भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन 21वीं सदी की परिवर्तनकारी घटना

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दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के मंत्र तथा इसके घोषवाक्य ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ को आत्मसात् करने के लिए जाना जाएगा। साथ ही, इसे सुव्यवस्थित आयोजन, भव्य परिवेश, भारतीय आतिथ्य सत्कार एवं सकारात्मक परिणामों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। विभिन्न धुरियों में बंटे विश्व एवं परस्पर अविश्वास की छाया इस सम्मेलन पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में शिखर सम्मेलन की शुरुआत में ही ‘नई दिल्ली घोषणा’ पर सर्वसम्मत होने का प्रमुख श्रेय निश्चित रूप से भारत

‘भारत-पश्चिम एिशया-यूरोप के बीच इकॉनॉमिक कॉरीडोर’, ‘ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस’ ऐसी महत्वपूर्ण पहलें हैं, जिससे विश्व व्यापार के नए क्षितिजों का निर्माण होगा, नए अवसर बनेंगे एवं अनेक नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे

को जाता है। यह एक बड़ी उपलब्धि रही, जिसकी सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इसके साथ ही ‘भारत-पश्चिम एिशया-यूरोप के बीच इकॉनॉमिक कॉरीडोर’, ‘ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस’ ऐसी महत्वपूर्ण पहलें हैं, जिससे विश्व व्यापार के नए क्षितिजों का निर्माण होगा, नए अवसर बनेंगे एवं अनेक नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। जी-20 सम्मेलन में हुए कई बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय अनुबंधों के फलस्वरूप हरित विकास समझौता, सतत विकास के लक्ष्यों के लिए कार्य योजना, भ्रष्टाचार विरोधी उच्चस्तरीय सिद्धांत, डिजिटल जन अवसंरचना को सहयोग, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार जैसे कई समझौते हुए, जिनसे इन संबंधों के नए आयाम विकसित होंगे। इस सम्मेलन को अविस्मरणीय पहलों एवं अद्भुत उपलब्धियों के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

जी-20 सम्मेलन का भव्य आयोजन भारत द्वारा चन्द्रयान-3 तथा आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण में मिली अद्भुत सफलता के साथ-साथ हुआ है। चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चन्द्रयान का सफलतापूर्वक उतरना, एक ऐसी महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसे पूरे विश्व की भरपूर सराहना मिल रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस महान उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए इसे अभूतपूर्व एवं सदैव याद रखनेवाला बताया तथा कहा कि यह राष्ट्रीय मानस में सदा अंकित रहेगी। इस उपलब्धि को केवल भारत नहीं, बल्कि समस्त मानवता की उपलब्धि बताते हुए उन्होंने भारत की मानव-केंद्रित एवं मानवता की सेवा के लिए प्रतिबद्धता को दुहराया। चन्द्रयान-3 की सफलता भारत के उस संकल्प को दर्शाता है जो निरंतर प्रयास, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी पर विश्वास तथा ‘अमृतकाल’ में ‘विकसित भारत’ के स्वप्न को साकार करने के लिए हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की आकांक्षाओं को परिलक्षित करता है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इस तथ्य को रेखांकित किया कि पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार ने इसरो द्वारा अपनी स्थापना के वर्ष 1969 से अब तक के 89 प्रक्षेपणों में से 47 प्रक्षेपणों को संपन्न किया है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

जी-20 में स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन का शामिल होना, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही परिणाम है। उन्होंने निरंतर अफ्रीकी देशों एवं ‘ग्लोबल साउथ’ के स्वर को वैश्विक मंचों पर महत्वपूर्ण बनाने के प्रयास किए हैं। ध्यान देने योग्य है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से त्रस्त विश्व में भारत सभी चुनौतियों को अवसरों में परिवर्तित करते हुए आज एक मजबूत स्थिति में है। आज भी जब कई देश कोविड-19 वैश्विक महामारी के दुष्प्रभावों के साये में है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही ग्लोबल सप्लाई चेन के लचीलेपन एवं विश्वसनीयता तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार के साथ बहुपक्षीय आयामों पर बल दिया है। जी-20 सम्मेलन ने जहां भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रतिबिंबित किया, वहीं भारतीय संस्कृति से, भारत मंडपम में नटराज की प्रतिमा एवं राष्ट्रपति द्वारा दिए भोज में नालंदा विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि एवं स्वागत स्थल पर कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र द्वारा विश्व को परिचित कराया। जी-20 सम्मेलन, चन्द्रयान-3 तथा आदित्य एल-1 ने हर भारतीय को गौरवान्वित किया है एवं जन-जन का हृदय आत्म गौरव की अनुभूति से भर गया है।

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