सरल जीएसटी – देश के लिए दीपावली का उपहार

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जीएसटी भारत में होने वाले व्यापार एवं कारोबार की प्रक्रिया को पूर्ण रुप से बदल रहा है। इसके कारण कीमतों में कमी आएगी, सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी और जीएसटी नेटवर्क के एडवांस टेक्नोलॉजी के माध्यम से संचालित होने के कारण एक सरल व्यवस्था का निर्माण होगा। जीएसटी के अतंर्गत लगभग 13 केन्द्रीय और राज्य करों को सम्मिलित करके एक कर व्यवस्था लागू की गई है। हमारा उद्देश्य भारत में एक पारदर्शी, सुचारु और सुसंगत कर प्रणाली लागू करना है।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल

धानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी गुड एवं सिम्पल टैक्स (जीएसटी)के कारण ही हमारे नागरिकों के हितों को सुनिश्चित किया जा सकता है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी हो रही है। वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने के 100 दिन सफलतापूर्वक हो गए हैं। ‘एक बाजार, एक कर’ भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था को पूर्ण रूप से बदल देगा। कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के बाजार प्रादेशिक क्षेत्र में विभाजित थे। इसके अतिरिक्त विनिर्माण क्षेत्र कई तरह के करों और व्यापार के लिए सुगम वातावरण की कमी के कारण मुसीबत में था। जटिल अप्रत्यक्ष कर, इंस्पेक्टर राज में रजिस्ट्रेशन रिटर्न आदि में होने वाला उत्पीड़न और व्यक्तिगत रूप से रिटर्न भरना, असेसमेन्ट आदि को लेकर पनपता हुआ भ्रष्टाचार जीएसटी के चलते अब बंद हो जाएगा। अप्रत्यक्ष प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शी बनाने के लिए जीएसटी नेटवर्क के माध्यम से इसे ऑनलाइन और स्वचालित किया गया है।

जीएसटी भारत में होने वाले व्यापार एवं कारोबार की प्रक्रिया को पूर्ण रुप से बदल रहा है। इसके कारण कीमतों में कमी आएगी, सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी और जीएसटी नेटवर्क के एडवांस टेक्नोलॉजी के माध्यम से संचालित होने के कारण एक सरल व्यवस्था का निर्माण होगा। जीएसटी के अतंर्गत लगभग 13 केन्द्रीय और राज्य करों को सम्मिलित करके एक कर व्यवस्था लागू की गई है। हमारा उद्देश्य भारत में एक पारदर्शी, सुचारु और सुसंगत कर प्रणाली लागू करना है।

पूर्ण क्रियान्वयन के बाद जीएसटी नेटवर्क को दिसंबर 2017 तक लागू किया जा सकेगा। यदि एक बार प्रारंभिक लेनदेन चाहे ऑनलाइन या ऑफलाइन जीएसटी सिस्टम में अपलोड हो जाएंगें, तो बाकी सूचनाएं स्वचालित रूप से रिर्टन एवं असेसमेन्ट के लिए प्रेषित हो जाएंगी। टैक्स कर्मियों के हस्तक्षेप के कारण पंजीकरण, मूल्यांकन और रिटर्न आदि में होने वाली परेशानी से व्यापारी स्वंय मुक्त हो जाएगा।

विमुद्रीकरण ने लोगों को अपने व्यापार को बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से करने के लिए प्रोत्साहित किया है। जिसके कारण ऑडिट ट्रैल की व्यवस्था की स्थापना हुई है। यह जीएसटी के सफल कार्यान्वयन के लिए पूर्ववर्ती आवश्यक है। एक बार जीएसटी का पूर्ण लाभ, जैसेकि इनपुट टैक्स क्रेडिट(आईटीसी) और टैक्स के कैस्केडिंग प्रभाव से मुक्त अधिकतम रिटेल प्राइस (एमआरपी) हो जाएगा, तो उपभोक्ता की कीमतें नीचे आ जाएंगी। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ संकेत दिए हैं कि बेहतर कर अनुपालन के बाद ही सरकार अप्रत्यक्ष करों की दर को कम कर सकती है, और अवश्य करेगी एसे संकेत भी मिल रहे है।

जीएसटी के कार्यान्वयन को लेकर कुछ मुद्दों पर आलोचनाएं हुई हैं। हमें सोशल मीडिया के द्वारा फैलाई जा रही कई गलत सूचनाओं से सावधान रहना चाहिए। कई लोग सोशल मीडिया में जीएसटी के 65,000 करोड़ रुपये के रिफंड की मांग बता रहें हैं, यह आंकड़ा सरासर गलत है। इस प्रकार की टैक्स क्रेडिट की मांग अन्तर्राज्यीय जीएसटी आंकड़े के गलत आंकलन पर आधारित हैं।

वर्तमान सरकार देश की अभी तक की सबसे सक्रिय सरकार है। हमने कभी भी नकारात्मक रवैया नहीं अपनाया है। प्रधानमंत्री हमेशा सुझावों को सुनने और स्वीकार करने के लिए तैयार रहते हैं। प्रधानमंत्री जी ने भारतीय सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के समारोह में जीएसटी कानूनों में बदलाव के साफ संकेत दिए थे।

जीएसटी परिषद् की 22वी बैठक में लोगों के सक्रिय सुझाओं को सुनिश्चित करते हुए बड़े बदलाव किए गए। इन परिवर्तनों से सरल व्यापारिक प्रकिया को बढ़ावा मिलेगा, जोकि छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए नई संभावनाओं को जन्म देगा। इन परिवर्तनों से निर्यातकों को भी महत्वपूर्ण राहत मिलेगी। परिषद् ने उद्योग में सामान्य रूप से प्रयोग होने वाली 27 विभिन्न वस्तुओं जैसे धागे, डीजल इंजन पंपों आदि के जीएसटी दरों को संशोधित कर दिया है। यह कदम निश्चित रूप से समाज के गरीब वर्गों और किसानों को सशक्त बनाएगा।

कम्पोजिट स्कीम के तहत 75 लाख की सीमा को एक करोड़ तक बढ़ाना छोटे व्यापारियों को राहत देगा। टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) और टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) को स्थगित कर दिया गया है और 1 अप्रैल 2018 से लागू किया जाएगा। यहां तक कि माल परिवहन एजेंसियों द्वारा अपंजीकृत व्यापारियों के मालवाहन भी जीएसटी में छूट दी गई है, जोकि परिवहन क्षेत्र की एक प्रमुख मांग है। रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) पर उद्योगों की मांग पर सहमति के तहत इसको 31 मार्च 2018 तक टाल दिया गया है। 1.5 करोड़ तक के टर्नओवर वाल करदाताओं को माल की बिक्री के समय मिलने वाली अग्रिम राशि पर जीएसटी का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। सालाना 20 लाख से कम के टर्नओवर वाले छोटे सेवाओं को प्रदाताओं की छूट के दायरे में, भले ही अन्तर्राज्यीय कर योग्य सेवाओं को भी सम्मिलित कर लिया गया है।

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर कहा था कि ‘जीएसटी के तहत सरकार कई आकर्षक योजनाएं लेकर आई है, ताकि भारत में जो गैर कर अनुपालन है उसे रोका जा सके। कुछ लोगों के लिए जीएसटी में समस्या यह है कि गैर-अनुपालन मुश्किल हो जाएगा। आंकड़ें दिखाते हैं कि कर का लगभग 95 प्रतिशत केवल 4,00,000 असेसियों के द्वारा ही भुगतान किया जाता है। इस कर के आधार को निचले स्तर पर विस्तार करने की आवश्यकता है। नोटबंदी और जीएसटी यही काम कर रहे हैं।’

श्री अरुण जेटली जी ने कहा कि ‘जीएसटी के लागू होने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की विपक्ष के नेताओं की कोशिशों के बावजूद भारत में जीएसटी आराम से लागू हो गई।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘जीएसटी को असफल करने के लिए राजनैतिक समूहों ने काफी प्रयास किये, लेकिन मुझे खुशी है कि उनकी अपनी राज्य सरकारें भी उनकी नहीं सुन रही हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि जीएसटी से आने वाली राशि में से 80 प्रतिशत उन्हें ही मिलने वाली है। राज्यों को प्रतिस्पर्धी संघवाद के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है और सरकार व्यापारिक सरलता के आधार पर राज्यों की रैंकिंग कर रही है।

जीएसटी परिषद् भारत की पहली वास्तविक संघीय संस्था है जो हर महीने मिलती है, मासिक रुप से स्थिति की समीक्षा करती है और निर्णय लेती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्वीकरण एक ऐसे समय पर हो रहा है, जब अन्य अर्थव्यवस्थाएं ज्यादा से ज्यादा संरक्षणवादी बन रही हैं। पिछले तीन वर्षों से सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की श्रृंखला के चलते भारत अब व्यापार करने के लिए एक बेहतर एवं सरल स्थान है। हमारा विश्वास है कि जीएसटी जैसे बड़े ढांचागत सुधारों के कारण भारत अब बड़े निर्णय लेने और उन्हें विस्तृत स्तर पर लागू करने में सक्षम हो गया है।

(लेखक भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)