देश 21वीं सदी को ‘भारत की सदी’ बनाने के लिए तैयार हो रहा है

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन

निवर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 24 जुलाई को राष्ट्र के नाम अपने आखिरी संबोधन में कहा कि देश 21वीं सदी को ‘भारत की सदी’ बनाने के लिए तैयार हो रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये आर्थिक सुधारों के साथ, नागरिकों को उनकी क्षमता का एहसास कराकर उन्हें समृद्ध बनायेंगे।

श्री कोविंद ने कहा कि मेरा मानना है कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवा भारतीयों के लिए अपनी विरासत से जुड़ने और इक्कीसवीं सदी में अपने पैर जमाने में बहुत सहायक सिद्ध होगी।

महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मुझे खुशी है कि सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है

राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति के रूप में अपने अंतिम टेलीविजन संबोधन में श्री कोविंद ने कहा कि महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मुझे खुशी है कि सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

उन्होंने कहा कि आजकल सभी देशवासी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं। अगले महीने हम सब भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। हम 25 वर्ष की अवधि के उस ‘अमृत काल’ में प्रवेश करेंगे, जो स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष अर्थात 2047 में पूरा होगा। ये विशेष ऐतिहासिक वर्ष हमारे गणतंत्र के प्रगति पथ पर मील के पत्थर की तरह हैं।

श्री कोविंद ने कहा कि हमारे लोकतन्त्र की यह विकास यात्रा देश की स्वर्णिम संभावनाओं को कार्यरूप देकर विश्व समुदाय के समक्ष एक श्रेष्ठ भारत को प्रस्तुत करने की यात्रा है।

उन्होंने कहा कि हम सबके लिए माता की तरह पूज्य प्रकृति गहरी पीड़ा से गुजर रही है। जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है।

श्री कोविंद ने कहा कि अपनी दिनचर्या में तथा रोज़मर्रा की चीजों का इस्तेमाल करते समय हमें अपने पेड़ों, नदियों, समुद्रों और पहाड़ों के साथ-साथ अन्य सभी जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए बहुत सावधान रहने की जरूरत है। प्रथम नागरिक के रूप में यदि अपने देशवासियों को मुझे कोई एक सलाह देनी हो तो मैं यही सलाह दूंगा।