‘मदन दास देवी जी को व्यक्ति की क्षमता और उसकी सीमाओं को पहचानने में महारत हासिल थी’

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने 31 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं महान समाजसेवी आदरणीय मदनदास देवी जी की श्रद्धांजलि सभा में पहुंच कर उन्हें अपनी और भारतीय जनता पार्टी की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। ज्ञात हो कि आदरणीय श्री मदनदास देवी जी का 24 जुलाई 2023 को बेंगलुरु में निधन हो गया था। श्री नड्डा ने 25 जुलाई को पुणे जाकर उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन भी अर्पित किया था।

श्रद्धेय मदनदास देवी जी की श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए श्री नड्डा ने कहा कि सम्माननीय मदनदास देवी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए इतनी बड़ी संख्या में तीन पीढ़ियों के कार्यकर्ता एकत्रित हुए हैं, यह श्रद्धेय मदनदास देवी जी के व्यक्तित्व, कृतित्व, त्याग एवं उनकी तपस्या को दर्शाता है। कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की पहचान उसकी लंबी छाया से होती है। आज लाखों कार्यकर्ता आदरणीय मदनदास देवी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रभावित होकर अपना जीवन समाज के लिए लगाया है, यही मदनदास देवी जी के जीवन का सूत्र है। उनका स्वभाव सबके लिए बहुत ही सरल, सहज और कोमल था जबकि खुद के लिए बहुत ही कठोर था। उन्होंने जिस समय छात्रों के बीच काम किया, वह कोई अनुकूल परिस्थिति नहीं थी बल्कि हमारे लिए बहुत ही प्रतिकूल परिस्थिति थी। उस प्रतिकूल समय में स्टूडेंट एक्टिविज्म को खड़ा करना, लाखों कार्यकर्ताओं को समर्पित भाव से खड़ा करना, इमरजेंसी जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी संगठन को आगे बढ़ाना, आदरणीय मदनदास देवी जी की खूबी थी।

उन्होंने कहा कि श्रद्धेय मदनदास देवी जी को व्यक्ति की क्षमता और उसकी सीमाओं को पहचानने में महारत हासिल थी। वे व्यक्ति की ताकत भी जानते थे, सीमाएं भी जानते थे और उसके अनुकूल क्या कार्य देना है, इसे ध्यान में रख कर ही वे उस व्यक्ति को काम देते थे। हम लोगों ने सामूहिकता में अनामिकता की बात उनसे ही सुना था।

श्री नड्डा ने कहा कि आदरणीय मदनदास देवी जी किसी भी विषय के अंतिम पड़ाव तक बहुत ही संयम के साथ बैठते थे। मुझे याद है कि मैं किसी विषय में कहता था कि फैसला नहीं हुआ, तो वे कहते थे कि समय के अनुसार विषय को मुड़ने दो। मैं कहता था कि यह मुड़ना क्या होता है तो वे कहते थे कि जो विषय दिया है, उस पर चर्चा होगी और चर्चा होते-होते स्वाभाविक रूप से फैसले की ओर वह विषय आएगा ही। जब तक कोई विषय स्वाभाविक रूप से हमारे बीच नहीं आये, तब तक इंतजार करना ही हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हमलोगों को सामूहिक रूप से चलना है। साथ ही, सामूहिकता में सर्वसम्मति से निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने लाखों कार्यकर्ताओं के जीवन में लक्ष्य स्थापित किये। प्लानिंग इन एडवांस, प्लानिंग इन डिटेल, थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली आदि सूत्र वाक्यों ने संगठन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये सभी चीजें उनके बताये रास्तों में झलकती थी।

उन्होंने कहा कि श्रद्धेय देवी जी के पास पैनी निरीक्षण की ताकत थी। आप क्या कह रहे हैं, क्या कहना चाहते हैं और उसके पीछे के कारण क्या हैं— इन तीनों में भेद करने की क्षमता उनमें थी। वे कई बार हम लोगों को समझाते थे कि संवाद करना और संवाद में अपने आपको शामिल करना तथा उस संवाद में से अपने आप को निकाल लेना, यह संवाद की कला है। प्रवास करना और उस प्रवास के माध्यम से संगठन को कैसे आगे ले जाया जा सकता है, इसे गहराई से समझना तथा संगठन के सूत्र से, छोटी-छोटी बातों से उन्होंने हमें अवगत कराया है। आज हम कह सकते हैं कि विद्यार्थी परिषद् दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। तीन दशक में प्रयास से यह बना है और इसके पीछे शक्ति थी, वह आदरणीय मदन दास देवी जी की थी। उन्होंने अखिल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को सबसे बड़ा छात्र सगंठन बनाया है।

उन्होंने कहा कि हमें आज भी याद है, 1985 में राष्ट्रीय युवा वर्ष था। यहीं दिल्ली के राजघाट के सामने हम सब लोग एकत्रित हुए थे। उस कार्यक्रम में लगभग 10,774 डेलिगेट्स शामिल हुए थे जो दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन था। लगभग उसी समय रूस में यूथ कांफ्रेंस हुआ था, उसमें शामिल होने वाले डेलिगेट्स की संख्या महज 3,500 पर सीमित हो गई थी। श्रद्धेय मदनदास देवी जी ने विद्यार्थी परिषद् को स्थापित किया और बाद में हम सब लोगों ने देखा कि संघ के दायित्व में विभिन्न जिम्मेवारियों को निभाते हुए उन्होंने अपना जीवन लगाया। लोगों से सतत संपर्क रखना, हर परिस्थिति में कार्यकर्ता की चिंता करना, उससे निरंतर संपर्क रखना—यह उनकी विशेषता थी।

श्री नड्डा ने कहा कि हम सब के लिए उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सब उनके रास्ते पर चलें और उनके बताए हुए संगठन के मंत्र को पूरा करें।