सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2 लाख 11 हजार करोड़ रुपये का पुनर्पूंजीकरण

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भाजपानीत केंद्र की राजग सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आरंभिक निवेश हेतु धनराशि उपलब्ध कराने के लिए बैंकों के पूंजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है, ताकि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण की राशि में वृद्धि हो और अधिकाधिक रोजगार सृजन हो सके। 24 अक्टूबर को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इसके लिए चालू वर्ष में अधिकतम आवंटन तथा आगामी दो वर्षों के दौरान लगभग 2,11,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रावधान किया जाएगा, जिसके लिए 18,139 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान, लगभग 1,35,000 करोड़ रुपये का पुनर्पूंजीकरण बांड जारी करने तथा शेष राशि के लिए बैंकों द्वारा बाजार से पूंजी जुटाने और सरकारी इक्विटी को भुनाकर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये संभावित) धनराशि जुटाने की आवश्यकता है।

सरकार का कार्य केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण तक ही सीमित नहीं है। पूंजीकरण के साथ ही उन्हें वित्तीय प्रणाली में प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए सुनिश्चित कदम उठाए जाएंगे। जिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैंकिंग क्षेत्र में 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, उन्हें और अधिक विकास करने के लिए और बर्धित ऋण की राशि को उठाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस दिशा में देशभर में ‘मुद्रा प्रोत्साहन’ का अभियान चलाकर काम शुरू कर दिया गया है।

वित्तपोषण और बाजार तक पहुंच में वृद्धि करके सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास पर व्यापक बल दिया जाएगा तथा 50 कलस्टरों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को वित्तपोषित करने का अभियान चलाया जाएगा। इस संबंध में संबंधित मंत्रालयों द्वारा नेतृत्व किया जाएगा एवं अभियान को गति प्रदान की जाएगी। ऋण के लिए किए गए आवेदनों पर बैंकों द्वारा निर्बाध रूप में त्वरित कार्रवाई की जाएगी। मूल्यांकन प्रक्रिया को कम करने और सही ऋण आवेदनों को प्रस्तुत करने के लिए फिनटेक कंपनियों (वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों) से सहायता ली जाएगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को निम्नलिखित के माध्यम से सहायता प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाएगा।

नकदी चक्र को कम करने के लिए बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा 90 दिनों के भीतर व्यापार प्राप्य इलेक्ट्रानिक छूट प्रणाली (टीआरईडीएस) पंजीकरण को अनिवार्य बनाना

क्षेत्रक-विशिष्ट मुद्रा वित्तीय उत्पाद जैसेकि मुद्रा लेदर, मुद्रा टेक्सटाइल, आदि

तेजी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए 100 बैंक अनुमोदित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों से संबंधित परियोजनाओं को आदर्श बनाया गया है

संपुष्ट in पोर्टल शुरू किया गया है, ताकि बैंकों द्वारा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों से संबंधित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए प्रतिस्पर्धा आधार पर कार्य किया जाए।

जीईएम (गवर्नमेंट इलेक्ट्रानिक बाजार) पोर्टल और ई-वाणिज्य प्लेटफॉर्म पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को पंजीकृत करने के लिए अभियान चलाया जाए

यह याद रखा जाए कि अतिरिक्त क्षमता से युक्त किंतु उपयुक्त परिश्रम को निम्न मात्रा में करने वाले सेक्टरों को बहुत अधिक ऋण देने के कारण दबाव में स्थित आस्तियां सृजित हुई हैं, जो मार्च 2014 तक बढ़कर 11.9 प्रतिशत हो गई है।

यूपीए सरकार के कुप्रबंधन के कारण फंसे ऋणों में भारी वृद्धि

पिछली यूपीए सरकार के कुप्रबंधन व भ्रष्टाचार के कारण बैंकों के फंसे ऋणों में भारी वृद्धि हुई। इस हेतु स्पष्ट और पूर्णत: तैयार किए गए बैंक तुलन-पत्रों की जांच के लिए वर्ष 2015 की गई आस्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) से यह पता चला कि काफी अधिक मात्रा में अनर्जक आस्तियां सृजित हो गई हैं। दबाव में स्थित ऋण जिन्हें पूर्व में ऋण पुनर्गठन के लिए दी गई छूट के अंतर्गत चुकाया नहीं गया, के लिए हुई हानि के अंतर्गत स्थित ऋण का अनर्जक आस्ति के रूप में पुनर्वर्गीकरण किया गया, जिसके लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अनर्जक आस्तियों की पहचान करके उन्हें निपटाने की प्रक्रिया आरंभ की तथा आपेक्षित हानि के लिए राशि उपलब्ध कराई।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सकल अनर्जक आस्ति 2015 के बाद से तेजी से बढ़ी और मार्च 2015 के 5.43 प्रतिशत (2,78,466 करोड़ रुपये) से बढ़कर जून 2017 में 13.69 प्रतिशत (7,33,137 करोड़ रुपये) हो गई। अनुमानित हानि के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली राशि में पर्याप्त वृद्धि हुई। 2014-15 से 2017-18 की पहली तिमाही तक 3,79,080 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, जबकि पूर्ववर्ती 10 वर्षों के दौरान केवल 1,96,937 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया था। यह दबाव में स्थित ऋण के कारण अनुमानित हानि से निपटने का सही उपाय था।

सरकार ने पीएसबी को पारदर्शी और अधिक दक्ष बनाने के लिए स्वच्छता अभियान के साथ अन्य सुधारों को पुनः पूंजीकृत किया है और उन्हें प्रारंभ किया है। इसके लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो स्थापित किया गया था तथा पीएसबी में गैर-कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति हेतु कदम उठाए गए थे।

पीएसबी के पुनःपूंजीकरण तथा आमूल-चूल परिवर्तन के लिए सरकार ने दिनांक 14-8-2015 को इंद्रधनुष योजना की घोषणा की। सरकार ने 2018-19 तक 1,80,000 करोड़ रु. की पूंजी की आवश्यकता की कल्पना की है। तदनुसार, सरकार ने 70,000 करोड़ रु. का प्रावधान किया तथा बैंकों द्वारा 1,10,000 करोड़ रु. की पूंजी को बाजार से जुटाने का प्रस्ताव रखा। अभी तक सरकार ने पीएसबी में 51,858 करोड़ रु. की पूंजी लगायी है। एक्यूआर और एनपीए मान्यता के कराण दवाब के अंतर्गत पीएसबी अभी तक बाजार से 21,261 करोड़ रु. की पूंजी जुटा पाई है। दिसंम्बर, 2015 में पीएसबी के साथ आरबीआई द्वारा एक्यूआर निष्कर्षों को साझेदारी से पहले इंद्रधनुष के प्रारंभ ने पीएसबी को अन्य एनपीए तथा परिणामस्वरूप एक्यूआर के जरिए पता लगाई गई अनंतिम अपेक्षा के बावजूद सफलतापूर्वक बेसल III अनुपालनकर्ता बने रहने हेतु समर्थ बनाया है। वर्तमान निर्णय इंद्रधनुष योजना में ज्यादा सहायक होगा।

सरकार ने दबावग्रस्त आस्तियों की वसूली एवं समाधान को आसान बनाने के लिए विभिन्न कानूनी बदलाव भी किए। दिवालियापन और शोधन अक्षमता संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए एक एकीकृत रूपरेखा के रूप में दिवालियापन एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 अधिनियमित की गई। शीघ्र वसूली को आसान बनाने के लिए वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हितों का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (एसएआरएफएईएसआई अधिनियम) और बैंकों को देय ऋण की वसूली एवं वित्तीय संस्थान अधिनियम 1993 (जोकि ऋण वसूली प्राधिकरण को संचालित करता है), 2016 में संशोधित किए गये। इसके अतिरिक्त, सरकार को समर्थ बनाने के लिए इस वर्ष बैंकिंग विनियम अधिनियम, 1949 को संशोधित किया गया, ताकि सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक को यह प्राधिकृत करने के लिए समर्थ बनाया जा सके कि वह बैंको को दिवालियापन एवं शोधन अक्षमता संहिता के अंतर्गत दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे।

पिछले तीन वर्षों में उठाये गये इन साहसी कदमों ने न सिर्फ परपरागत मुद्दों का समाधान किया है, बल्कि पीएसबी के पूंजीगत सामर्थ्य के पुनर्निर्माण के लिए सुधारों को और अधिक मजबूत बनाया गया है। मजबूत, बड़े बैंक बनाने की प्रक्रिया भारतीय स्टेट बैंक के एकीकरण से शुरू हो गई है एवं घोषित पुनःपूंजीकरण इसे और अधिक गति देगा। इसके लिए प्रत्येक पीएसबी की पूंजीगत सामर्थ्य पर आधारित विशिष्ट पहुंच अपनाई जाएगी।

दरअसल, इस अप्रत्याशित पुनः पूंजीकरण एवं पहलों से यह आशा की जाती है कि इससे निकट भविष्य में आर्थिक गतिविधियों को त्वरित करने में योगदान, रोजगार और अर्थव्यवस्था का विकास जैसे महत्वपूर्ण प्रभाव देखें जाएंगे।