पिछले पांच सालों में साढ़े तेरह करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं : नरेन्द्र मोदी

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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री का उत्तर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अगस्त को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का उत्तर दिया। सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्रीजी ने कहा कि वे भारत के प्रत्येक नागरिक द्वारा सरकार पर बार-बार भरोसा जताने के लिए उनके प्रति कोटि-कोटि आभार व्यक्त करने आए हैं। श्री मोदी ने उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सरकार के लिए शक्ति परीक्षण नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए है, जिन्होंने 2018 में इसे सदन में पेश किया था, जब विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। ‘कमल संदेश’ के सुधी पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत है अविश्वास प्रस्ताव पर श्री मोदी के उत्तर का सारांश :

देश की जनता ने हमारी सरकार के प्रति बार-बार जो विश्वास जताया है, उसके लिए मैं आज देश के कोटि-कोटि नागरिकों का आभार व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुआ हूं। आने वाला समय टेक्नोलॉजी ड्रिवेन है। आज डेटा को एक प्रकार से सेकेंड गोल्ड के रूप में माना जाता है। गम्भीर चर्चा की जरूरत थी, लेकिन राजनीति आपके लिए प्राथमिकता थी। ऐसे बिल्स थे, जो गांव के लिए, उनके कल्याण के लिए, गरीब के लिए, दलित के लिए, पिछड़ों के लिए, आदिवासियों के लिए, उनके कल्याण की चर्चा करने के लिए थे, उनके भविष्य के साथ जुड़े हुए थे, लेकिन इसमें इन्हें कोई रुचि नहीं है। देश की जनता ने जिस काम के लिए इनको यहां भेजा है, उस जनता के साथ भी विश्वासघात किया गया है। आपको देश के युवाओं के भविष्य की परवाह नहीं है। केवल आपको अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता है।

किसी भी देश के इतिहास में एक ऐसा समय आता है, जब वह पुरानी बंदिशों को तोड़कर एक नई ऊर्जा के साथ, एक नई उमंग के साथ, नए सपने के साथ, नए संकल्प के साथ आगे बढ़ने के लिए कदम उठा लेता है। मैं बहुत गंभीरता से लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में बोल रहा हूं और लंबे अनुभव के बाद बोल रहा हूं। इक्कीसवीं सदी का कालखंड इस सदी का वह कालखंड है, जो भारत के लिए हर सपने को सिद्ध करने का अवसर हमारे चरण में है। यह टाइम पीरियड बहुत अहम है। बदलते हुए विश्व में, मैं इन शब्दों को बड़े विश्वास से कहना चाहता हूं कि यह कालखंड जो कुछ घटेगा, उसका प्रभाव इस देश पर आने वाले 1000 साल तक रहने वाला है। 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ, इस कालखंड में, अपने पराक्रम से, अपने पुरुषार्थ से, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से जो करेगा, वह आने वाले 1000 साल की मजबूत नींव रखने वाला है। ऐसे समय में हम सबका एक ही फोकस होना चाहिए— देश का विकास और देश के लोगों के सपनों को पूरा करने का संकल्प। हमारे देश की युवा पीढ़ी के सामर्थ्य का विश्व ने लोहा माना हुआ है, इसलिए हम उन पर भरोसा करें। युवा पीढ़ी जो सपने देख रही है, हमें उन सपनों को संकल्प के साथ सिद्धि तक पहुंचना है।

वर्ष 2014 में 30 साल बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। वर्ष 2019 में भी उस ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर उनके सपनों को संजोने का सामर्थ्य दिया है, उनके संकल्पों को सिद्ध करने की ताकत कहां है, इसे देश भली-भांति पहचान गया है। वर्ष 2019 में इसलिए एक बार हम सबको सेवा करने का मौका दिया और अधिक मजबूती के साथ दिया। हमने दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख को संभाला है।

भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश

आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आ रहा है। देश में गरीबी तेजी से घट रही है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में साढ़े तेरह करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। आईएमएफ अपने एक वर्किंग पेपर में लिखता है कि भारत ने अति गरीबी को करीब-करीब खत्म कर दिया है। आईएमएफ ने भारत के डीबीटी और हमारे दूसरे सोशल वेलफेयर स्कीम के लिए कहा है कि यह लॉजिस्टिकल मारवल है। ‘जल जीवन मिशन’ के जरिए भारत में चार लाख लोग गरीब, पीड़ित, शोषित परिवारों के जीवन की रक्षा हो रही है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से तीन लाख लोगों को मरने से बचाया गया है। यूनिसेफ ने कहा है कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के कारण हर साल गरीबों के पचास हजार रुपये बच रहे हैं, लेकिन भारत की इन उपलब्धियों से कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ दलों को अविश्वास है। एचएएल और एलआईसी को लेकर भी विचार खड़ा किया गया था। आज एलआईसी और बैंक दोनों लगातार मजबूत हो रही है। मेरा पक्का विश्वास है कि देश भी मजबूत होने वाला है, लोकतंत्र भी मजबूत होने वाला है।

रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रान्सफॉर्म

1991 में देश कंगाल होने की स्थिति में था। कांग्रेस के शासन काल में अर्थव्यवस्था दुनिया के क्रम में 10, 11, 12 के बीच में झूलती रही थी, लेकिन 2014 के बाद भारत ने टॉप पांच में अपनी जगह बना ली है। मैं आज सदन को बताना चाहता हूं, रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रान्सफॉर्म, एक निश्चित आयोजन, प्लानिंग और कठोर परिश्रम, परिश्रम की पराकाष्ठा, इसी की वजह से आज देश इस मुकाम पर पहुंचा है। इस प्लानिंग और परिश्रम की निरंतरता बनी रहेगी। आवश्यकतानुसार उसमें नए रिफॉर्म्स होंगे और परफॉर्मेंस के लिए पूरी तरह ताकत को लगाया जाएगा और परिणाम यह होगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारे देश तीसरे स्थान पर होगा। विपक्ष के मित्रों की फितरत में ही अविश्वास भरा पड़ा है। जब भी नई योजना नीति की योजना की जाती है, विपक्ष के लोग उसमें अविश्वास प्रकट करते है चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो, जनधन खाता खोलने की बात हो, स्टार्टअप इंडिया हो, डिजिटल इंडिया हो, मेक-इन-इंडिया हो, इन सभी कार्यक्रमों का मजाक उड़ाया गया।

विपक्ष को लगता है कि नाम बदलकर देश पर राज कर लेंगे। गरीब को चारों तरफ उनका नाम तो नजर आता है, लेकिन उनका काम कहीं नजर नहीं आता है। अस्पतालों में नाम उनके हैं, इलाज नहीं। संस्थाए, नाम लटक रहे हैं, सड़कें हों, पार्क हो, उनका नाम, गरीब कल्याण की योजनाओं पर उनका नाम, खेल पुरस्कारों पर उनका नाम, एयरपोर्ट पर उनका नाम, म्यूजियम पर उनका नाम, अपने नाम से योजनाएं चलायीं और फिर उन योजनाओं में हजारों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार किए। समाज के अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति काम होते देखना चाहता था, लेकिन उसे मिला क्या, सिर्फ और सिर्फ परिवार का नाम। हमारे संविधान निर्माताओं ने हमेशा परिवारवादी राजनीति का विरोध किया था। महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना आजाद, गोपीनाथ बोरदोलाई, लोकनायक जय प्रकाश, डॉ. लोहिया इत्यादि सभी ने परिवारवाद की खुलकर आलोचना की है क्योंकि परिवारवाद का नुकसान देश के सामान्य नागरिकों को उठाना पड़ता है।

सरदार पटेल को कांग्रेस ने हमेशा नकारा

सरदार पटेल के योगदान को भी कांग्रेस ने हमेशा नकारा। सरदार साहब को समर्पित विश्व की सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा बनाने का गौरव भी हमें प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री संग्रहालय, दल और पार्टी से ऊपर उठ कर सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित है। एक ज़माना था कि कभी ड्राईक्लीन के लिए कपड़े हवाई जहाज़ से आते थे। आज हवाई चप्पल वाला गरीब हवाई जहाज़ में उड़ रहा है। चुनाव जीतने के लिए अनाप-शनाप वायदों के कारण कुछ राज्यों में जनता के ऊपर नये-नये बोझ और प्रोजेक्ट्स बंद करने की विधिवत घोषणा की जा रही है। विपक्ष के गठबंधन की आर्थिक नीतियों का मैं परिणाम साफ देख रहा हूं। मैं देशवासियों को यह सत्य समझाना चाहता हूं कि यह गठबंधन भारत के दिवालिया होने की गारंटी है। विपक्ष ने गृह मंत्री जी की मणिपुर विषय की चर्चा पर सहमति दिखायी होती तो अकेले मणिपुर विषय पर विस्तार से चर्चा हो सकती थी। कल माननीय गृह मंत्री ने विस्तार से इस विषय पर जब चीजें रखीं तो देश को भी आश्चर्य हुआ है कि ये लोग इतना झूठ फैला सकते हैं। अविश्वास के सारे विषय पर बोले। ट्रेजरी बेंच का भी दायित्व बनता है कि देश के विश्वास को प्रकट करे, देश के विश्वास को नई ताकत दे, देश के प्रति अविश्वास करने वालों के लिए करारा जवाब दे, यह हमारा भी दायित्व बनता है।

मणिपुर की स्थिति पर देश के गृह मंत्री जी ने कल बहुत विस्तार और बड़े धैर्य से बिना रत्ती भर राजनीति किए सारे विषय को विस्तार से समझाया। सरकार और देश की चिंता प्रकट की। उसमें देश की जनता को जागरूक करने का भी प्रयास था। गृह मंत्री जी ने बताया मणिपुर में अदालत का एक फैसला आया। अदालतों में क्या हो रहा है, यह हम जानते हैं। उसके पक्ष-विपक्ष में जो परिस्थितियां बनीं, हिंसा का दौर शुरू हो गया। उसमें बहुत सारे परिवारों को मुश्किल हुई, अनेक लोगों ने अपने स्वजन भी खोए हैं। महिलाओं के साथ गंभीर अपराध भी हुए। यह अपराध अक्षम्य है और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर भरपूर प्रयास कर रही है। मैं मणिपुर के लोगों से आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूं, वहां की माताओं, बहनों और बेटियों से कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है, यह सदन आपके साथ है। कोई यहां हो या न हो, मैं मणिपुर के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि मणिपुर फिर विकास की राह पर तेज गति से आगे बढ़े, इसके प्रयासों में कोई कोर कसर नहीं रहेगी।

पूर्वोत्तर के प्रति भावनात्मक लगाव

मेरा नॉर्थ ईस्ट के प्रति इमोशनल अटैचमेंट हैं। हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट हमारे जिगर का टुकड़ा है। आज मणिपुर की समस्याओं को ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे बीते कुछ समय में ही वहां यह परिस्थिति पैदा हुई हो। इन समस्याओं की कोई जननी है, तो जननी एकमात्र कांग्रेस है। नॉर्थ ईस्ट के लोग इसके लिए जिम्मेवार नहीं है, इनकी ये राजनीति जिम्मेवार है। मोइरांग में आजाद हिंद फौज के संग्रहालय पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर बम फेंका जाना, मणिपुर में स्कूलों में राष्ट्रगान नहीं होने का निर्णय, अभियान चलाकर लाइब्रेरी में रखी गई किताबों को जलाया जाना, देश के अमूल्य ज्ञान की विरासत को जलाया जाना, इंफाल के मंदिर पर बम फेंकने की घटनाए, ये सभी घटनाएं कांग्रेस की ही सरकार में हुई। मणिपुर में मंदिर की घंटी शाम को चार बजे बंद हो जाती थी, ताले लग जाते थे और सेना का पहरा लगाना पड़ता था। विपक्ष को सिर्फ राजनीति के सिवाय कुछ नहीं सूझता है। मणिपुर की सरकार पिछले छः सालों से इन समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए लगातार समर्पित भाव से कोशिश कर रही है। हम जितना ज्यादा राजनीति को दूर रखेंगे, उतनी शांति निकट आएगी।

मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमें नॉर्थ-ईस्ट आज भले ही दूर लगता हो, लेकिन जिस प्रकार से साउथ ईस्ट एशिया का विकास हो रहा है, जिस प्रकार से आसियान देशों का महत्व बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं होगा, जब हमारी ईस्ट की इस प्रगति के साथ-साथ नॉर्थ-ईस्ट वैश्विक दृष्टि से सेन्टर पॉइंट बन जाएगा। मैं यह देख रहा हूं और इसलिए मैं पूरी ताकत से आज नॉर्थ-ईस्ट की प्रगति के लिए लड़ रहा हूं, वोट के लिए नहीं कर रहा हूं।

नॉर्थ-ईस्ट के विकास को पहली प्राथमिकता

हमारी सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट के विकास को पहली प्राथमिकता दी है। पिछले 9 वर्षों में लाखों-करोड़ों रुपये नॉर्थ-ईस्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमने लगाए हैं। आज आधुनिक हाईवे, आधुनिक रेलवे, आधुनिक नए एयरपोर्ट्स, ये नॉर्थ-ईस्ट की पहचान बन रहे हैं। आज पहली बार अगरतला रेल कनेक्टिविटी से जुड़ा है। पहली बार मणिपुर में गुड्स ट्रेन पहुंची है। पहली बार नॉर्थ ईस्ट में वंदेभारत जैसी आधुनिक ट्रेन चली है। पहली बार अरुणाचल प्रदेश में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बना है। सिक्किम की एयर कनेक्टिविटी

आओ मिलकर के चलें, मणिपुर के लोगों को विश्वास देकर के चलें, राजनीति का खेल करने के लिए मणिपुर की भूमिका का कम से कम दुरुपयोग न करें

हुई है। पहली बार वाटरवेज के जरिए पूर्वोत्तर इंटरनेशनल फ्रेट का गेटवे बना है। पहली बार नॉर्थ-ईस्ट में एम्स जैसा मेडिकल संस्थान खुला है। पहली बार मणिपुर में देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खुल रही है। पहली बार मिजोरम में इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन जैसे संस्थान खुल रहे हैं। पहली बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में नॉर्थ-ईस्ट की इतनी भागीदारी बढ़ी है। पहली बार नागालैंड से एक महिला सांसद राज्य सभा में पहुंची है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को पद्म पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।

‘सबका साथ सबका विकास’

हम जब ‘सबका साथ सबका विकास’ कहते हैं तो यह हमारे लिए नारा नहीं है। ये हमारे लिए आर्टिकल ऑफ फेथ है। हम इसके प्रति कटिबद्ध हैं। संसद, यह दल के लिए प्लेटफॉर्म नहीं है । संसद, यह देश के लिए सम्माननीय सर्वोच्च संस्थान है और इसलिए सांसदों के लिए भी इसके प्रति गंभीरता होना बहुत जरूरी है। यहां का पल-पल का उपयोग देश के लिए होना चाहिए। मेरा इस देश की जनता पर अटूट विश्वास है, अपार विश्वास है। मैं विश्वास से कहता हूं कि हमारे देश के लोग एक प्रकार से अखंड विश्वासी लोग हैं। ये संकल्प के लिए समर्पण करने की परंपरा को लेकर चलने वाला समाज है। बीते 9 वर्षों में देश के सामान्य मानवी का विश्वास नई बुलंदियों को छू रहा है। मेरे देश के नौजवान विश्व की बराबरी करने के सपने देखने लगे हैं।

हर भारतीय विश्वास से भरा हुआ

इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है कि हर भारतीय विश्वास से भरा हुआ है। बीते वर्षों में विकसित भारत की एक मजबूत नींव रखने में हम सफल हुए हैं। सपना लिया है कि 2047 में, जब देश आज़ादी के 100 वर्ष मनायेगा, तब इस विश्वास के साथ मैं कहता हूं कि 2047 में हिन्दुस्तान विकसित हिन्दुस्तान होगा। साथियो, भारत विकसित भारत होगा और यह देशवासियों के परिश्रम से होगा। देशवासियों के विश्वास से होगा, देशवासियों के संकल्प से होगा, देशवासियों की सामूहिक शक्ति से होगा, देशवासियों की अखंड एक राष्ट्र-पुरुषार्थ से होने वाला है। इतिहास हमारे कर्मों को देखने वाला है, जिन कर्मों से एक समृद्ध भारत का सपना साकार करने के लिए मजबूत नींव का कालखंड रहा है, उस रूप में देखा जाएगा।

मैं सदन के साथियों से आग्रह करूंगा, आप समय को पहचानिये, साथ मिलकर के चलें। इस देश में मणिपुर से भी गंभीर समस्याएं पहले भी आई हैं, लेकिन हमने मिलकर के रास्ते निकाले हैं। आओ मिलकर के चलें, मणिपुर के लोगों को विश्वास देकर के चलें, राजनीति का खेल करने के लिए मणिपुर की भूमिका का कम से कम दुरुपयोग न करें। मैं फिर एक बार प्रस्ताव लाने वालों का तो मैं आभार व्यक्त करता हूं, लेकिन यह प्रस्ताव देश के विश्वासघात का प्रस्ताव है, देश की जनता इसे अस्वीकार करे, यह ऐसा प्रस्ताव है।