गुलामी की मानसिकता से मुक्त ‘कर्तव्य पथ’

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‘राजपथ’ का ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में नामकरण ‘पंच प्रण’ को पूरा करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस अवसर पर नेताजी की प्रतिमा के अनावरण के साथ ‘कर्तव्य पथ’ का भव्य शुभारंभ एक उभरते हुए ‘नए भारत’ का संकेत करता है जो अपने स्वप्नों को साकार करने के लिए कृतसंकल्पित है। इस उत्सव की आभा से पूरे देश में एक नए उत्साह एवं उमंग का संचार हुआ है। भारतीय वाद्य यंत्रों एवं संगीत की धुनों के बीच इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने संबोधन में एक विकसित भारत, जो जनाकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता रखता हो, ऐसे भारत की कल्पना को देश के सामने रखा। यह अवसर देश के उस ऐतिहासिक मोड़ पर आयोजित हुआ, जहां से देश राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के नए युग में प्रवेश कर ‘नए भारत’ की संकल्पना को साकार करने का संकल्प ले रहा है।

मोदी सरकार के निर्णयों में दासता के चिह्नों
से मुक्ति के प्रयास निरंतर देखे जा सकते हैं।
जहां राजपथ का नाम ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया
गया है तथा इंडिया गेट पर जहां कभी किंग
जाॅर्ज पंचम की प्रतिमा थी, वहां नेताजी की
प्रतिमा का अनावरण किया गया है

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी देश में दासता के कई चिह्न अभी भी विद्यमान हैं और उनका महिमामंडन उन शक्तियों के द्वारा किया जाता है जो भारत की गति में अवरोध पैदा करना चाहती हैं। लालकिले की प्राचीर से इस स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को अपने संबोधन में आने वाले 25 वर्षों के ‘अमृतकाल’ हेतु ‘पंच प्रण’ के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान किया है। इन ‘पंच प्रण’ में उन्होंने विकसित भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने हेतु औपनिवेशिक दासता की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया है। मोदी सरकार के निर्णयों में दासता के चिह्नों से मुक्ति के प्रयास निरंतर देखे जा सकते हैं। जहां राजपथ का नाम ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया गया है तथा इंडिया गेट पर जहां कभी किंग जाॅर्ज पंचम की प्रतिमा थी, वहां नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। कई ऐसे निर्णय भी लिए गए हैं जिससे ‘नए भारत’ की झांकी दिखाई देती है। ‘रेस काॅर्स रोड’ जिस पर प्रधानमंत्री निवास अवस्थित है अब ‘लोक कल्याण मार्ग’ है, बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में अब भारतीय संगीत सुनाई पड़ती है। भारतीय जलसेना ने हाल ही में दासता के चिह्न को हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रतीक अपनाया है। बजट जो अब तक ब्रिटिश संसद के समयानुसार था, अब भारतीय समयानुकूल किया गया है। राष्ट्रीय समर स्मारक एवं राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का निर्माण हुआ है, भारतीय भाषाओं को एनईपी के माध्यम से पुनर्प्रतिष्ठित कर देश के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा से मुक्ति दिलाने के प्रयास शुरू हुए हैं। कई औपनिवेशिक कानून को समाप्त किया गया है तथा ऐसे ही अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय देश की दासता की मानसिकता से मुक्ति दिलाने हेतु लिए गए हैं।

जहां ‘पंच प्रण’ में से एक औपनिवेशिक दासता की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान करता है, वहीं दूसरा देश की समृद्ध विरासत पर गौरव करने को भी प्रेरित करता है। इस ‘प्रण’ के लिए प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप आज स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ का निर्माण, अंडमान द्वीपों का नेताजी के नाम पर नामकरण, प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण, जनजातीय संग्रहालय, बाबा साहेब का ‘पंच तीर्थ’ का निर्माण, देश की संस्कृति एवं सभ्यता के केंद्रों को भव्य-दिव्य रूप देने का प्रयास तथा देश में ‘अमृतकाल’ के संकल्पों के अनुरूप सांस्कृतिक अवसंरचना एवं आधुनिकीकरण के कार्य को देखा जा सकता है। ‘राजपथ’ जो ब्रिटिश काल के ‘किंग्सवे’ का हिंदी नामांकरण था, शासन के लोगों पर ‘राज’ करने की मानसिकता को दर्शाता है, जबकि ‘कर्तव्य पथ’ हर नागरिक को एक विकसित भारत के निर्माण में उसकी भूमिका का दायित्वबोध कराता है। अपने ‘पंच प्रण’ के आह्वान में भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर नागरिक में राष्ट्र के प्रति कर्तव्य बोध के महत्व पर बल दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि राष्ट्रीय समर स्मारक से कर्तव्य पथ एवं राष्ट्रपति भवन तक का पूरा क्षेत्र जन-जन में नई प्रेरणा, कर्तव्य बोध और ऊर्जा का संचार करेगा एवं ‘राष्ट्र प्रथम’ का मंत्र हर हृदय में गुंजायमान होगा।
shivshaktibakshi@kamalsandesh.org