वह भविष्य ‘आज’ है

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अत्यंत सफल अमेरिका यात्रा के महत्व को कुछ शब्दों में लिखना कठिन है। इस यात्रा से भारत-अमेरिकी संबंध न केवल सुदृढ़, गहरे एवं समृद्ध हुए हैं, बल्कि इससे भविष्य में संबंधों के नए आयामों को तलाशने के नए उपक्रम भी शुरू हुए हैं। भारत एवं अमेरिका के लोगों के बीच विश्वास के वातावरण निर्माण का परिणाम नए-नए उद्यमों में देखा जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ‘इतिहास की हिचकिचाहट’ को पीछे छोड़ अब देानों देश आगे बढ़ चले हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को मिले अभूतपूर्व सम्मान एवं आतिथ्य-सत्कार से समझा जा सकता है कि अमेरिका के हृदय में भारत का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। आज अमेरिका के लोग भारत को एक सहभागी एवं मित्र का सम्मान एवं आदर दे रहे हैं। इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के मध्य संबंधों का प्रगाढ़ होना, केवल भारत एवं अमेरिका के हित में नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी है। ऐसा लगता है कि दोनों देशों का प्रधानमंत्री श्री मोदी के उस कथन पर पूर्ण विश्वास है जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘साथ में हम दुनिया को एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं और भविष्य को एक बेहतर दुनिया।’’

इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के मध्य संबंधों का प्रगाढ़ होना, केवल भारत एवं अमेरिका के हित में नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका के कांग्रेस सदस्यों, सीईओ, महत्चपूर्ण व्यक्तियों, मीडिया की जानी-मानी हस्तियों एवं प्रवासी भारतीयों ने जहां पूरे उत्साह से स्वागत किया, वहीं इन सबके साथ कई महत्वपूर्ण बैठकाें का परिणाम कई बड़े परियोजनाओं के रूप में सामने आया। अपनी पहली राजकीय यात्रा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को दूसरी बार संबोधित करने का अद्भुत सम्मान प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में भारत-अमेरिका संबंध विश्व के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जहां दोनों लोकतंत्रों के सुदृढ़ीकरण से ‘डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी एवं डेस्टिनी’, का व्यापक लक्ष्य संवरेगा, वहीं भारत-अमेरिका भागीदारी से ‘जलवायु परिवर्तन, भूख एवं स्वास्थ्य’ की समस्याओं का भी निराकरण संभव हो सकेगा। इनके अलावा, भारत-अमेरिका संबंध पारस्परिक हितों को भी समृद्ध करने वाले हैं। जहां भारत द्वारा विमानों की खरीदी से अमेरिका के िवमान निर्माण एवं रक्षा क्षेत्रों में लाखों रोजगार पैदा होते हैं, अमेरिकी कंपनियों के मजबूत होने से भारत में अनुसंधान एवं विकास को लाभ पहुंचता है। साथ ही, दोनों देशों की सेमीकंडक्टर एवं आवश्यक खनिजों में भागीदारी से वैश्विक सप्लाई तंत्र की विविधता, लचीलापन एवं विश्वसनीयता भी बढ़ती है। उभरते हुए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भागीदारी मजबूत होना केवल परस्पर नहीं बल्कि वैश्विक हित में है। साथ ही, विश्व में शांति एवं स्थिरता बनाए रखना, आतंकी गतिविधियों को रोकना, कूटनीति एवं संवाद से खून-खराबा पर रोक तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र में दबाव एवं संघर्ष के विरुद्ध अडिग रह इसे खुला, स्वतंत्र एवं समावेशी रखने का भी दायित्व लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था का है। भारत एवं अमेरिका को लोकतांत्रिक राष्ट्र के नाते कई दायित्वों का निर्वहन करना है।

आज जब भारत ‘अमृतकाल’ में आने वाले 25 वर्षों में ‘विकसित भारत’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, इसकी अथाह संभावनाओं का द्वार खुल रहा है। इससे ‘लोकल’ से ‘ग्लोबल’ स्तर तक अनेक अवसरों का सृजन हो रहा है। आज पूरा विश्व इस तथ्य को स्वीकार कर रहा है कि कई ऐसे प्रश्न जो आज भी 21वीं सदी में मुंह बाये खड़े हैं, भारत उनका उत्तर बन सकता है। पिछले नौ वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में लंबी छलांग लगाई है तथा इसके कई पहलों को अनेक देशांे ने सहयोग एवं समर्थन दिया है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष, विश्व के विभिन्न भागों में प्राणों की आहुतियां देने वाले विश्व शांति सेना के सदस्यों का स्मारक, मिशन लाईफ या अन्य कोई कदम हो, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भारत के अंतरराष्ट्रीय पहलों को वैश्विक आयाम दे रहे हैं। आज जब भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का प्राचीन विचार जी-20 के ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के रूप में परिभाषित हो रहा है, मानवता के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं को कोरोना वैश्विक महामारी एवं अन्य कठिन समय पर जांचा और परखा गया है। वैश्विक नियति के लक्ष्यों पर दृष्टि के साथ भारत-अमेरिकी संबंध, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में ‘एक महत्वपूर्ण भविष्य के लिए तैयार है। वह भविष्य आज है।”

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