‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ एक नए युग की शुरुआत

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‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ देश में एक नए युग की शुरुआत है। इस अधिनियम में लोकसभा, राज्य की विधानसभाओं एवं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। अमृतकाल में यह भारतीय राजनीति की दशा एवं दिशा को बदलने वाला अधिनियम है। ध्यान देने योग्य है कि 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का निर्णय पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय तक; कभी कुछ राजनैतिक दलों के विरोध या किसी और बहाने से लटका रहा। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति और अटूट संकल्प का ही परिणाम है कि यह अधिनियम लोकसभा में 454-2 के भारी बहुमत एवं राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ। इस अधिनियम पर राष्ट्रीय

इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से राष्ट्र-निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि इससे देश की राजनीति तथा सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में व्यापक परिवर्तन होगा

सर्वानुमति दोनों सदनों में इसे मिले व्यापक समर्थन में परिलक्षित होता है। देश के उज्ज्वल भविष्य को गढ़ने में इस अधिनियम की भूमिका देशभर में इसके शानदार स्वागत में देखा जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से राष्ट्र-निर्माण में महिलाओं की न केवल भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि इससे देश की राजनीति तथा सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में व्यापक परिवर्तन होगा। यह विकसित भारत के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

जहां ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का पारित होना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, वहीं संसद का विशेष सत्र जिसमें यह पारित हुआ, कई अन्य कारणों से भी ऐतिहासिक रहा है। संसद का यह विशेष सत्र नए संसद भवन में संसदीय कार्यवाही के शुभारंभ के लिए भी जाना जाएगा, जिससे पूरे राष्ट्र में एक नई ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। पुराना संसद भवन जो अब ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जा रहा है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में ‘आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।’ संसदीय लोकतंत्र के उच्च आदर्श, इसकी गौरवशाली परंपराएं और इसकी प्रेरणादायी विरासत का पुनः एक बार पूरे देश ने साक्षात्कार किया जब नए संसद भवन में प्रवेश करने से पूर्व सभी सांसदों ने पुराने भवन में संपन्न संसद के संयुक्त सत्र में अपने विचार रखे एवं पुरानी यादों को ताजा किया। नए संसद भवन में संसद के 75 वर्षों की यात्रा, जी-20 शिखर सम्मेलन का अत्यंत सफल आयोजन एवं चंद्रयान-3 मिशन की जबरदस्त सफलता पर सांसदों के उद्गार को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। देश की हाल की उपलब्धियां जिसे पूरे विश्व में सराहा जा रहा है, विश्व में भारत के बढ़ते हुए कद को परिलक्षित करता है। नया संसद भवन न केवल भविष्योन्मुखी योजना के साथ नवीनतम तकनीक एवं आधुनिक सुविधाओं से युक्त है, बल्कि यह विकसित भारत की कल्पना, दृष्टि, भव्यता एवं राष्ट्रीय संकल्प को भी दर्शाता है।

संसद की 75 वर्षों की यात्रा पर सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अमृतकाल के सुबह की प्रथम प्रभा देश को नए आत्मविश्वास, नए उत्साह, नए संकल्प एवं नई शक्ति से भर रहा है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का पारित होना उनके इन्हीं शब्दों का परिचायक है। नारी सशक्तीकरण से नारी-नीत विकास प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का मंत्र है, जिसे उन्होंने अपने कई नारी केंद्रित अभिनव योजनाओं के माध्यम से यथार्थ के धरातल पर उतारा है। एक ओर जहां भाजपा हमेशा से विधायिकाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध रही है, वहीं दूसरी ओर इसने नारी शक्ति के लिए न्याय, नारी सशक्तीकरण एवं नारी-नीत विकास को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि आज देश में भाजपा एकमात्र ऐसा राजनैतिक दल है, जिसमें पार्टी पदों पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण है। जहां दूसरे राजनैतिक दलों ने इस अधिनियम का या तो विरोध किया या दिखावटी समर्थन किया, भाजपा का इस विधेयक पर गैर-समझौतावादी रुख एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप यह अधिनियम संसद में व्यापक समर्थन से पारित हुआ। अब जबकि देश की नारी शक्ति देश की विधायिकाओं में अपना उपयुक्त स्थान प्राप्त करने जा रही हैं, इस कदम से देश की राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे तथा 2047 तक विकसित भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।                                                                                                                                                                                               shivshaktibakshi@kamalsandesh.org