पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए 20 अगस्त को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में सार्वजनिक सर्वदलीय प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आध्यात्मिक गुरु, राजनीतिक दलों के प्रमुख नेतागण, केंद्रीय मंत्रीगण सहित विभिन्न क्षेत्रों की गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं।
प्रार्थना सभा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अटलजी से जुड़ी कई यादों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि 11 मई को परमाणु परीक्षण अटलजी की दृढ़ता की वजह से हुआ। उसके बाद दुनिया ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन ये अटलजी ही थे, जो 11 मई को परीक्षण के बाद 13 मई को एक बार फिर दुनिया को चुनौती देते हुए भारत की ताकत का अहसास कराया। श्री मोदी ने कहा कि जीवन कितना लंबा हो, यह हमारे हाथ में नहीं है लेकिन जीवन कैसा हो, ये हमारे हाथ में है और अटलजी ने करके दिखाया कि जीवन कैसा हो, क्यों हो, किसके लिए हो और कैसे हो। अटलजी नाम से ही ‘अटल’ नहीं थे, उनके व्यवहार में भी ‘अटल भाव’ नजर आता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयीजी इतने लंबे समय तक विपक्ष में रहे और फिर भी उन्होंने विचारों की धारा को नहीं खोया, ये बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जब तक जिए, देश के लिए जिए।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरी अटलजी से मित्रता 65 साल से थी। अटलजी भोजन बहुत अच्छा पकाते थे, वह चाहे खिचड़ी ही सही। मैंने उनसे से बहुत कुछ पाया है। उनकी गैरमौजूदगी में बोलने पर मुझे बहुत दु:ख हो रहा है।
प्रार्थना सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने अटलजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मुझे अटलजी का सान्निध्य ज्यादा नहीं मिला। तरुण अवस्था में मैं भी उनका भाषण सुनने के लिए जाया करता था। श्री भागवत ने कहा कि अटलजी की सबके साथ मित्रता थी। सार्वजनिक जीवन पर इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी वे सामान्य जन के प्रति बेहद संवेदनशील थे। अटलजी ने विपरीत हालातों में काम किया। उनके शब्द और उनका जीवन, दोनों में एकरूपता थी।
प्रार्थना सभा में गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद अटलजी सबको साथ लेकर चले। अटलजी को जानने वाला हर व्यक्ति उनसे प्रभावित है। श्री सिंह ने कहा कि अटलजी के निधन से सभी को पीड़ा हुई है। उनका व्यक्तित्व बहुत महान था।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री श्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि अगर अटलजी को याद रखना है तो इस देश को ऐसा बनाओ, जिसमें प्रेम इतना हो, कि इस देश के सामने दुनिया झुकने आ जाए। दुनिया कहे कि ये देश है जो प्रेम बांटता है। प्रेम को बांटिए, यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी हमारी अटल बिहारी वाजपेयी के लिए। मुबारक है, इस धरती को जिसने अटल को पैदा किया। मुझे भी उन्हें समझने का वक्त मिला। अल्लाह से दुआ करता हूं कि उन्हीं के रास्ते पर चलकर इस देश को इतना मजबूत बनाऊं कि कोई इस देश को हिला न सके।
कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह अद्भुत सभा है, जिसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के हर कोने के नेता व दल मौजूद हैं। विचारधारा अलग-अलग है, लेकिन सभी एक हाल में जमा हैं। यही अटलजी का व्यक्तित्व है कि सभी यहां एक साथ है। लोजपा नेता व केंद्रीय मंत्री श्री रामविलास पासवान ने कहा कि मैं बचपन से ही वाजपेयी की भाषण शैली से प्रभावित रहा हूं। जब दिल बड़ा हो तो दल अपने आप बड़ा हो जाता है। योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि यह शोकसभा नहीं गौरव सभा है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता सुश्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वाजपेयी जी जम्मू-कश्मीर के लिए मसीहा थे। जमीयते उलेमा ए हिंद के मौलाना मदनी ने कहा कि अटलजी भारत रत्न नहीं अनमोल रत्न थे।
सभा में आए सभी लोगों का आभार जताते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने अटलजी को अजातशत्रु, राजनेता के साथ संवेदनशील कवि, स्वभावगत पत्रकार, प्रखर वक्ता, जागरुक सांसद बताया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता श्री शरद यादव, संत अवधेशानंद गिरि, लोकसभा उपाध्यक्ष व अन्नाद्रमुक के नेता श्री थंबीदुरई, राज्यसभा के उप सभापति श्री हरिवंश, बसपा के नेता श्री सतीश मिश्र, भाकपा के नेता श्री डी. राजा, तृणमूल कांग्रेस के श्री डेरेक ओ. ब्रायन, अकाली दल की केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर, शिवसेना नेता श्री सुभाष देसाई, बीजद के श्री शशिभूषण बेहरा, तेलुगु देशम के श्री वाई.एस. चौघरी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा में राजद, आम आदमी पार्टी, इनेलो, राकांपा, अगप, समेत विभिन्न दलों के नेता उपस्थित थे।