असीम संभावनाओं से भरा भारत

| Published on:

देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अमृतकाल’ को ‘कर्तव्य-काल’ का नाम देते हुए हर भारतीय को उनके कर्तव्यबोध की ओर प्रेरित किया है। लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने 10वें संबोधन में उन्होंने 2047 तक ‘विकसित भारत’ के संकल्प को दुहराया। साथ ही, उन्होंने भारत को असीम संभावनाओं एवं युवाओं की अद्भुत क्षमता के बल पर ‘अमृतकाल’ के इस स्वप्न के साकार होने पर विश्वास व्यक्त किया। हजार वर्षों के गुलामी के कालखंड में विपरीत परिस्थितियों के सामने भारत के नायकों के अविस्मरणीय संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने वर्तमान के सुनहरे अवसरों से आने वाले हजार वर्षों की नींव डालने की बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्र आज हजार

आज जब भारत गुलामी की मानसिकता से निकल रहा है तथा ‘पंच प्रण’ के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है, मां भारती जाग चुकी है तथा इसकी 140 करोड़ संतानें नए आत्मविश्वास से परिपूर्ण है

वर्षों की गुलामी एवं हजार वर्षों के सुनहरे भविष्य के मध्य खड़ा है। ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के मंत्र से राष्ट्र की नींव सुदृढ़ होगी, जिससे आने वाले हजार वर्षों के भारत का निर्माण होगा। आज जब भारत गुलामी की मानसिकता से निकल रहा है तथा ‘पंच प्रण’ के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है, मां भारती जाग चुकी हैं तथा इसकी 140 करोड़ संतानें नए आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। आज, जब भारत अपनी नियति को प्राप्त करने को उन्मुख है, पूरा विश्व इसका स्वागत करने को तत्पर है।

पिछले नौ वर्षों में भारत की अद्भुत उपलब्धियों को ठीक से समझा जा सकता है, यदि इन्हें 2014 के पूर्व की परिस्थितियों के संदर्भ में देखा जाए। कांग्रेसनीत यूपीए के उस दौर में जब कुशासन, भ्रष्टाचार, जनता के धन की लूट तथा ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से पूरा देश त्रस्त था, जन-जन के मन में निराशा का भाव घर कर चुका था। भविष्य के लिए कोई आशा दिखाई नहीं दे रही थी तथा राष्ट्र की ऊर्जा दिनों-िदन क्षीण होती प्रतीत हो रही थी। उस दौर की नकारात्मकता की तुलना में आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ऊर्जावान एवं करिश्माई नेतृत्व में देश अविश्सनीय ऊंचाइयों को छू रहा है तथा भारत की असीम संभावनाओं को पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। राष्ट्र को अपने संबोधन में प्रधानमंत्रीजी ने न केवल विभिन्न क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों को रेखांकित किया, बल्कि हर योजना-परियोजना को पूर्व से कई गुणा अधिक हुए बजटीय आवंटन से देश को अवगत कराया। पिछले नौ वर्षों के ‘रिफॉर्म्स’, के साथ-साथ उच्च स्तरीय ‘परफॉर्मेंस’ से पूरे देश में ‘ट्रांस्फॉर्मेशन’ हुआ है जिससे हर क्षेत्र में ‘स्पीड एवं स्केल’ में भारी वृद्धि हुई है। ‘रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांस्फार्म’ का ही परिणाम है कि आज प्रदेशों को यूपीए दौर के दस वर्षों के 30 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर पिछले नौ वर्षों में 100 लाख करोड़ रुपए हस्तांतरित किए गए हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय निकायों को 70 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपए तथा पक्का घर निर्माण के लिए 90 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। देश के छोटे एवं सीमांत किसानों के बैंक खातों में 2.6 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि सीधे हस्तांतरित की जा चुकी है। जिस प्रकार से चुनौतियों को अवसरों में बदलते हुए देश ने कोविड-19 वैश्विक महामारी का सामना किया तथा पूरे विश्व के साथ एकजुट हो अनेक देशों की सहायता की, आज मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को पूरे विश्व में सराहा जा रहा है। आज जब अनेक विकसित देश अब भी कोविड-19 वैश्विक महामारी के दुष्प्रभावों से पूरी तरह से उबर नहीं सके हैं, भारत तीव्र गति से आगे बढ़ते हुए विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना चुका है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत की उपलब्धियां किसी को भी अचंभित करने वाली है।

जहां अनेक अभिनव योजनाओं से पूरे देश में व्यापक परिवर्तन हुआ है, विश्वकर्मा योजना की घोषणा, दो करोड़ लखपति दीदी तैयार करने का लक्ष्य, जन-औषधि केंद्रों के विस्तार और ऐसी अनेक पहलों से देश के गरीब एवं मध्यमवर्ग का व्यापक सशक्तीकरण होगा। प्रधानमंत्रीजी ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद एवं तुष्टीकरण की राजनीति से मुक्ति का आह्वान करते हुए इन बुराइयों से लड़ने का संकल्प दुहराया है।
देश की जनता को अपने ‘परिवारजन’ के रूप में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जन-जन से अपने भावनात्मक संबंध को दुहराया। साथ ही, उन्होंने देश की जनता के साथ उनके परिवारजन के रूप में खड़ा रहने एवं उनके लिए अनथक प्रयास करने के अपने संकल्प को देश के समक्ष रखा। आज, जब देश विकसित भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, पूरा विश्व एक उत्साह एवं आत्मविश्वास से भरे भारत का साक्षात्कार कर रहा है।

shivshaktibakshi@kamalsandesh.org