताबिक, पिछले साल 9 सितंबर से 30 अक्टूबर के बीच जनधन खातों में 6600 करोड़ जमा हुए थे, लेकिन नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर तक इसमें जमा रकम बढ़कर 66,480 करोड़ हो गई। मतलब 50 दिनों में 59,800 करोड़ जमा हुए। इसी तरह दो महीने में जनधन खातों में सामान्य से 9 गुना ज्यादा राशि जमा हुई। निष्क्रिय खातों में भी 9 सितंबर से 30 अक्टूबर के बीच 2830 करोड़ जमा हुए, लेकिन नोटबंदी के 50 दिनों में यह रकम करीब साढ़े सात गुना बढ़ गई।
– नवभारत टाइम्स (18 अगस्त)

दूरसंचार क्षेत्र में 2018 तक 30 लाख नए अवसर
दूरसंचार क्षेत्र वर्ष 2018 तक रोजगार के 30 लाख अवसर सृजित कर सकता है। 4जी प्रौद्योगिकी के तेज विस्तार, बढ़ती डाटा खपत, डिजिटल वॉलेट में वृद्धि और स्मार्टफोन की अधिक स्वीकार्यता से रोजगार के मौके बढ़ेंगे। उद्योग और वाणिज्य संगठन एसोचैम तथा केपीएमजी के अघ्ययन मे यह दावा किया गया है। इसमें कहा गया कि दूरसंचार क्षेत्र ऐसी स्थिति में है जहां प्रति उपभोक्ता राजस्व में कमी के बाद भी वे आधारभूत संरचना तथा तकनीकी बेहतरी के लिए निवेश बढ़ाने को मजबूर हैं।

– हिंदुस्तान (18 अगस्त)

ग्रामीण विद्युतीकरण
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना। 25 जुलाई, 2015 को योजना की शुरुआत। गांवों में रह रहे गरीबों को बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 500 करोड़ रुपये का शुरुआती आवंटन। 2800 गांवों का शुरुआती लक्ष्य – एक वर्ष में 7108 गांवों में बिजली पहुंचाई गयी। अभी तक बिजली से वंचित 18,452 गांवों में मई 2017 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य। 14 अप्रैल, 2017 तक बिजली से वंचित 18452 गांवों में से 13,267 गांवों तक बिजली पहुंचाई गई (72 प्रतिशत)।- पीआईबी

स्फुट विचार :

यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे कि उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।
-सरदार पटेल

सात घनघोर पाप: काम के बिना धन, अंतरात्मा के बिना सुख, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, सिद्धांत के बिना राजनीति,नैतिकता के बिना व्यापार और त्याग के बिना पूजा।
-महात्मा गांधी

भारत कोई इतना छोटा देश नहीं है कि कोई उसको जेब में रख ले और वह उसका पिछलग्गू हो जाए। हम अपनी आजादी के लिए लड़े, दुनिया की आजादी के लिए लड़े।
– अटल बिहारी वाजपेयी

पश्चिमी विज्ञान और पश्चिमी जीवन शैली दो अलग-अलग चीजें हैं। चूंकि पश्चिमी विज्ञान सार्वभौमिक है और हम आगे बढ़ने के लिए इसे अपनाना चाहिए, लेकिन पश्चिमी जीवनशैली और मूल्यों के सन्दर्भ में यह सच नहीं है।
– पं. दीनदयाल उपाध्याय

हमारे जीवन का उस दिन अंत होना शुरू हो जाता है, जिस दिन हम उन मुद्दों के बारे में चुप हो जाते हैं जो आम समाज के लिये मायने रखते हैं।
– मार्टिन लूथर किंग जूनियर

प्रस्तुति: पंकज आनंद