ऑपरेशन गंगा : भारत के सबसे लंबे निकासी अभियान में से एक

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विजय चौथाईवाले प्रभारी, विदेश मामले विभाग भाजपा

‘ऑपरेशन गंगा’ भारत के सबसे बड़े निकासी अभियानों में से एक है, जिसे ऑपरेशन ‘देवी शक्ति’ के बाद विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरंभ किया गया था। गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दौरान ऑपरेशन ‘देवी शक्ति’ शुरू किया गया था। और अब ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे लगभग 22,500 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया, जो एक सराहनीय कार्य है। भारत न केवल ‘ऑपरेशन गंगा’ के माध्यम से भारतीय नागरिकों को निकालने में सफल रहा, बल्कि नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के नागरिकों को उनके देशों तक सुरक्षित पहुंचाने में भी मदद की। भारत ने रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और मोल्दोवा से अपने नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला। दरअसल इन देशों तक यूक्रेन में फंसे भारतीय सड़क और रेल मार्ग से पहुंचे थे। यह ऑपरेशन फरवरी, 2022 में शुरू हुआ और 10 मार्च तक लगभग 80 उड़ानों के माध्यम से भारतीयों को निकाला गया। प्रारंभ में नागरिक एयरलाइनों का उपयोग निकासी प्रक्रिया के लिए किया गया, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति बदली, भारतीय वायु सेना को भी इस कार्रवाई में शामिल किया गया। सिविल एयरलाइंस के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को निकालना संभव नहीं था और इसलिए इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भारतीय वायुसेना को इस ऑपरेशन में शामिल किया गया। इसके लिए सी-17 ग्लोबमास्टर को ऑपरेशन में लगाया गया, जो एक बार मे 400 यात्रियों को लेकर उड़ान भर सकता है। सी-17 ने न केवल यूक्रेन से लोगों को भारत वापस लाने में मदद की, बल्कि मानवीय सहायता के तौर पर भोजन, ईंधन, चिकित्सा आपूर्ति और अन्य आवश्यक वस्तुओं को यूक्रेन तक भी पहुंचाया।

पहले भी कई मौकों पर भारत एक ऐसा देश साबित हुआ है जो मुश्किल समय में अपने नागरिकों के साथ खड़ा रहा है। इससे पहले 1990 में पहली बार किसी निकासी अभियान को अंजाम दिया गया था, जिसमें कुवैत में फंसे 1,70,000 से अधिक भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया था। 2006 में ऑपरेशन ‘सुकून’ ने लेबनान और इज़राइल संघर्ष के दौरान श्रीलंकाई और नेपाली नागरिकों सहित 2,280 लोगों को निकाला। 2011 में ऑपरेशन ‘सुरक्षित घर वापसी’ के तहत संघर्षग्रस्त लीबिया से लगभग 15,400 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकाला था। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस तरह के अभियानों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार भारत की सराहना हुई है। 2015 में भारत ने यमन और हैती विद्रोहियों के बीच संघर्ष के दौरान हजारों भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन ‘राहत’ की शुरुआत की। 2016 में 28 क्रू सदस्यों सहित 242 भारतीयों को आतंकवादी हमलों के दौरान ब्रसेल्स से सफलतापूर्वक एयरलिफ्ट किया गया था। समुद्र मार्ग से कोविड महामारी के दौरान 3992 नागरिकों को भारत वापस लाने के लिए वर्ष 2020 में ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ शुरू किया गया था। कोविड प्रभावित देशों से भारतीयों को निकालने के लिए ‘वंदे भारत मिशन’ वर्ष 2020 में शुरू किया गया था और इसके माध्यम से कई चरणों में 60 लाख से अधिक भारतीयों को निकाला गया। यूक्रेन युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी के लिए 80 उड़ानें भरी गयीं, जिसमें से करीब 46 निजी एयरलाइंस द्वारा संचालित थीं। इन उड़ानों में 29 बुखारेस्ट रोमानिया, 10 बुडापेस्ट हंगरी, छह रेज़ज़ो पोलैंड और एक कोकिस स्लोवाकिया से संचालित की गयी। सभी नागरिकों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों से नि:शुल्क भारत लाया गया, जिसके लिए भारत सरकार को प्रति उड़ान 66-70 करोड़ रुपये का खर्च होने की उम्मीद है।

भारतीय नागरिकों और भारत सरकार के बीच आवश्यक संवाद सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय ने 24 घंटे चलने वाला नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। जिसके माध्यम से प्राप्त प्रत्येक ‘पूछताछ’ को डेटाबेस में सत्यापित किया गया और उन्हें आवश्यक राहत योजना से अवगत कराया गया। इस दौरान भारत की कूटनीति ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण पूर्वी यूरोप के पड़ोसी देशों ने भारतीय नागरिकों को आवश्यक सहायता प्रदान की। उदाहरण के लिए पोलैंड ने अपनी सीमाओं में प्रवेश करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताओं को माफ कर दिया।

उधर रुस-यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीयों की निकासी को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में लिया। उन्होंने कई पड़ोसी देशों के मंत्रियों, नौकरशाहों, भारतीय दूतावासों और सरकारों को इसमें शामिल किया और विभिन्न उच्चस्तरीय बैठकों के माध्यम से पूरी स्थिति की निगरानी की। इस प्रक्रिया को तेज करने और भारतीय नागरिकों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए चार भारतीय कैबिनेट मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देशों में पहुंचे। इस दौरान केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू को स्लोवाक गणराज्य, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी को हंगरी और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) श्री वीके सिंह को ऑपरेशन गंगा के तहत पोलैंड भेजा गया।

जैसे-जैसे संघर्ष तेज होता गया, असली चुनौती उन भारतीयों को निकालने की थी, जो पूर्वी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। भारत ने यूक्रेन और रूस के साथ अपनी चर्चा में लोगों को युद्ध क्षेत्रों से दूर जाने की सुविधा के लिए मानवीय मार्ग बनाने का सुझाव दिया था। अब चीजें अधिक जटिल हो रही थीं, क्योंकि यूक्रेन का हवाई क्षेत्र बंद हो गया था और इसलिए कीव और खार्किव जैसे शहरों से सीधे निकासी असंभव हो गई थी। ऐसे में लोगों को निकटतम सीमाओं पर जाने का सुझाव देते हुए सलाह जारी की गई। ऐसे कई उदाहरण हैं जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से युद्धविराम कर, युद्ध प्रभावित क्षेत्र से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए बात की। उदाहरण के लिए सुमी में फंसे 694 छात्र श्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह पर बनाये गये मानवीय गलियारों के माध्यम से पोल्टावा जाने में सक्षम हुए।

इस आपरेशन में आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए स्वेच्छा से गैर-सरकारी संगठनों द्वारा भी एक प्रमुख भूमिका निभाई गई। सेवा इंटरनेशनल, इस्कॉन, आर्ट ऑफ लिविंग, बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था, कई गुरुद्वारों, पोलैंड और हंगरी जैसे पड़ोसी देशों में हिंदू मंदिरों के संगठनों ने संघर्ष से प्रभावित लोगों को आश्रय और भोजन प्रदान किया। जान गंवाने वाले लोगों के लिए दुनिया भर के कई मंदिरों में प्रार्थना की गई और युद्ध को जल्द से जल्द बंद करने के लिए भी प्रार्थना की गई।

रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के दौरान भारत की रणनीतिक तटस्थता की वैश्विक स्तर पर सराहना की गई है। भारत ने हिंसा की निंदा की और यूक्रेन को आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान की। आम लोगों की सुरक्षित आवाजाही के लिए दोनों देशों के साथ बातचीत की और किसी का भी पक्ष नहीं लिया, भारत के इस रुख ने हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक लिहाज से काफी कुछ हासिल किया है। चाहे 2015 में नेपाल भूकंप के दौरान निकासी हो या 2022 का यूक्रेन संकट, भारत ने कई अभियानों के माध्यम से न केवल अपने नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला है, बल्कि अन्य राष्ट्र के नागरिकों को सभी सुरक्षित निकालने में मदद की है। देखा जाए तो दुनिया भर में भारतीय मूल के अप्रवासी फैले हुए है, तो ऐसी स्थितियों का सामना भविष्य में भी किया जा सकता है। ऐसे में ‘ऑपरेशन गंगा’ की सफलता से भारतीयों में यह विश्वास पैदा हुआ है कि चाहे वे कहीं भी हों, उनकी सुरक्षा भारत सरकार की प्राथमिकता में है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक मित्र राष्ट्र के रूप में अपनी छवि विकसित की है जो हमेशा अपने प्रवासी के साथ खड़ा रहा है और संकट की स्थिति के दौरान अन्य देशों के लोगों की भी मदद करता आया है। इस ऑपरेशन में शामिल हितधारक भारत सरकार, अधिकारी, एयरलाइन कंपनियां और उनके कर्मचारी, भारतीय वायु सेना और वे नागरिक एवं उनके परिवार जिन्होंने धैर्यपूर्वक प्रक्रियाओं का समर्थन और पालन किया, उन सभी को इस आपरेशन की सफलता का श्रेय दिया जाना चाहिए।