संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक साथ ‘तीन तलाक’ पर रोक लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया। दरअसल, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को लोकसभा में 28 दिसंबर को वोटिंग कराई गई और अधिकतर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। तीन तलाक विधेयक पर कांग्रेस का भी साथ मिला। कांग्रेस ने तीन तलाक विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के हक में है इस विधेयक में संशोधन को लेकर विपक्ष के कई प्रस्ताव खारिज हो गए। एमआईएम के सांसद श्री असद्दुदीन ओवैसी का प्रस्ताव 2 वोटों के मुकाबले 241 मतों के भारी अंतर से खारिज कर दिया गया।
यह विधेयक सिर्फ तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक पर ही लागू होगा। यह विधेयक एक साथ तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को मजिस्ट्रेट के पास जाने की ताकत देता है और अपनी एवं बच्चों की सुरक्षा एवं जरूरतों की मांग करने का हक देता है। इसके अलावा पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने नाबालिग बच्चे की कस्टडी भी मांग सकती है। इस विधेयक के मुताबिक किसी भी तरह से दिया गया एक साथ तीन तलाक, मौखिक, लिखित, ईमेल, मेसेज या वॉट्सऐप, अवैध और अमान्य होगा। इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक का दोषी पाए जाने पर पुरुष को तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए इस बिल को लाई है। सदन में तीन तलाक बिल पर सवालों के जवाब में श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आया है। हम शरीयत में दखल देने के लिए तीन तलाक बिल बिल नहीं लाए हैं। पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक पर रोक है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही को मुस्लिम बहनें देख रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर मुस्लिम बेटियों और बहनों के अधिकारों के लिए हम सबको एक आवाज में बोलना चाहिए। आज मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन है।
भाजपा सांसद और मंत्री श्री एमजे अकबर ने कहा कि इस्लाम खतरे में है, ये नारा आजादी से पहले देश को बांटने के लिए लगाया जाता था, आज भी यही कहकर समाज में ज़हर फैलाया जा रहा है। दरअसल ट्रिपल तलाक के खिलाफ़ क़ानून से मुस्लिम मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है।
श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने ट्वीटर पर इस बिल के विषय में कहा कि यह “तुष्टिकरण के बिना सशक्तिकरण” है।