मीनाक्षी लेखी
जहां नरेंद्र मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की राजनीति कर रही है, वहीं ममता बनर्जी हिंदू उत्पीड़न की कश्मीर शैली को अपनाते हुए पश्चिम बंगाल को एक “मुस्लिम राज्य” घोषित करने के रास्ते पर चल रही हैं। जबसे वह सत्ता में आई हैं तब से बंगाल में हिंदू सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर जेहादियों का उत्पीड़न झेल रहे हैं। कई इलाकों में राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित और सुनियोजित ढंग से हिंदुओं को निशाना बनाये जाने की घटनाओं ने पश्चिम बंगाल को ‘हेट स्टेट ऑफ इंडिया’ में बदल दिया है। चाहे मुसलमानों के मुहर्रम के लिए दुर्गा विसर्जन को स्थगित करना हो या बंगाल के स्कूलों में सरस्वती पूजा पर नबी-दिवस को प्राथमिकता देना हो, ममता सरकार बंगाल को तेजी से एक इस्लामिक राज्य में बदल रही है। बर्दवान विस्फोट, धुलागढ़ में हिंदुओं पर हमला, मालदा और हाल ही में बशीरहट में हिंदुओं पर हमलों से लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार मुसलमानों के लिए, मुसलमानों के द्वारा और मुसलमानों की सरकार है। जल्द ही अन्य सामाजिक समूहों को कश्मीर की तर्ज पर विलुप्त होने की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। जून 2016 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इमामों और मुअज्ज़िनों के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा घोषित भत्ते को असंवैधानिक और जनहित के खिलाफ करार देते हुए खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह भत्ता संविधान के अनुच्छेद 14 और 15/1 का उल्लंघन करता है, जिसके अनुसार राज्य किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, वर्ण, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
अगर हम ममता के आचरण को गहराई से देखें तो उनके पाकिस्तान से सम्बन्ध साफ तौर पर उभर कर आते हैं। पाकिस्तान के एक दैनिक अख़बार ‘द डॉन’ में 29.04.2016 को ‘‘कैनवासिंग इन ‘मिनी पाकिस्तान’ ऑफ कोलकाता’’ कैप्शन के साथ छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी कैबिनेट में शहरी विकास और नगर निकाय मामलों के मंत्री बॉबी फ़िरहाद हाकिम ने एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ टहलते हुए गार्डन रीच को ‘मिनी-पाकिस्तान’ कहकर सम्बोधित किया था। पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ की पत्रकार मलीहा हामिद सिद्दीकी के अनुसार बॉबी फ़िरहाद हाकिम ने उनसे कहा था कि ‘’आइये हम आपको कोलकाता में मिनी पकिस्तान लेकर चलते हैं।” डॉन की रिपोर्टर ने आगे लिखा, “मुझे हाथ में नोटबुक लेकर घूमते हुए देखकर आस-पास के लोग जानना चाहते थे कि मैं किस टीवी चैनल के लिए काम करती हूं। जब मैंने उन्हें बताया कि मैं पाकिस्तान से हूं, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे अपने रिश्तेदारों के बारे में बताया जो पाकिस्तान में रहते हैं।” हाकिम को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का काफी करीबी माना जाता है और वह तृणमूल कांग्रेस की राज्य में बड़े पैमाने पर मुस्लिम तुष्टीकरण और मुस्लिम गुंडाराज को अनुमति देते हुए मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति को नियंत्रित करने के लिए प्रमुख मुस्लिम चेहरा है।
एक दिन बाद संघ के समर्थन से 200 से ज्यादा श्रीराम शोभायात्रा पूरे पश्चिम बंगाम सहित कोलकाता के अलग-अलग हिस्सों में निकाली गई। शोभा यात्रा में हर वर्ग के लोगों ने धर्मग्रंथों में उल्लिखित पारंपरिक हथियार जैसे तलवार, भाला, गदा, धनुष और तीर से सुसज्जित होकर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘जिन लोगों ने इसका आयोजन किया है उन्होंने बंगाल की संस्कृति, हिंदू परंपरा और राज्य की कानून व्यवस्था का उल्लंघन किया है।’ मुख्यमंत्री के इस बयान के कुछ समय बाद ही पश्चिमी मिदनापुर की पुलिस ने विधायक और भाजपा के राज्य प्रमुख दिलीप घोष के खिलाफ 1959 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया, क्योंकि खड़गपुर में राम नवमी (5 अप्रैल 2017) के दिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तलवार के साथ देखे गए थे, लेकिन राज्य में मुसलमानों के लिए दूसरे मापदंड है। मुस्लिम समुदाय के लोग धार्मिक त्यौहारों और कार्यक्रमों का आयोजन बिना किसी इजाजत के भी कर सकते हैं, लेकिन हिंदुओं के इसी तरह के आयोजनों के लिए अक्सर हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ता है क्योंकि राज्य पुलिस इनके आयोजनों की इजाजत नहीं देती। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय मुहर्रम के जुलूसों के दौरान तलवार और अन्य हथियारों का प्रदर्शन खुलेआम बिना किसी प्रतिबंध के करते हैं, लेकिन रामनवमी के आयोजकों को इसी तरह के आयोजनों के लिए पुलिसिया कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। ममता बनर्जी मुस्लिम धर्मगुरूओं और मुअज़्ज़िन्स के साथ अपने भाईयों की तरह व्यवहार करते हुए उनको भत्ते तक प्रदान करती है। वहीं हिंदू धर्मगुरूओं से भाईयों की जगह दुश्मनों की तरह व्यवहार किया जाता है। साथ ही, हिंदू धर्मगुरूओं के इस तरह की मांग पर उन्हें बुरा अंजाम भुगतने तक की धमकी दी जाती है। बंगाल में हिंदुओं और मुसलमान के बीच भेदभाव असीम स्तर पर है।
एक तरफ बंगाल सरकार राज्य में कुरान और उर्दू पर आधारित मदरसा शिक्षा को प्रोत्साहन दे रही है, तो दूसरी तरफ हिंदू संगठनों और संघ से जुड़े विद्यालयों को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। बंगाल सरकार ने राष्ट्रवादी ट्रस्टों द्वारा संचालित 125 विद्यालयों को नोटिस में लिया है। राज्य में इन राष्ट्रवादी ट्रस्टों के 350 से सभी अधिक विद्यालय हैं जिनमें 60 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। यह आंकड़े भी बहुत रोचक हैं कि बंगाल सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा के लिए 2815 करोड़ का एक बड़ा बजट निर्धारित किया है। यह बजट सिंचाई और जलमार्ग के बजट (2410 करोड़ रूपये), बड़े उद्योगों-वस्त्र उद्योग (2154 करोड़ रूपये) और अन्य पिछड़ा और आदिवासी कल्याण विभाग के लिए लिए जारी किए गए बजट (2775 करोड़ रूपये) की तुलना में अधिक है।
बंगाल हमेशा गवाह रहा है कि कुछ संगठनों ने मिलकर राज्य में एंटी-हिंदू नीतियों को बढ़ावा दिया है, जो कि राज्य की कई राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा से मेल खाती है। उदाहरण के लिए कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों ने लंबे समय तक अपनी एंटी-हिंदू विचारधारा का इस्तेमाल गैर-हिंदू बहुल संसदीय क्षेत्रों में सत्ता प्राप्ति के लिए करती रही है। विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं को बंगाल में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किया गया। 1951 में राज्य की हिंदू जनसंख्या 78.45 प्रतिशत थी जो आश्चर्यजनक रूप से गिरकर 2011 की जनगणना में 70.54 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
इसलिए यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि भाजपा की धर्मनिरपेक्ष छवि अन्य राजनीतिक दलों में बैचेनी का कारण बन रही है। बंगाल में भाजपा का उदय ममता बनर्जी की सांप्रदायिक राजनीति के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। भाजपा के बढ़ते जनाधार के कारण ममता बनर्जी इतनी डरी हुई है कि उन्होंने हाल ही में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं रूपा गांगुली और कैलाश विजयवर्गीय को फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी गई जो कि भाजपा के बढ़ते प्रभाव को दबाने की कोशिश है।
सभी मामलों के केंद्र में राज्य की 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक है, जिनमें अधिकतर अवैध रूप से बांग्लादेश से आए आप्रवासी नागरिक है। जिन्हें पहले कम्युनिस्ट पार्टी ने वैधता दी अब यही काम ममता बनर्जी कर रही है। 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी नागरिकों में से 1.5 करोड़ मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता और मतदान का अधिकार दिया गया है। ममता बनर्जी अच्छी तरह जानती है कि उनके द्वारा लाभान्वित 30 प्रतिशत काडर राज्य की सत्ता प्राप्ति के लिए काफी है। वास्तव में ममता की जीत के पीछे हमेशा मुसलमानों का जनसांख्यिकीय झुकाव है। राज्य में बड़ी संख्या में इमामों, मुल्लाओं और कट्टरपंथी ताकतों द्वारा मुस्लिम वोट बैंक को नियंत्रित किया जाता है जो छदम् रूप से सरकार में भागीदार होते हैं।
पश्चिम बंगाल में 2200 किलोमीटर की भारत-बांग्लादेश सीमा है जो हरकत-उल- जिहादी अल इस्लामी (हुजी) और जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) के लिए भारत में घुसपैठ करने का सबसे उपयुक्त मार्ग है। हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 2010 हुजी और जेएमबी के आतंकियों ने तीन राज्यों के माध्यम से भारत में घुसपैठ किया है, इनमें से करीब 720 अकेले पश्चिम बंगाल के रास्ते से आए है। हालांकि बंगाल सरकार के अधिकारियों को इस रिपोर्ट पर संदेह है। इसके बावजूद कि 2014 और 2015 में क्रमशः 800 और 659 आतंकवादियों ने बंगाल के रास्ते से घुसपैठ की थी। वहीं ढाका गुलशन कैफे विस्फोट के मास्टमाइंड और कुख्यात आतंकी बंगाल के एक होटल में ठहरे थे। आतंकी घुसपैठ पर हमेशा ममता बनर्जी यह कहती है कि सीमाओं की सुरक्षा केंद्र के जिम्मे होती है। वहीं तथ्य यह है कि केंद्र पश्चिम बंगाल को संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी रखने के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैय्या करवा रहा है, लेकिन इसके बावजूद वर्तमान में पश्चिम बंगाल की सीमाएं आतंकवादियों और तस्करों के लिए सुगम रास्ता अभी भी बनी हुई हैं।
ममता बनर्जी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार भी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। आरोप है कि 31 मार्च 2016 में विवेकानंद मार्ग पर निर्माणाधीन फ्लाइओवर के गिरने के पीछे भी स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता का हाथ था। टीएमसी के नेता द्वारा फ्लाइओवर के निर्माण में दोयम दर्जे की निर्माण सामाग्रियों की आपूर्ति की गई थी, जिस कारण 27 लोगों को अपनी जिंदगियां गंवानी पड़ी थी। ममता बनर्जी के नेतृत्व के दौरान टीएमसी नेताओं के उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का पर्याप्त सबूत शारदा चिट-फंड घोटाला, रोज वेली और नारदा स्टिंग के माध्यम से समझा जा सकता है।
6 जुलाई 2017 को बंगाल के जनक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 126वें जयंती पर राज्य इस बात का गवाह है कि जो डर 1946 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ‘बंगाली हिंदू मातृभूमि आंदोलन’ के दौरान महसूस किया था, जब ब्रिटिश संरक्षण में जिन्ना की नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन डे (ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स) और नोआखली दंगों के दौरान 9000 हजार से अधिक हिंदुओं का नरसंहार किया था। हालांकि इतिहास खुद को दोहराता है, जिन्ना की मुस्लिम लीग की तरह ही ममता बनर्जी भी एक ऐसा माहौल बना रही है, जिसे बंगाल में हिंदूओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के रूप में याद रखा जाएगा।
(लेखिका भाजपा सांसद हैं)