देश पंचप्रण को समर्पित हो, एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है : नरेन्द्र मोदी

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भारत का 77वां स्वतंत्रता दिवस समारोह

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से करीब 90 मिनट तक राष्ट्र को संबोधित किया, जो प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र के नाम उनका 10वां संबोधन था। राष्ट्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे देश की क्षमता को साकार करने के इस अवसर को हाथ से न जाने दें, क्योंकि इस अवधि में लिए गए निर्णय और की गई त्याग-तपस्या अगले 1,000 वर्षों तक देश को प्रभावित करेंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वह 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। यहां प्रस्तुत है प्रधानमंत्री श्री मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश :

मेरे प्रिय 140 करोड़ परिवारजन, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और अब बहुत लोगों का अभिप्राय है ये जनसंख्या की दृष्टि से भी हम विश्व में नंबर एक पर हैं। इतना बड़ा विशाल देश, 140 करोड़ देशवासी, ये मेरे भाई-बहन, मेरे परिवारजन आज आजादी का पर्व मना रहे हैं। मैं देश के कोटि-कोटि जनों को, देश और दुनिया में भारत को प्यार करने वाले, भारत का सम्मान करने वाले, भारत का गौरव करने वाले कोटि-कोटि जनों को आजादी के इस महान पवित्र पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

पूज्य बापू के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सत्याग्रह मूवमेंट और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनगिनत वीरों का बलिदान, उस पीढ़ी में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने देश की आजादी में अपना योगदान न दिया हो। मैं आज देश की आजादी की जंग में जिन-जिन ने योगदान दिया है, बलिदान दिए हैं, त्याग किया है, तपस्या की है, उन सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं।
आज 15 अगस्त महान क्रांतिकारी और अध्यात्म जीवन के रुचि तुल्य प्रणेता श्री अरविंदो की 150वीं जयंती पूर्ण हो रही है। ये वर्ष स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती का वर्ष है। ये वर्ष रानी दुर्गावती की 500वीं जन्मशती का बहुत ही पवित्र अवसर है जो पूरा देश बड़े धूमधाम से मनाने वाला है। ये वर्ष मीराबाई भक्ति योग की सिरमौर मीराबाई के 525 वर्ष का भी ये पावन पर्व है। इस बार जब हम 26 जनवरी मनाएंगे वो हमारे गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ होगी। अनेक प्रकार से अनेक अवसर, अनेक संभावनाएं राष्ट्र निर्माण में जुटे रहने के लिए पल-पल नई प्रेरणा, पल-पल नई चेतना, पल-पल सपने, पल-पल संकल्प, शायद इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता।

जब हम इतिहास की तरफ नजर करते हैं तो इतिहास में कुछ पल ऐसे आते हैं जो अपनी अमिट छाप छोड़कर के जाते हैं और उसका प्रभाव सदियों तक रहता है और कभी-कभी शुरुआत में वो बहुत छोटा लगता है, छोटी सी घटना लगती है, लेकिन वो अनेक समस्याओं की जड़ बन जाती है। हमें याद है 1000-1200 साल पहले इस देश पर आक्रमण हुआ। एक छोटे से राज्य के छोटे से राजा का पराजय हुआ, लेकिन तब पता तक नहीं था कि एक घटना भारत को हजार साल की गुलामी में फंसा देगी और हम गुलामी में जकड़ते गए, जकड़ते गए, जकड़ते गए, जो आया लूटता गया, जो जिसका मन चाहा, हम पर आकर सवार हो गया। कैसा विपरीत काल रहा होगा, वो हजार साल का।

सदा जलती रही देश की आजादी की लौ

घटना छोटी क्यों न हो, लेकिन हजार साल तक प्रभाव छोड़ती रही है। लेकिन मैं आज इस बात का जिक्र इसलिए करना चाहता हूं कि भारत के वीरों ने इस कालखण्ड में कोई भू-भाग ऐसा नहीं था, कोई समय ऐसा नहीं था, जब उन्होंने देश की आजादी की लौ को जलता न रखा हो, बलिदान की परंपरा न बनाई हो। मां भारती बेड़ियों से मुक्त होने के लिए उठ खड़ी हुई थीं, जंजीरों को झकझोर रही थीं और देश की नारी शक्ति, देश की युवा शक्ति, देश के किसान, देश के गांव के लोग, मजदूर, कोई हिन्दुस्तानी ऐसा नहीं था, जो आजादी के सपने को लेकर के जीता न हो। आजादी को पाने के लिए मर-मिटने के लिए तैयार होने वालों की एक बड़ी फौज तैयार हो गई थी। जेलों में जवानी खपाने वाले अनेक महापुरुष हमारी देश की आजादी को, गुलामी के बेड़ियों को तोड़ने के लिए लगे हुए थे।

जनचेतना का वो व्यापक रूप, त्याग और तपस्या का वो व्यापक रूप जन-जन के अंदर एक नए विश्वास जगाने वाला वो पल, आखिरकार 1947 में देश आजाद हुआ, हजार साल की गुलामी में संजोये हुए सपने देशवासियों ने पूरे करते हुए देखे।

मैं हजार साल पहले की बात इसलिए कह रहा हूं, मैं देख रहा हूं फिर एक बार देश के सामने एक मौका आया है, हम ऐसे कालखण्ड में जी रहे हैं, ऐसे कालखण्ड में हमने प्रवेश किया है और यह हमारा सौभाग्य है कि भारत के ऐसे अमृतकाल में, यह अमृतकाल का पहला वर्ष है या तो हम जवानी में जी रहे हैं या हम मां भारती की गोद में जन्म ले चुके हैं और ये कालखण्ड मेरे शब्द लिखकर के रखिए, इस कालखण्ड में जो हम करेंगे, जो कदम उठाएंगे, जितना त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, एक के बाद एक फैसले लेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए इसका प्रभाव पैदा करने वाली हैं।

विश्व भर में भारत के प्रति एक नया आकर्षण

गुलामी की मानसिकता से बाहर निकला हुआ देश पंचप्रण को समर्पित हो, एक नए आत्मविश्वास के साथ आज आगे बढ़ रहा है। नए संकल्पों को सिद्ध करने के लिए वो जी-जान से जुड़ रहा है। मेरी भारत माता जो कभी ऊर्जा की सामर्थ्य थीं, लेकिन राख के ढेर में दबी पड़ी थी। वो भारत मां 140 करोड़

आज हमारे पास डेमोग्राफी है, आज हमारे पास डेमोक्रेसी है, आज हमारे पास डाइवर्सिटी है। डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की ये त्रिवेणी भारत के हर सपने को साकार करने का सामर्थ्य रखती है। आज पूरे विश्व में वहां देशों की उम्र ढल रही है, ढलाव पर है; तो भारत यौवन की तरफ ऊर्जावान हो करके बढ़ रहा है

देशवासियों के पुरुषार्थ से, उनकी चेतना से, उनकी ऊर्जा से, फिर एक बार जागृत हो चुकी हैं। मां भारती जागृत हो चुकी हैं और मैं साफ देख रहा हूं दोस्तों, यही कालखंड है, पिछले 9-10 साल हमने अनुभव किया है। विश्व भर में भारत की चेतना के प्रति, भारत के सामर्थ्य के प्रति एक नया आकर्षण, नया विश्वास, नई आशा पैदा हुई है और ये प्रकाश पुंज जो भारत से उठा है वो विश्व को उसमें अपने लिए ज्योति नजर आ रही है। विश्व को एक नया विश्वास पैदा हो रहा है। हमारा सौभाग्य है कुछ ऐसी चीजें हमारे पास हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत में दी हैं और वर्तमान कालखंड ने गढ़ी हैं।

आज हमारे पास डेमोग्राफी है, आज हमारे पास डेमोक्रेसी है, आज हमारे पास डाइवर्सिटी है। डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की ये त्रिवेणी भारत के हर सपने को साकार करने का सामर्थ्य रखती है। आज पूरे विश्व में वहां देशों की उम्र ढल रही है, ढलाव पर है; तो भारत यौवन की तरफ ऊर्जावान हो करके बढ़ रहा है। कितने बड़े गौरव का कालखंड है कि आज 30 साल की कम आयु की जनसंख्या दुनिया में सर्वाधिक कहीं है तो ये मेरे भारत मां की गोद में है। ये मेरे देश में है और 30 साल से कम उम्र के नौजवान हों, मेरे देश के पास हो, कोटि-कोटि भुजाएं हों, कोटि-कोटि मस्तिष्क हों, कोटि-कोटि सपने, कोटि-कोटि संकल्प हों तो हम इच्छित परिणाम प्राप्त करके रह सकते हैं।

देश का भाग्य ऐसी घटनाएं बदल देती हैं। ये सामर्थ्य देश के भाग्य को बदल देता है। भारत 1 हजार साल की गुलामी और आने वाले 1 हजार साल के भव्य भारत के बीच में पड़ाव पर हम खड़े हैं। एक ऐसी संधि पर खड़े हैं और इसलिए अब हमें न रुकना है, न दुविधा में जीना है।

हमें खोई हुई उस विरासत का गर्व करते हुए, खोई हुई समृद्धि को प्राप्त करते हुए हमें फिर एक बार और ये बात मान कर चलें, हम जो भी करेंगे, हम जो भी कदम उठाएंगे, हम जो भी फैसला लेंगे वो

मैं विश्वास से देख रहा हूं कि जिस प्रकार से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में एक नया वर्ल्ड ऑर्डर ने आकार लिया था। मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि कोरोना के बाद एक नया विश्व ऑर्डर, एक नया ग्लोबल ऑर्डर, एक नया जियो-पॉलिटिकल इक्वेशन यह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है

अगले 1 हजार साल तक अपनी दिशा निर्धारित करने वाला है। भारत के भाग्य को लिखने वाला है, मैं आज मेरे देश के नौजवानों को, मेरे देश की बेटे-बेटियों को ये जरूर कहना चाहूंगा, जो सौभाग्य आज मेरे युवाओं को मिला है, ऐसा सौभाग्य, शायद ही किसी को नसीब होता है, जो आपको नसीब हुआ है और इसलिए हमें ये गंवाना नहीं है। युवा शक्ति में मेरा भरोसा है, युवा शक्ति में सामर्थ्य है और हमारी नीतियां और हमारी रीतियां भी उस युवा सामर्थ्य को और बल देने के लिए हैं।

दुनिया के पहले तीन स्टार्टअप इकोनॉमी में भारत

आज मेरे युवाओं ने दुनिया के पहले तीन स्टार्टअप इकोनॉमी सिस्टम में भारत को स्थान दिला दिया है। विश्व के युवाओं को अचम्भा हो रहा है— भारत के इस सामर्थ्य को लेकर के, भारत की इस ताकत को देखकर के। आज दुनिया टेक्नोलॉजी ड्रिवेन है और आने वाला युग टेक्नोलॉजी से प्रभावित रहने वाला है और तब टेक्नोलॉजी में भारत की जो टेलेंट है, उसकी एक नई भूमिका रहने वाली है। मैं मेरे देश के नौजवानों को कहना चाहता हूं कि अवसरों की कमी नहीं है, आप जितने अवसर चाहेंगे, ये देश आसमान से भी ज्यादा अवसर आपको देने का सामर्थ्य रखता है।

यह बात निश्चित है कि भारत का सामर्थ्य और भारत की संभावनाएं विश्वास की नई बुलंदियों को पार करने वाली हैं और यह विश्वास की नई बुलंदियां नये सामर्थ्य को ले करके चलनी चाहिए। आज देश में जी-20 समिट की मेहमाननवाजी का भारत को अवसर मिला है और पिछले एक साल से हिन्दुस्तान के हर कोने में जिस प्रकार से जी-20 के अनेक ऐसे आयोजन हुए हैं, उसने देश के सामान्य मानवी के सामर्थ्य को विश्व को परिचित करा दिया है। भारत की विविधता का परिचय कराया है। भारत की डायवर्सिटी को दुनिया अचम्भे से देख रही है और उसके कारण भारत के करीब आकर्षण बढ़ा है।

भारत को जानने की, समझने की इच्छा जगी है। उसी प्रकार से आप देखिए, आज भारत का एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ रहा है और मैं कहना चाहता हूं दुनिया के एक्सपर्टस इन सारे मानदंडों के आधार पर कह रहे हैं कि अब भारत रुकने वाला नहीं है।

दुनिया की कोई भी रेटिंग एजेंसी होगी वो भारत का गौरव कर रही है। कोरोना काल के बाद दुनिया एक नये सिरे से सोचने लगी है और मैं विश्वास से देख रहा हूं कि जिस प्रकार से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में एक नया वर्ल्ड ऑर्डर ने आकार लिया था। मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि कोरोना के बाद एक नया विश्व ऑर्डर, एक नया ग्लोबल ऑर्डर, एक नया जियो-पॉलिटिकल इक्वेशन यह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जियो-पॉलिटिकल इक्वेशन की सारी व्याख्याएं बदल रही हैं, परिभाषाएं बदल रही हैं। मेरे प्यारे परिवारजनों, आप गौरव करेंगे बदलते हुए विश्व को शेप देने में आज मेरे 140 करोड़ देशवासियों आपका सामर्थ्य नजर आ रहा है। आप निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं।

आज भारत ग्लोबल साउथ की आवाज

आज भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहा है। भारत की समृद्धि, विरासत आज दुनिया के लिए एक अवसर बन रही है। ग्लोबल इकोनॉमी, ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की हिस्सेदारी, मैं पक्के विश्वास से कहता हूं, आज जो भारत में परिस्थिति पैदा हुई हैं, आज जो भारत ने कमाया है, वो दुनिया में स्थिरता की गारंटी ले करके आया है। अब न हमारे मन में, न 140 करोड़ मेरे परिवारजनों के मन में और न ही दुनिया के मन में कोई ifs हैं कोई buts हैं, विश्वास बन चुका है। अब गेंद हमारे पाले में है, हमें अवसर जाने नहीं देना चाहिए, हमें मौका छोड़ना नहीं चाहिए। भारत में मैं मेरे देशवासियों का इसलिए भी अभिनंदन करता हूं कि मेरे देशवासियों में एक नीर-क्षीर विवेक का सामर्थ्य है, समस्याओं की जड़ों को समझने का सामर्थ्य है और इसलिए 2014 में मेरे देशवासियों ने 30 साल के अनुभव के बाद तय किया कि देश को आगे ले जाना है तो स्थिर सरकार चाहिए, मजबूत सरकार चाहिए, पूर्ण बहुमत वाली सरकार चाहिए और देशवासियों ने एक मजबूत और स्थिर सरकार बनाई है। और तीन दशकों तक जो अनिश्चितता का काल था, जो अस्थिरता का कालखंड था, जो राजनीतिक मजबूरियों से देश जकड़ा हुआ था, उससे मुक्ति मिली।

देश के पास आज ऐसी सरकार है, वो ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ देश के संतुलित विकास के लिए समय का पल-पल और जनता की पाई-पाई जनता की भलाई के लिए लगा रही है और मेरी सरकार, मेरे देशवासियों का मान एक बात से जुड़ा हुआ है, हमारे हर निर्णय, हमारी हर दिशा, उसका एक ही मानदंड है Nation First राष्ट्र प्रथम और राष्ट्र प्रथम यही दूरगामी परिणाम, सकारात्मक परिणाम पैदा करने वाला है। देश में बड़े स्तर पर काम हो रहा है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा 2014 में आपने एक मजबूत सरकार बनाई और मैं कहता हूं 2014 में और 2019 में आपने एक सरकार फॉर्म की तो मोदी में रिफॉर्म करने की हिम्मत आई। जब मोदी ने एक के बाद एक रिफॉर्म किए तो मेरे ब्यूरोक्रेसी के लोग, मेरे लाखों हाथ-पैर, जो हिन्दुस्तान के कोने-कोने में सरकार के हिस्से के रूप में काम कर रहे हैं, उन्होंने ब्यूरोक्रेसी ने ट्रांसफॉर्म करने के लिए परफॉर्म करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई और उन्होंने परफॉर्म करके दिखाया और जनता-जनार्दन जुड़ गई तो वो ट्रांसफॉर्म होता भी नजर आ रहा है और इसलिए ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ ये कालखंड अब भारत के भविष्य को गढ़ रहा है।

दुनिया को युवा शक्ति, युवा स्किल की जरूरत

हमारी सोच देश की उस ताकतों को बढ़ावा देने पर है, जो आने वाले एक हजार साल की नींव को मजबूत करने वाले हैं। दुनिया को युवा शक्ति की जरूरत है, युवा स्किल की जरूरत है। हमने अलग

हमारी सोच देश की उस ताकतों को बढ़ावा देने पर है, जो आने वाले एक हजार साल की नींव को मजबूत करने वाले हैं। दुनिया को युवा शक्ति की जरूरत है, युवा स्किल की जरूरत है। हमने अलग स्किल मिनिस्ट्री बनाई, वो भारत की आवश्यकताओं को तो पूरा करेगी, वो दुनिया की आवश्यकताओं को भी पूर्ण करने की भी सामर्थ्य रखेगी

स्किल मिनिस्ट्री बनाई, वो भारत की आवश्यकताओं को तो पूरा करेगी, वो दुनिया की आवश्यकताओं को भी पूर्ण करने की भी सामर्थ्य रखेगी। हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया। हमारे देश के एक-एक देशवासियों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचे, पर्यावरण की रक्षा के लिए पानी के प्रति संवदेनशील व्यवस्थाएं विकसित हों उस पर हम बल दे रहे हैं। हमारे देश में कोरोना के बाद दुनिया देख रही है होलिस्टिक हेल्थ केयर ये समय की मांग है। हमने अलग आयुष मंत्रालय बनाया और योग और आयुष आज दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं। हमारी प्रतिबद्धता के कारण विश्व का हमारे प्रति ध्यान गया है। अगर हम ही हमारे इस सामर्थ्य को नकार देंगे तो फिर दुनिया कैसे स्वीकर करेगी। लेकिन जब मंत्रालय बना तो दुनिया को भी उसका मूल्य समझ में आया।

मत्स्य पालन, हमारा इतना बड़ा समुद्री तट, हमारे कोटि-कोटि मछुआरे भाई-बहन उनका कल्याण भी हमारे दिलों में है और इसलिए हमने अलग से मत्स्य पालन को लेकर के, पशुपालन को लेकर के, डेयरी को लेकर के अलग मंत्रालय की रचना की ताकि समाज के जिस वर्ग के लोग पीछे रह गए उनको हम साथ दें। देश में सरकारी अर्थव्यवस्था के हिस्से होते हैं, लेकिन समाज की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है सहकारिता आंदोलन। उसको बल देने के लिए, उसमें आधुनिकता लाने के लिए और देश के कोने-कोने में लोकतंत्र की एक सबसे बड़ी इकाई को मजबूत करने के लिए हमने अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया और वो हमारी सहकारी संस्थाएं, उसका जाल बिछा रहा है ताकि गरीब से गरीब की वहां सुनवाई हो, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो और वो भी राष्ट्र के विकास के योगदान में एक छोटी इकाई का हिस्सा बनकर के उसमें वो योगदान दे सके। हमने सहकार से समृद्धि का रास्ता अपनाया है।

भारत विश्व की अर्थव्यवस्था में 5वें नंबर पर

जब हम 2014 में आए थे, तो हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर थे और आज 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ रंग लाया है कि हम विश्व की अर्थव्यवस्था में 5वें नंबर पर पहुंच चुके हैं। ये ऐसे ही नहीं हुआ है जब भ्रष्टाचार का राक्षस देश को दबोचे हुए थे, लाखों-करोड़ के घोटाले अर्थव्यवस्था को डावाडोल कर रहे थे, गवर्नेंस, फ्रेजाइल फाइव में देश की पहचान होने लगी थी। लीकेजेज को हमने बंद किया, मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई, हमने गरीब कल्याण के लिए ज्यादा से ज्यादा धन खर्च करने का प्रयास किया।

मैं 10 साल का हिसाब तिरंगे की साक्षी में लाल किले की प्राचीर से मेरे देशवासियों को दे रहा हूं। आंकड़े देखकर के आपको लगेगा इतना बड़ा बदलाव, इतना बड़ा सामर्थ्य। 10 साल पहले राज्यों को 30 लाख करोड़ रुपये भारत सरकार की तरफ से जाते थे। पिछले 9 साल में ये आंकड़ा 100 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा है। पहले स्थानीय निकाय के विकास के लिए भारत सरकार के खजाने से 70 हजार करोड़ रुपया जाता था, आज वो 3 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा जा रहा है। पहले गरीबों के घर बनाने के लिए 90 हजार करोड़ रुपया खर्च होता था, आज वो 4 गुना होकर के 4 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च गरीबों के घर बनाने के लिए हो रहा है। पहले गरीबों को यूरिया सस्ता मिले। जो यूरिया के बैग दुनिया के कुछ बाजारों में 3 हजार रुपये में बिकते हैं, वो यूरिया का बैग मेरे किसानों को 300 रुपये में मिले और इसलिए देश की सरकार 10 लाख करोड़ रुपया मेरे किसानों को यूरिया में सब्सिडी दे रही है। मुद्रा योजना 20 लाख करोड़ रुपये उससे भी ज्यादा मेरे देश के नौजवानों को स्वरोजगार के लिए, अपने व्यवसाय के लिए, अपने कारोबार के लिए दिए हैं। 8 करोड़ लोगों ने नया कारोबार शुरू किया है और 8 करोड़ लोगों ने कारोबार शुरू किया है, ऐसा नहीं, हर कारोबारी ने एक या दो, लोगों को रोजगार दिया है। 8-10 करोड़ नए लोगों को रोजगार देने का सामर्थ्य ये मुद्रा योजना से लाभ लेने वाले 8 करोड़ नागरिकों ने किया है।

MSMEs को करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए की मदद

MSMEs को करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए की मदद से कोरोना के संकट में भी उनको डूबने नहीं दिया, मरने नहीं दिया, उनको एक ताकत दी है। ‘वन रैंक वन पेंशन’, मेरे देश के सेना के जवानों का एक सम्मान का विषय था, 70 हजार करोड़ रुपया भारत की तिजोरी से आज पहुंचा है। मेरे निवृत्त सेना

जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं हो सकता और जब साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी की इस मुसीबतों से बाहर निकलते हैं तो कैसी-कैसी योजनाओं ने उन्हें मदद दी है, उनको आवास योजना का लाभ मिलना, पीएम स्वनिधि से 50 हजार करोड़ रुपए रेहड़ी-पटरी वालों तक पहुंचाया है

के नायकों के जेब में उनका परिवार में पहुंचा है। सभी कैटेगरी में मैंने तो कुछ ही गिनाएं हैं। हर कैटेगरी में पहले की तुलना में अनेक गुना धन देश के विकास के लिए कोने-कोने में रोजगार पैदा करने के‍ लिए, पाई-पाई का उपयोग भारत का भाग्य बदलने के लिए हो और इसलिए हमने काम किया है।

इतना ही नहीं, हमने इन सारे प्रयासों का परिणाम है कि आज 5 साल के मेरे एक कार्यकाल में, 5 साल में साढ़े 13 करोड़ मेरे गरीब भाई-बहन गरीबी की जंजीरों को तोड़ करके न्यू मिडिल क्लास के रूप में बाहर आए हैं। जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं हो सकता और जब साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी की इस मुसीबतों से बाहर निकलते हैं तो कैसी-कैसी योजनाओं ने उन्हें मदद दी है, उनको आवास योजना का लाभ मिलना, पीएम स्वनिधि से 50 हजार करोड़ रुपए रेहड़ी-पटरी वालों तक पहुंचाया है।

हर घर में शुद्ध पानी के लिए दो लाख करोड़ रुपए हुए खर्च

आने वाले दिनो में आने वाली विश्वकर्मा जयन्ती पर एक कार्यक्रम हम आगे लागू करेंगे, इस विश्वकर्मा जयन्ती पर हम करीब 13-15 हजार करोड़ रुपया से जो परम्परागत कौशल्य से रहने वाले लोग, जो औजार से और अपने हाथ से काम करने वाला वर्ग है, ज्यादातर ओबीसी समुदाय से हैं। हमारे सुनार हों, हमारे राजमिस्त्री हों, हमारे कपड़े धोने वाले काम करने वाले लोग हों, हमारे बाल काटने वाले भाई-बहन परिवार हों, ऐसे लोगों को एक नई ताकत देने के लिए हम आने वाले महीने में विश्वकर्मा जयन्ती पर विश्वकर्मा योजना लॉन्च करेंगे और करीब 13-15 हजार करोड़ रुपये से उसका प्रारंभ करेंगे। हमने पीएम किसान सम्मान निधि में ढाई लाख करोड़ रुपया सीधा मेरे देश के किसानों के खाते में जमा किया है।

हमने जल जीवन मिशन हर घर में शुद्ध पानी पहुंचे, दो लाख करोड़ रुपया खर्च किया है। हमने आयुष्मान भारत योजना ताकि गरीब को बीमारी के कारण अस्पताल जाने से जो मुसीबत होती थी, उससे मुक्ति दिलाना। उसको दवाई मिले, उसका उपचार हो, ऑपरेशन हो अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल में हो, आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 हजार करोड़ रुपये हमने लगाए हैं। कोरोना वैक्सीन की बात तो देश को याद है, 40 हजार करोड़ रुपये लगाए, वो तो याद है लेकिन आपको जानकर के खुशी होगी हमने पशुधन को बचाने के लिए करीब-करीब 15 हजार करोड़ रुपया पशुधन के टीकाकरण के लिए लगाया है।

जन औषधि केंद्रों ने देश के वरिष्ठ नागरिकों को, देश के मध्यम वर्गीय परिवार को एक नई ताकत दी है। जिस संयुक्त परिवार में अगर किसी को एक डायबिटिज जैसा हो जाए 2-3 हजार रुपये का बिल स्वाभाविक हो जाता है। हमने जन-औषधि केंद्र से जो दवाई बाजार में सौ रुपये में मिलती है वो 10 रुपये, 15 रुपये, 20 रुपये में दी और आज देश के 10000 जन-औषधि केंद्रों से इन बीमारी में जिनको दवाई की जरूरत थी, ऐसे लोगों के करीब 20 हजार करोड़ रुपया उनके जेब में बचा है। ये ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार के लोग हैं, लेकिन आज उसकी सफलता को देखते हुए मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं जैसे हम एक विश्वकर्मा योजना लेकर के समाज के उस वर्ग को छूने वाले हैं। अब देश में 10 हजार जन-औषधि केंद्र से हम 25 हजार जन-औषधि केंद्र का लक्ष्य लेकर के आने वाले दिनों में काम करने वाले हैं।

आने वाले पांच सालों में देश पहले तीन वैश्विक इकोनॉमी में

जब देश में गरीबी कम होती है तब देश के मध्यम वर्ग की ताकत बहुत बढ़ती है और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं आने वाले पांच साल में मोदी की गारंटी है, देश पहले तीन वैश्विक इकोनॉमी में अपनी जगह ले लेगा, ये पक्का जगह ले लेगा। आज जो साढ़े 13 करोड़ गरीबी से बाहर आए हुए लोग हैं वो एक प्रकार से मध्यम वर्गीय ताकत बन जाते हैं। जब गरीब की खरीद शक्ति बढ़ती है तो मध्यम वर्ग की व्यापार शक्ति बढ़ती है। जब गांव की खरीद शक्ति बढ़ती है, तो कस्बे और शहर की आर्थिक व्यवस्था और तेज गति से दौड़ती है।

शहर के अंदर जो कमजोर लोग रहते हैं, बिना बात की जो मुसीबत रहती है। मध्यम वर्गीय परिवार अपने खुद के घर का सपना देख रहे हैं। हम उसके लिए भी आने वाले कुछ सालों के लिए एक योजना लेकर के आ रहे हैं और जिसमें ऐसे मेरे परिवारजन जो शहरों में रहते हैं, लेकिन किराए के मकान पर रहते हैं, झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं, चाल में रहते हैं, अनधिकृत कॉलोनी में रहते हैं। ऐसे मेरे परिवारजन अगर अपना मकान बनाना चाहते हैं तो बैंक से जो लोन मिलेगा उसके ब्याज के अंदर राहत देकर के लाखों रुपयों की मदद करने का हमने निर्णय किया है। मेरे मध्यम वर्गीय परिवार को दो लाख से 7 लाख रुपये इनकम टैक्स की सीमा बढ़ जाती है तो सबसे बड़ा लाभ सैलरी क्लास को होता है, मेरे मध्यम वर्गीय को होता है। इंटरनेट का डाटा बहुत महंगा था 2014 के पहले। अब दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट का डेटा पर खर्चा हो रहा है, हर परिवार के पैसे बच रहे हैं।

आज गांव-गांव तक इंटरनेट

आज देश अनेक क्षमताओं को लेकर आगे बढ़ रहा है। देश आधुनिकता की तरफ आगे बढ़ने के लिए काम कर रहा है। आज देश नवीकरणीय ऊर्जा में काम कर रहा है, आज देश हरित हाइड्रोजन पर काम हो रहा है, देश की स्पेस में क्षमता बढ़ रही है। तो देश डीप सी मिशन में भी सफलता के साथ आगे चल रहा है। देश में रेल आधुनिक हो रही है, तो वंदे भारत, बुलेट ट्रेन भी आज देश के अंदर काम कर रही है। गांव-गांव पक्की सड़कें बन रही हैं तो इलेक्ट्रिक बसें, मेट्रो की रचना भी आज देश में हो रहे हैं। आज

हमने आजादी के अमृत महोत्सव में 75 हजार अमृत सरोवर बनाने का संकल्प किया था। उस समय हमने हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प किया था। करीब 50-55 हजार अमृत सरोवर की कल्पना की थी, लेकिन आज करीब-करीब 75 हजार अमृत सरोवर के निर्माण का काम हो रहा है। यह अपने आप में बहुत बड़ा काम हो रहा है

गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंच रहा है तो क्वांटम कंप्यूटर के लिए भी देश काम करता है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी उस पर काम हो रहा है तो दूसरी तरफ जैविक खेती पर भी हम बल दे रहे हैं। आज किसान उत्पादक संघ FPO का निर्माण हो रहा है तो हम सेमीकंडक्टर का भी निर्माण करना चाह रहे हैं। हम दिव्यांगजनों के लिए एक सुगम भारत के निर्माण के लिए काम करते हैं तो हम पैरालिंपिक में भी हिन्दुस्तान का तिरंगा झंडा गाड़ने के लिए मेरे दिव्यांगजनों को सामर्थ्यवान बना रहे हैं। हम खिलाड़ियों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहे हैं।

हमारी कार्य-संस्कृति, बड़ा सोचना, दूर का सोचना, सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय सोचना; यह हमारी कार्यशैली रही है और सोच से भी ज्यादा, संकल्प से भी ज्यादा हासिल कैसे करना इस ऊर्जा के साथ हम काम करते हैं। हमने आजादी के अमृत महोत्सव में 75 हजार अमृत सरोवर बनाने का संकल्प किया था। उस समय हमने हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प किया था। करीब 50-55 हजार अमृत सरोवर की कल्पना की थी, लेकिन आज करीब-करीब 75 हजार अमृत सरोवर के निर्माण का काम हो रहा है। यह अपने आप में बहुत बड़ा काम हो रहा है। जनशक्ति और जलशक्ति की यह ताकत भारत के पर्यावरण की रक्षा में भी काम आने वाली है। 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाना, जन धन बैंक खाते खोलना, बेटियों के लिए शौचालय बनाना सारे टारगेट समय के पहले पूरी शक्ति से पूरे करेगा और जब भारत ठान लेता है तो उसे पूरा करके रहता है, यह हमारा ट्रैक रिकॉर्ड कहता है।

दुनिया में सबसे तेज गति से 5-G रोल आउट

200 करोड़ वैक्सीनेशन का काम; दुनिया जब हमें पूछती है न, 200 करोड़ सुनती है उनकी आंखें फट जाती हैं, इतना बड़ा काम। यह मेरे देश के आंगनवाड़ी वर्कर, हमारी आशा वर्कर, हमारी हेल्थ वर्कर उन्होंने करके दिखाया। यह मेरे देश का सामर्थ्य है। 5-G को रोल आउट किया, दुनिया में सबसे तेज गति से 5-G रोल आउट करने वाला मेरा देश है। 700 से अधिक जिलों तक हम पहुंच चुके हैं और अब 6-G की भी तैयारी कर रहे हैं। हमने टास्क फोर्स बना दिया है। नवीकरणीय ऊर्जा हम टारगेट से पहले चले हैं। हमने नवीकरणीय ऊर्जा 2030 का जो टारगेट तय किया था, 2021-2022 में उसका पूरा कर दिया। हमने इथेनॉल में 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग की बात कही थी वो भी हमने समय से पांच साल पहले पूरा कर दिया है। हमने 500 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट की बात कही थी वो भी समय से पहले पांच सौ बिलियन डॉलर से ज्यादा कर दिया। हमने तय किया, जो हमारे देश में 25 साल से चर्चा हो रही थी कि देश में नई संसद बने। पार्लियामेंट का कोई सत्र ऐसा नहीं था, नई संसद के लिए। यह मोदी है समय के पहले नई संसद बना करके रख दिया। यह काम करने वाली सरकार है, निर्धारित लक्ष्यों को पार करने वाली सरकार है, यह नया भारत है, यह आत्मविश्वास से भरा हुआ भारत है, यह संकल्पों को चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भारत है।

प्रगति की हर चीज में, लेकिन जब 2047, हम एक विकसित भारत का सपना ले करके चल रहे हैं तब और वो सपना नहीं, 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है। उस संकल्प को सिद्ध करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा भी है और उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है, वो राष्ट्रीय चरित्र होता है। दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है, दुनिया में जो-जो देश संकटों को पार करके निकले हैं, उनमें हर चीज के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण कैटेलेटिक एजेंट रहा है, वो राष्ट्रीय चरित्र रहा है। हमें राष्ट्रीय चरित्र के लिए और बल देते हुए हमें आगे बढ़ना होगा। हमारा देश, हमारा राष्ट्रीय चरित्र ओजस्वी हो, तेजस्वी हो, पुरुषार्थी हो, पराक्रमी हो, प्रखर हो; ये हम सबका सामूहिक दायित्व है।

आने वाले 25 साल हम एक ही मंत्र को लेकर चलें, ये हमारे राष्ट्रीय चरित्र का सिरमौर होना चाहिए। एकता का संदेश, भारत की एकता को जीना, भारत की एकता को आंच आए, न ऐसी मेरी भाषा होगी, न ऐसा मेरा कोई कदम होगा। हर पल देश को जोड़ने का प्रयास मेरी तरफ से भी होता रहेगा। भारत की एकता हमें सामर्थ्य देती है। उत्तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो, पश्चिम हो, गांव हो, शहर हो, पुरुष हो, नारी हो; हम सबने एकता के भाव के साथ और विविधता भरे देश में एकता का सामर्थ्य होता है और दूसरी महत्व की बात मैं देख रहा हूं, अगर 2047 में हमें हमारे देश को विकसि‍त भारत के रूप में देखना है तो हमें श्रेष्ठ भारत के मंत्र को जीना होगा, हमें चरितार्थ करना होगा।

महिला नेतृत्व में विकास (women-led development)

अब हमारे प्रोडक्शन में, मैंने 2014 में कहा था जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट। दुनिया के किसी भी टेबल पर मेक इन इंडिया चीज हो तो दुनिया को विश्वास होना चाहिए, इससे बेहतर दुनिया में कुछ नहीं हो सकता है। ये अल्टीमेट होगा, हमारी हर चीज, हमारी सर्विसेज होंगी तो श्रेष्ठ होंगी, हमारे शब्दों की ताकत होगी तो श्रेष्ठ होगी, हमारी संस्थाएं होंगी तो श्रेष्ठ होंगी, हमारी निर्णय प्रक्रियाएं होंगी तो श्रेष्ठ होंगी। ये श्रेष्ठता का भाव ले करके हमें चलना होगा। तीसरी बात है देश में आगे बढ़ने के लिए एक अतिरिक्त

दुनिया के किसी भी टेबल पर मेक इन इंडिया चीज हो तो दुनिया को विश्वास होना चाहिए, इससे बेहतर दुनिया में कुछ नहीं हो सकता है। ये अल्टीमेट होगा, हमारी हर चीज, हमारी सर्विसेज होंगी तो श्रेष्ठ होंगी, हमारे शब्दों की ताकत होगी तो श्रेष्ठ होगी, हमारी संस्थाएं होंगी तो श्रेष्ठ होंगी, हमारी निर्णय प्रक्रियाएं होंगी तो श्रेष्ठ होंगी। ये श्रेष्ठता का भाव ले करके हमें चलना होगा

शक्ति का सामर्थ्य भारत को आगे ले जाने वाला है और वो है महिला नेतृत्व में विकास (women-led development)। आज भारत गर्व से कह सकता है कि दुनिया में नागरिक उड्डयन में अगर किसी एक देश में सबसे ज्यादा महिला-पायलट हैं तो मेरे देश में हैं। आज चन्द्रयान की गति हो, चंद्र मिशन की बात हो, मेरी महिला वैज्ञानिक उसका नेतृत्व कर रही हैं। आज महिला स्वयं सहायता समूह हो, मेरी 2 करोड़ लखपति दीदी का लक्ष्य लेकर के आज महिला स्वयं सहायता समूह पर हम काम कर रहे हैं। हम, हमारी नारी शक्ति के सामर्थ्य को बढ़ावा देते हुए महिला नेतृत्व में विकास (women-led development) और जब जी-20 में मैंने महिला नेतृत्व में विकास (women-led development) के विषयों को आगे बढ़ाया है तो पूरा जी-20 समूह इसके महत्व का स्वीकार कर रहा है और उसके महत्व को स्वीकार करके वो उसको बहुत बल दे रहे हैं।

उसी प्रकार से भारत विविधताओं से भरा देश है। असंतुलित विकास के हम शिकार रहे हैं, मेरा-पराया के कारण हमारे देश के कुछ हिस्से उसके शिकार रहे हैं। अब हमें क्षेत्रीय आकांक्षाओं को संतुलित विकास को बल देना है और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को लेकर के उस भावना को हमें सम्मान देते हुए जैसे हमारी भारत मां का कोई, हमारे शरीर का कोई अंग अगर अविकसित रहे तो हमारा शरीर विकसित नहीं माना जाएगा। हमारा शरीर का कोई अंग दुर्बल रहे तो हमारा शरीर स्वस्थ नहीं माना जाएगा। वैसे ही मेरी भारत माता उसका कोई एक भू-भाग भी, समाज का कोई तबका भी अगर दुर्बल रहे तो मेरी भारत माता समर्थ है, स्वस्थ है ऐसा सोचकर के हम नहीं बैठ सकते और इसलिए क्षेत्रीय आकांक्षाओं को हमें एड्रेस करने की आवश्यकता है और इसलिए हम समाज का सर्वांगीण विकास हो, सर्वपक्षीय विकास हो, भू-भाग के हर क्षेत्र को उसकी अपनी ताकत को खिलने का अवसर मिले, उस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।

लड़कों से ज्यादा बेटियां आज STEM में

आज मेरे देश में लड़कों से ज्यादा बेटियां आज STEM यानी science, technology, engineering और maths में अधिकतम भाग मेरी बेटियां ले रही हैं। ये सामर्थ्य आज हमारे देश का दिख रहा है। आज 10 करोड़ महिलाएं; महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं और महिला स्वयं सहायता समूह के साथ आप गांव में जाएंगे तो आपको बैंक वाली दीदी मिलेगी, आपको आंगनबाड़ी वाली दीदी मिलेगी, आपको दवाई देने वाली दीदी मिलेगी और अब मेरा सपना है, 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का। गांव में 2 करोड़ लखपति दीदी और इसके लिए एक नया विकल्प भेजा ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ का। हमारे गांव की महिलाओं का सामर्थ्य देखता हूं और इसलिए मैं नई योजना सोच रहे हूं कि हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर में टेक्नोलॉजी आए, एग्रीटेक को बल मिले, इसलिए महिला स्वयं सहायता समूह की बहनों को हम ट्रेनिंग देंगे। ड्रोन चलाने की, ड्रोन रिपेयर करने की हम ट्रेनिंग देंगे और हजारों ऐसे महिला स्वयं सहायता समूह को भारत सरकार ड्रोन देगी, ट्रेनिंग देगी और हमारे एग्रीकल्चर के काम में ड्रोन की सेवाएं उपलब्ध हों, इसके लिए हम शुरुआत करेंगे, प्रारंभ हम 15 हजार महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा ये ड्रोन की उड़ान का हम आरंभ कर रहे हैं।

आज देश आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है। राजमार्ग हो, रेलवे हो, वायुमार्ग हो, आई-वे हो, सूचना मार्ग हो, जल मार्ग हो, कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिस क्षेत्र को आगे बढ़ाने की दिशा में आज देश काम न करता हो। पिछले 9 वर्ष में तटीय क्षेत्रों में, हमने आदिवासी क्षेत्र में, हमारे पहाड़ी क्षेत्र में विकास को बहुत बल दिया है। हमने पर्वतमाला, भारतमाला ऐसी योजनाओं के द्वारा समाज के उस वर्ग को हमने बल दिया है। हमने गैस की पाइपलाइन से हमारे पूर्वी भारत को जोड़ने का काम किया है। हमने अस्पतालों की संख्या बढ़ाई है। हमने डॉक्टर्स की सीटें बढ़ाई हैं ताकि हमारे बच्चे डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकें।

आज बढ़ रहा है मातृभाषा का माहात्म्य

हमने मातृभाषा में पढ़ाने पर बल दिया है और मातृभाषा में वो पढ़ाई कर सके उस दिशा में भी। मैं भारत के सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद करता हूं कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब जो निर्णय देंगे, उसका जो ऑपरेटिव भाग होगा, वो जो अदालत में आया है, उसकी भाषा में उसको उपलब्ध होगा। मातृभाषा का माहात्म्य आज बढ़ रहा है।

हमने संतुलित विकास के लिए आकांक्षी जिला, आकांक्षी ब्लॉक की कल्पना की और आज उसके सुखद परिणाम मिल रहे हैं। आज राज्‍य के जो सामान्य पैरामीटर हैं, जो आकांक्षी जिला कभी बहुत पीछे थे, वो आज राज्य में भी अच्छा करने लग गए हैं और मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में ये हमारे आकांक्षी जिले, हमारे आकांक्षी ब्लॉक अवश्य आगे बढ़ेंगे। जैसा मैंने कहा था भारत के चरित्र की चर्चा कर रहा

हमने जी-20 समिट के लिए दुनिया के सामने कहा है ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ इस सोच को लेकर के चल रहें है। हमने क्लाईमेट को लेकर के दुनिया जो संकट से जूझ रही है, हमने रास्ता दिखाया है, लाइव मिशन लॉन्च किया है ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’। हमने दुनिया के सामने मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया और आज दुनिया के कई देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का हिस्सा बन रहे हैं

था, तो मैंने पहले कहा था भारत की एकता, दूसरा कहा था भारत श्रेष्ठता की तरफ बल दे, तीसरा कहा था महिला विकास की मैंने बात कही थी। मैं आज एक बात और कहना चाहता हूं कि हम जैसे क्षेत्रीय आकांक्षा मैंने चौथी बात कही थी। पांचवीं महत्व की बात है और भारत ने अब उस दिशा में जाना है और वो है हमारा राष्ट्रीय चरित्र, विश्व मंगल के लिए सोचने वाला होना चाहिए। हमें देश को इतना मजबूत बनाना है, जो विश्व मंगल के लिए भी अपनी भूमिका अदा करें।

आज कोरोना के बाद मैं देख रहा हूं, जिस प्रकार से संकट की घड़ी में देश ने दुनिया की मदद की; उसका परिणाम है कि आज दुनिया में हमारा देश एक विश्व मित्र के रूप में है। विश्व के अटूट साथी के रूप में है। आज मेरे देश की पहचान बनी है। हम जब विश्वमंगल की बात करते हैं, तब भारत का मूलभूत विचार है उस विचार को हम आगे बढ़ाने वाले लोग हैं और मुझे खुशी है कि आज अमेरिकी संसद के भी कई चुने हुए गणमान्य प्रतिनिधि भी आज हमारे 15 अगस्त के इस अवसर में हमारे बीच में मौजूद हैं। भारत की सोच कैसी है, हम विश्व मंगल की बात को कैसे आगे बढ़ाते हैं। अब देखिए, जब हम जब सोचते हैं तो क्या कहते हैं, हमने दुनिया के सामने ये दर्शन रखा है और दुनिया उस दर्शन को लेकर के हमारे साथ जुड़ रही है। हमने कहा एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड (One Sun, One World, One Grid)। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा हमारा कथन है, आज दुनिया उसको स्वीकार कर रही है। कोविड के बाद हमने दुनिया को कहा हमारी ये एप्रोच होनी चाहिए One Earth, One Health समस्याओं का समाधान तभी होगा, जब मानव को, पशु को, पौधे को बीमारी के समय में समान रूप से एड्रेस किया जाएगा, तब जाकर के हम ये करेंगे।

‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’

हमने जी-20 समिट के लिए दुनिया के सामने कहा है ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ इस सोच को लेकर के चल रहे हैं। हमने क्लाईमेट को लेकर के दुनिया जो संकट से जूझ रही है, हमने रास्ता दिखाया है, लाइव मिशन लॉन्च किया है ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’। हमने दुनिया के सामने मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया और आज दुनिया के कई देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का हिस्सा बन रहे हैं। हमने जैव विविधता का महत्व देखते हुए बिग कैट एलायंस की व्यवस्था को हमने आगे बढ़ाया है। हमने प्राकृतिक आपदा के कारण ग्लोबल वार्मिग के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर का जो नुकसान होता है, उसके लिए दूरगामी व्यवस्थाओं की जरूरत है और इसलिए कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) एक समाधान के रूप में दुनिया को दिया है। विश्व आज समुद्रों को संघर्ष का केंद्र बना रहा है, तब हमने दुनिया को सागर का प्लेटफार्म दिया है। जो वैश्विक सामुद्रिक शांति की गारंटी बन सकता है। हमने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बल देते हुए WHO का एक ग्लोबल लेवल का सेंटर हिंदुस्तान में बनाने की दिशा में काम किया है।

सपने अनेक हैं, संकल्प साफ है, नीतियां स्पष्ट हैं। नियत के सामने कोई सवालिया निशान नहीं है, लेकिन कुछ सच्चाइयों को हमें स्वीकार करना पड़ेगा और उसके समाधान के लिए मेरे प्रिय परिवारजनों, मैं आज लाल किले से आपकी मदद मांगने आया हूं, मैं लाल किले से आपका आशीर्वाद मांगने आया हूं। क्योंकि पिछले सालों मैंने देश को जो समझा है, देश की आवश्यकताओं को जो मैंने परखा है और अनुभव के आधार पर मैं कह रहा हूं कि आज गंभीरतापूर्वक उन चीजों को हमें लेना होगा। आजादी के अमृतकाल में, 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, उस समय दुनिया में भारत का तिरंगा-झंडा विकसित भारत का तिरंगा-झंडा होना चाहिए, रत्ती भर भी हमें रुकना नहीं है, पीछे हटना नहीं है और इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता ये पहली मजबूती की जरूरत है। हमें उस मजबूती को जितना ज्यादा खाद पानी दे सकते हैं, संस्थाओं के माध्यम से दे सकते हैं, नागरिक के नाते दे सकते हैं, परिवार के नाते दे सकते हैं यह हमारा सामूहिक दायित्व होना चाहिए। इसलिए पिछले 75 साल का इतिहास देखिए, भारत के सामर्थ्य में कोई कमी नहीं थी और यह जो देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था वो देश क्यों न फिर से उस सामर्थ्य को लेकर के खड़ा हो सकता है।

2047 में विकसित भारत बनकर रहेगा

मेरा अखंड, अटूट, एकनिष्ठ विश्वास है कि 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा मेरा देश विकसित भारत बनकर रहेगा। यह मैं मेरे देश के सामर्थ्य के आधार पर कह रहा हूं। मेरे उपलब्ध संसाधनों के आधार पर कह रहा हूं और सबसे ज्यादा 30 से कम आयु वाली मेरी युवा शक्ति के भरोसे कह रहा हूं। मेरी माताओं-बहनों के सामर्थ्य के भरोसे कह रहा हूं, लेकिन उसके सामने अगर कोई रुकावट है, कुछ भी कृतियां पिछले 75 साल में ऐसे घर कर गई हैं, हमारी समाज व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन गई हैं कि कभी-कभी तो हम आंख भी बंद कर देते हैं। अब आंख बंद करने का समय नहीं है। अगर सपनों को सिद्ध करना है, संकल्प को पार करना है तो हमें यह आंख-मिचौली बंद करके आंख में आंख मिला करके तीन बुराइयों से लड़ना समय की बड़ी मांग है।

हमारे देश की सारी समस्याओं की जड़ में भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह देश की सारी व्यवस्थाओं को, देश के सारे सामर्थ्य को पूरी तरह नोंच लिया है। भ्रष्टाचार से मुक्ति, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग हर इकाई में हर क्षेत्र में यह मोदी के जीवन का कमिटमेंट है, यह मेरे व्यक्तित्व का एक कमिटमेंट है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। दूसरा हमारे देश को नोंच लिया है परिवारवाद ने। इस

भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण यह चुनौतियां, ये ऐसी चीजें पनपी हैं जो हमारे देश के लोगों का, जो आकांक्षाएं हैं, उसका दमन करती हैं। हमारे देश के कुछ लोगों के पास जो छोटा-मोटा सामर्थ्य है उसका शोषण करती हैं। यह ऐसी चीजें हैं, जो हमारे लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को सवाल या निशान में गढ़ देती हैं

परिवारवाद ने देश को जिस प्रकार से जकड़ करके रखा है उसने देश के लोगों का हक छीना है और तीसरी बुराई तुष्टीकरण की है। यह तुष्टीकरण में भी देश के मूल चिंतन को, देश के सर्वसमावेशक हमारे राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगा दिए हैं। तहस-नहस कर दिया इन लोगों ने। इसलिए हमें इन तीन बुराइयों के खिलाफ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है। भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण यह चुनौतियां, ये ऐसी चीजें पनपी हैं जो हमारे देश के लोगों का, जो आकांक्षाएं हैं, उसका दमन करती हैं। हमारे देश के कुछ लोगों के पास जो छोटा-मोटा सामर्थ्य है उसका शोषण करती हैं। यह ऐसी चीजें हैं, जो हमारे लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को सवाल या निशान में गढ़ देती हैं। हमारे गरीब हों, हमारे दलित हों, हमारे पिछड़े हों, हमारे पसमांदा हों, हमारे आदिवासी भाई-बहन हों, हमारी माताएं-बहनें हों, हमने, सबने उनके हकों के लिए इन तीन बुराइयों से मुक्ति पानी है।

हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाना है ‘नफरत का माहौल’

हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नफरत का माहौल बनाना है। जैसे गंदगी हमें नफरत पैदा करती है न, मन में गंदगी पसंद नहीं है। यह सार्वजनिक जीवन की इससे बड़ी कोई गंदगी नहीं हो सकती और इसलिए हमारे स्वच्छता अभियान को एक नया मोड़ ये भी देना है कि हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति पानी है। सरकार टेक्नोलॉजी से भ्रष्टाचार की मुक्ति के लिए बहुत प्रयास कर रही है। आपको जानकर हैरानी होगी, इस देश में पिछले 9 साल में एक काम मैंने ऐसा किया; आंकड़ा सुनोगे तो लगेगा कि मोदी ऐसा करता है जैसे दस करोड़ लोग करीब-करीब जो गलत फायदा उठाते थे, वो मैंने रोक दिया। तो आप में से कोई कहेगा आपने लोगों से अन्याय कर दिया; जी नहीं, ये दस करोड़ लोग कौन लोग थे, ये दस करोड़ लोग वो लोग थे, जिनका जन्म ही नहीं हुआ था और उनके नाम पर उनके widow हो जाते थे, वो वृद्ध हो जाते थे, वो दिव्यांग हो जाते थे, फायदे लिए जाते थे। दस करोड़ ऐसी बेनामी चीजें जो चलती थीं, उसको रोकने का पवित्र काम, भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जो हमने जब्त की है ना, वो पहले की तुलना में 20 गुना ज्यादा की है।

ये आपकी कमाई का पैसा लोग ले करके भागे थे। 20 गुना ज्यादा संपत्ति को जब्त करने का और इसलिए लोगों की मेरे प्रति नाराजगी होना बहुत स्वाभाविक है, लेकिन मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ की लड़ाई को आगे बढ़ाना है। हमारी सरकारी व्यवस्था ने, पहले कैमरा के सामने तो कुछ हो जाता था, लेकिन बाद में चीजें अटक जाती थीं। हमने पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा अदालत में चार्जशीट की हैं और अब जमानतें भी नहीं मिलती हैं, वैसी पक्की व्यवस्था को ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि हम ईमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं।

देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य ‘परिवारवाद और तुष्टीकरण’

आज परिवारवाद और तुष्टीकरण ने देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य किया है। अब लोकतंत्र में ये कैसे हो सकता है कि पॉलिटिकल पार्टी, और मैं विशेष बल दे रहा हूं पॉलिटिकल पार्टी, आज मेरे देश के लोकतंत्र में एक ऐसी विकृति आई है जो कभी भारत के लोकतंत्र को मजबूती नहीं दे सकती और वो क्या है बीमारी, परिवारवादी पार्टियां। उनका तो मंत्र क्या है, पार्टी ऑफ द फैमिली, बाय द फैमिली एंड फॉर द फैमिली। इनका तो जीवन मंत्र यही है कि उनकी पॉलिटिकल पार्टी, उनका राजनीतिक दल परिवार का, परिवार के द्वारा और परिवार के लिए।

परिवारवाद और भाई-भतीजावाद प्रतिभाओं के दुश्मन होते हैं, योग्यताओं को नकारते हैं, सामर्थ्य को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए परिवारवाद की इस देश के लोकतंत्र की मजबूती के लिए उसकी मुक्ति जरूरी है। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय, हर किसी को हक मिले, इसलिए और सामाजिक न्याय के लिए भी ये बहुत जरूरी है। उसी प्रकार से तुष्टीकरण ने सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा नुकसान किया है। अगर सामाजिक न्याय को तबाह किसी ने किया है तो ये तुष्टीकरण की सोच, तुष्टीकरण की राजनीति, तुष्टीकरण का सरकारी योजनाओं का तरीका, इसने सामाजिक न्याय को मौत के घाट उतार दिया है और इसलिए हमें तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार, ये विकास के सबसे बड़े दुश्मन हैं। अगर देश विकास चाहता है, देश 2047, विकसित भारत का सपना साकार करना चाहता है तो हमारे लिए आवश्यक है कि हम किसी भी हालत में देश में भ्रष्टाचार को सहन नहीं करेंगे, इस मूड को ले करके चलना चाहिए।

मैं जब 2014 में आपके पास आया था तब 2014 में मैं परिवर्तन का वादा लेकर के आया था। 2014 में मैंने आपको वादा किया था मैं परिवर्तन लाऊंगा और 140 करोड़ मेरे परिवारजन आपने मुझ पर भरोसा किया और मैंने विश्वास पूरा करने की कोशिश की। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म वो 5 साल जो वादा था वो विश्वास में बदल गया क्योंकि मैंने परिवर्तन का वादा किया था। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के द्वारा मैंने इस वादे को विश्वास में बदल दिया है। कठोर परिश्रम किया है, देश के लिए किया है, शान से किया है, सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र सर्वोपरि इस भाव से किया है। 2019 में परफॉरमेंस के आधार पर आप सबने मुझे फिर से आशीर्वाद दिया। परिवर्तन का वादा मुझे यहां ले आया, परफॉरमेंस मुझे दोबारा ले आया और आने वाले 5 साल अभूतपूर्व विकास के हैं। 2047 के सपने को साकार करने का सबसे बड़ा स्वर्णिम पल आने वाले 5 साल हैं और अगली बार 15 अगस्त को इसी लाल किले से मैं आपको देश की उपलब्धियां, आपके सामर्थ्य, आपके संकल्प उसमें हुई प्रगति, उसकी जो सफलता है, उसके गौरवगान उससे भी अधिक आत्मविश्वास के साथ, आपके सामने में प्रस्तुत करूंगा।

मेरे परिवारजनों, मैं आप में से आता हूं, मैं आपके बीच से निकला हूं, मैं आपके लिए जीता हूं। अगर मुझे सपना भी आता है, तो आपके लिए आता है। अगर मैं पसीना भी बहाता हूं तो आपके लिए बहाता हूं, क्योंकि इसलिए नहीं कि आपने मुझे दायित्व दिया है, मैं इसलिए कर रहा हूं कि आप मेरे परिवाजन हैं और आपके परिवार के सदस्य के नाते मैं आपके किसी दु:ख को देख नहीं सकता हूं, मैं आपके सपनों को चूर-चूर होते नहीं देख सकता हूं। मैं आपके संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए आपका एक साथी बनकर के, आपका एक सेवक बनकर के, आपके साथ जुड़े रहने का, आपके साथ जीने का, आपके लिए जूझने का मैं संकल्प लेकर के चला हुआ इंसान हूं और मुझे विश्वास है हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए जो जंग लड़ी थी, जो सपने देखे थे, वो सपने हमारे साथ हैं। आजादी के जंग में जिन्होंने बलिदान दिया था, उनके आशीर्वाद हमारे साथ हैं और 140 करोड़ देशवासियों के लिए एक ऐसा अवसर आया है, ये अवसर हमारे लिए एक बहुत बड़ा संबल लेकर के आया है।

चुनो चुनौती सीना तान

आज जब मैं अमृतकाल में आपके साथ बात कर रहा हूं, ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, ये अमृतकाल के पहले वर्ष पर जब मैं आपके बात कर रहा हूं तो मैं आपको पूरे विश्वास से कहना चाहता हूं—

चलता चलाता कालचक्र,
अमृतकाल का भालचक्र,
सबके सपने, अपने सपने,
पनपे सपने सारे, धीर चले, वीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही रीति नई, गति सही राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम।

हिन्दुस्तान के कोने-कोने में बैठे हुए मेरे परिवारजनों, दुनिया के कोने-कोने में जा करके बसे हुए मेरे परिवारजन, आप सबको आजादी के पावन पर्व की फिर एक बार मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ये अमृतकाल हम सबके लिए कर्तव्य काल है। ये अमृतकाल हम सबको मां भारती के लिए कुछ कर

2014 में मैंने आपको वादा किया था मैं परिवर्तन लाऊंगा और 140 करोड़ मेरे परिवारजन आपने मुझ पर भरोसा किया और मैंने विश्वास पूरा करने की कोशिश की। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म वो 5 साल जो वादा था वो विश्वास में बदल गया क्योंकि मैंने परिवर्तन का वादा किया था। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के द्वारा मैंने इस वादे को विश्वास में बदल दिया है

गुजरने का काल है। आज़ादी की जब जंग चल रही थी, 1947 के पहले जो पीढ़ी ने जन्म लिया था, उन्हें देश के लिए मरने का मौका मिला था। वो देश के लिए मरने के लिए मौका नहीं छोड़ते थे, लेकिन हमारे नसीब में देश के लिए मरने का मौका नहीं है। हमारे लिए देश के लिए जीने का ये इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता। हमें पल-पल देश के लिए जीना है, इसी संकल्प के साथ इस अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों के सपने संकल्प भी बनाने हैं। 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प को सिद्धि में भी परिवर्तित करना है और 2047 का जब तिरंगा झंडा फहरेगा, तब विश्व एक विकसित भारत का गुणगान करता होगा। इसी विश्वास के साथ, इसी संकल्प के साथ मैं आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द!
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
बहुत-बहुत धन्यवाद!