केजी मारार: केरल के सामाजिक-राजनीतिक जगत के एक महान नेता
श्री केजी मारार ने केरल में डेढ़ दशक तक भाजपा का नेतृत्व किया। भाजपा, जनसंघ और रा.स्व.संघ में उनका योगदान शब्दों से कहीं अधिक है। वह अपनी बुद्धि, दृढ़ संकल्प, समर्पण, चतुराई और नजरिये के साथ साढ़े तीन दशक से अधिक समय तक केरल के सामाजिक-राजनीतिक जगत के एक महान नेता रहे। संघ के साथ उनके जुड़ाव ने उनकी राष्ट्रीय भावना को प्रज्ज्वलित किया और उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। उन्होंने शिक्षक के तौर पर अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर, सीपीएम के गढ़ कन्नूर में जनसंघ के लिए काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने खतरों और बाधाओं का सामना करते हुए, ईंट-दर-ईंट लगाकर राजनीतिक नींव रखी।
उन्हें जनसंघ का प्रदेश मंत्री बनाया गया। उन्होंने केरल में भाजपा स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने पार्टी संगठन में प्रदेश महामंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित विभिन्न दायित्वों पर कार्य किया। उनका जीवन सिद्धांतवादी राजनीति को समर्पित रहा और उन्होंने प्रदेश में आदिवासियों एवं मछुआरा समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। श्री मारार ने सत्ता के लिए अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। उन्हें 1975 में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था और 18 महीने की कैद हुई थी। जेल से रिहा होने के बाद श्री केजी मारार को जनता पार्टी ने राज्य परिषद् का सदस्य बनाया। विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ना उनके राजनीतिक मिशन का ही विस्तार था। मंजेश्वरम चुनाव में उन्हें 1,000 मतों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा। अपने अनुभव से उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया था कि भाजपा को हराने के लिए सीपीएम और कांग्रेस हाथ मिला सकती है और यह बात सही साबित हुई। मारारजी ने यह भी भविष्यवाणी की थी कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन, दु:ख की बात है कि वह श्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेते हुए देखने के लिए जीवित नहीं रहे।