रघुवर दास
हम भारतवासी सौभाग्यशाली हैं कि हमें दुनिया के सबसे लोकप्रिय और जनप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व प्राप्त हुआ है, जिसके कारण आज दुनिया में भारत को मान-सम्मान और गौरव प्राप्त हुआ है।
सशक्त, निडर और राष्ट्रभक्ति के प्रेरक नेतृत्व में कोई देश महान कैसे बनता है और दुनिया कैसे उस प्रेरक नेतृत्व को सराहती है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं। नरेन्द्र मोदीजी के महान व्यक्तित्व और भारत को दुनिया के सामने एक महान देश के रूप में प्रस्तुत करने की वीरता व भागीरथी प्रयास की विवेचना से पूर्व इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं की विवेचना भी आवश्यक है। प्रसंग इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है। इंदिरा गांधी 1971 में अमेरिका गयी थीं और अमेरिका से वह मदद चाहती थीं। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन ने एक लॉन में 45 मिनट तक उन्हें इंतजार कराया था। भारत के पूर्व विदेश सचिव और पद्मभूषण महाराजा कृष्ण रसगोत्रा इस अपमानजनक घटना के साक्षी थे। रसगोत्रा ने अपनी आत्मकथा में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा
सशक्त, निडर और राष्ट्रभक्ति के प्रेरक नेतृत्व में कोई देश महान कैसे बनता है और दुनिया कैसे उस प्रेरक नेतृत्व को सराहती है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं। नरेन्द्र मोदीजी के महान व्यक्तित्व और भारत को दुनिया के सामने एक महान देश के रूप में प्रस्तुत करने की वीरता व भागीरथी प्रयास की विवेचना से पूर्व इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं की विवेचना भी आवश्यक है
है कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के साथ इस तरह की कूटनीतिक अपमान की घटना अमेरिकी अहंकार की प्रतीक थी। दूसरा उदाहरण जवाहरलाल नेहरू के साथ जुड़ा हुआ है। चीन युद्ध के दौरान। नेहरू ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति से सहायता मांगी थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने कोई जवाब नहीं दिया था। तीसरा उदाहरण लालबहादुर शास्त्री के साथ जुड़ा है। 1965 के युद्ध में भारत ने महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा किया था और पाकिस्तान की अपमानजनक पराजय हुई थी। उस समय जो हुआ वह पूरा देश जानता है। उपर्युक्त सभी उदाहरणों के पीछे कारण था कि उस समय भारत सशक्त नहीं था। भारत एक तरह से दूसरे देशों की सहायता और सुरक्षा पर निर्भर रहने की मानसिकता में बंधा था।
आज दुनिया की महाशक्ति अमेरिका हो या फिर रूस, चीन हो या फिर यूरोपीय यूनियन के देश, आज कोई भी भारत की अनदेखी नहीं कर पा रहे। हम संयुक्त राष्ट्रसंघ ही नहीं, बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय नियामकों व संस्थाओं में अपने हितों की रक्षा करने में सफल हैं। इसका एक उदाहरण धारा 370 है। धारा 370 की समाप्ति हमारा सबसे बड़ा एजेंडा था। मोदीजी ने देशभक्ति की शक्ति से धारा 370 को समाप्त करने की दृढ़ राजनैितक इच्छाशक्ति दिखायी। इसके उपरांत पाकिस्तान और चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह की पैंतरेबाजी की और भारत को झुकाने की कोशिश की, यह भी सबने देखा। पाकिस्तान के साथ वीटोधारी देश चीन खड़ा था। चीन के सहयोग और समर्थन से पाकिस्तान ने बार-बार संयुक्त राष्ट्रसंघ में धारा 370 हटाने के खिलाफ प्रस्ताव लाने का काम किया, पर पाकिस्तान को बार-बार असफलता हाथ लगी। मोदीजी ने अंतरराष्ट्रीय जगत को दृढ़ता और विश्वास के साथ समझा दिया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हम अपने देश में अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
अभी-अभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तीन दिवसीय यूरोप के दौरे में जिस तरह से भारत का डंका बजा है, जिस तरह से यूरोप में मोदीजी का गुणगान हुआ है उससे हर देशवासियों का सिर ऊंचा हुआ है। यूरोप और अमेरिका के लोग कभी भारत को सांप-संपेरे का देश समझते थे और हम अमेरिका-यूरोप के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों की आगवानी करने के लिए लालायित रहते थे। पर यूरोपीय दौरे के दौरान जिस तरह से मोदीजी को सम्मान मिला और जिस तरह से यूरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मोदीजी के स्वागत किया, उससे साफ हो जाता है कि अब यूरोप के लिए भारत की आर्थिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक शक्ति अनुकरणीय है। फ्रांस और जर्मनी के साथ महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। फ्रांस से हम राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुके हैं। जबकि जर्मनी से मजबूत रिश्ते से हमें यूरोपीय यूनियन से टकराव के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।
सबसे बड़ी उपलब्धि नार्डिक देशों से मजबूत रिश्ते को लेकर मिली है। मोदीजी का दौरा सिर्फ डेनमार्क तक ही सीमित था। लेकिन अन्य नार्डिक देशों के शासनाध्यक्षों की भी इच्छा मोदीजी से मिलने की हुई। उन्होंने मोदीजी को अपने यहां आने का निमंत्रण दिया था। पर मोदीजी ने यात्रा की निर्धारित व्यस्तता के कारण अपनी असमर्थता प्रकट की थी। फिर नार्डिक देश फिनलैंड, आइसलैंड और नार्वे के शासनाध्यक्ष खुद डेनमार्क पहुंच गये और मोदीजी से मुलाकात की। डेनमार्क में ही भारत और नार्डिक विकास शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इन देशों से भारत का व्यापार करीब 15 अरब डॉलर का है, भारत और नार्डिक देश इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। नार्डिक देशों ने ग्रीन एनर्जी में काफी निवेश किया है। भारत भी ग्रीन एनर्जी की सफलता को अपनाना चाहता है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ में विश्वास रखने के कारण कोरोना काल में भारत ने दुनिया को वैक्सीन देकर यह दिखा दिया कि भारत किसी भी संकट के दौर में दुनिया को न केवल मदद करने की शक्ति रखता है, बल्कि भारत एक मददगार के तौर पर भी खड़ा रहेगा। अगर भारत ने वैक्सीन नहीं दी होती, तो फिर दुनिया के कई छोटे-छोटे देश कोरोना की लड़ाई नहीं लड़ पाते। कोरोना के दौरान मोदीजी ने अपने नागरिकों की आर्थिक सहायता और भोजन की व्यवस्था कर महान कार्य किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था का अनुमोदन किया है।
कुछ कर्तव्य नागरिकों का भी होता है। अच्छे शासन और अच्छे शासक का हमेशा सहयोग और समर्थन किया जाना चाहिए। हमारे देश में नकारात्मक लोग अफवाह फैलाने और अच्छे शासन-शासक की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं। हमें विखंडनकारी सोच वाले व्यक्तियों और पार्टियों से हमेशा सावधान रहना होगा। मोदीजी के निरंतर समर्थन से ही भारत फिर से महान बनेगा और दुनिया का सिरमौर बनेगा।
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं)