यह विधेयक धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन किए बिना संवैधानिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है: किरेन रिजिजू

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लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024

केंद्रीय संसदीय एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया और विश्वास व्यक्त किया कि विधेयक के बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद सभी सदस्य इसका समर्थन करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक संवैधानिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है और संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 के तहत गारंटीकृत धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है। 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू के संबोधन का संपादित पाठ निम्न है:

मुझे सिर्फ उम्मीद ही नहीं, बल्कि यकीन है कि इस बिल के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद इस सदन के जितने सदस्य हैं, सब इस बिल का समर्थन जरूर करेंगे। इस विधेयक में आर्टिकल 25 से लेकर 30 तक जो भी प्रावधान हैं, उसके तहत किसी भी रिलीजियस बॉडी को जो फ्रीडम प्राप्त है, उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया गया है और न ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किया गया है। इसमें महिलाओं, बच्चों और मुसलमान समाज के पिछड़े लोगों को सुअवसर देने तथा उनके सशक्तीकरण के लिए यह विधेयक पुरःस्थापित किया गया है। वर्ष 1995 का वक्फ अमेंडमेंट एक्ट बिल्कुल असक्षम रहा है और जिस उद्देश्य के लिए यह एक्ट लाया गया था, वह पूरा नहीं हो रहा था। इसमें कई गलतियां पाई गई हैं। उसके लिए कुछ कदम उठाए गए हैं।

हम मुसलमान समुदाय को लाभ पहुंचाना चाहते हैं, खासकर गरीब मुसलमान महिलाएं, जो बैकवर्ड हैं, उनके लिए यह कर रहे हैं

वर्ष 1976 वक्फ इक्वायरी रिपोर्ट में कहा गया है कि सारा वक्फ बोर्ड मुतवल्लियों के कब्जे में चला गया है, उसको डिसिप्लिन करने के लिए समुचित कदम उठाए जाने चाहिए। 1976 वक्फ इंक्वायरी रिपोर्ट की दूसरी रेकमेडेशन है कि लिटिगेशंस और आपस में मतभेद इतने ज्यादा हैं कि उनको सरल करने के लिए ट्राइब्यूनल सिस्टम का गठन होना चाहिए। यह उस समय की सिफारिशें थीं। उसमें तीसरा पॉइंट ऑडिट एंड एकाउंट्स के बारे में कहा गया है। वक्फ बोर्ड में ऑडिट और एकाउंट्स का तरीका समुचित नहीं है, उसका पूरा प्रबंधन होना चाहिए। यह उस समय की रिपोर्ट में कहा गया है। आखिरी में यह वक्फ-अलल-औलाद की श्रेणी में सुधार की सिफारिश करता है। बच्चों के लिए हम जो वक्फ देते हैं, उसमें सुधार लाना चाहिए।

कुल 8 लाख 72 हजार 320 वक्फ संपत्तियां हैं। हमारा जो वामसी (डब्ल्यूएएमएसआई) पोर्टल है, उससे पूरा निर्धारण नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी मार्केट वैल्यू, सच्चर कमेटी ने जो कहा है, उससे कहीं गुना अधिक होने की संभावना है। समिति की सिफारिश में कहा गया कि मौजूदा वक्फ बोर्ड को ब्रॉड बेस किया जाना चाहिए। सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं होनी चाहिए, यह भी सच्चर कमेटी की सिफारिश है। सच्चर कमेटी ने सीधा-सीधा यह कहा है कि प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों को दी जानी चाहिए। जेपीसी में सीधा-सीधा वक्फ बोर्ड के बारे में कहा गया है कि कोई इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक तरीके से विद्यमान नहीं है। वहां कार्यबल बिल्कुल अप्रभावी है, असक्षम है। इस तरीके से वक्फ बोर्ड नहीं चल सकता है। देश भर में मौजूदा जितने भी वक्फ बोर्ड हैं, उनका फिर से सर्वेक्षण होना चाहिए। गरीब मुसलमानों के लिए वक्फ बोर्ड के अंदर भी चीजें, चाहे वह विधिक मामले हों या कुछ और, उसके लिए विशेषज्ञ वकीली आदि को बोर्ड में लाने की जरूरत है, ताकि वह ज्यादा चुस्त-दुरूस्त हो सकें। पूरे वक्फ बोर्ड का कम्प्यूटराइजेशन करना चाहिए, डेटाबेस को सेंट्रलाइज करना चाहिए और म्यूटेशन रेवेन्यू रिकार्ड में होना चाहिए।

हमारे देश के अन्दर कोई भी कानून, कोई भी स्पेशल लॉ, सुपर लॉ नहीं हो सकता है। संविधान से ऊपर कोई भी कानून नहीं हो सकता है। इस सदन का दायित्व है कि गरीब महिला, चाहे वह कोई भी हो, चाहे हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो, ईसाई, बौद्ध, पारसी, जैन या कोई भी हो, यह इस सदन का दायित्व है कि उसे न्याय दिलाने के लिए अगर कोई कमी है, तो उसको पूरा करना चाहिए। इस विधेयक के माध्यम से हम लॉ ऑफ लिमिटेशन को हटा रहे हैं। वक्फ एक्ट, 1995 ने लॉ-ऑफ-लिमिटेशन को भी ओवरराइड कर दिया था। एकतरफा आवाज उठाकर, पूरे मुसलमान के नाम से कुछ लोग कुछ चंद लोगों की आवाज यहां आज इस सदन में बुलन्द कर रहे हैं। जहां तक विचार-विमर्श की बात आती है, तो हमने कई स्तर पर विचार-विमर्श किया है। हम लोगों ने देश भर में आधिकारिक स्तर पर, राजनीतिक स्तर पर, राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ और व्यक्तिगत स्तर भी पर बहुत व्यापक विचार-विमर्श किया है। हमने 19 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, सीईओ और उनके और भी आधिकारिक प्रतिनिधियों से बात की है। वक्फ बोर्ड के बारे में कई लोगों ने मुझसे आकर कहा है कि देश में जितने स्टेट वक्फ बोर्ड हैं, सब पर माफिया लोगों ने कब्जा कर लिया है।

सरकार वर्ष 2024 में यह वक्फ बोर्ड अमेंडमेंट बिल अचानक नहीं लेकर आई है। मैं आपको बताने वाला हूं कि कितना एक्सटेंसिव एक्सरसाइज कंसल्टेशन करके आज यह बिल आपके सामने में पेश कर रहा हूं। इसमें अलग-अलग समुदाय जैसे कि अहमदियाज, बोडराज, पसमांदाज, आगाखानीज, वुमेन रिप्रेजेन्टेटिव्स और जितने भी पिछड़े मुसलमान हैं, इन सबके सहित 19 स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, सीईओज और उनके और भी ऑफिशियल रिप्रजेन्टेटिव्स से बात की है। इस सम्बन्ध में जनरल पब्लिक और आम मुसलमानों के साथ चर्चा हुई। स्टेट वक्फ बोर्ड को इम्प्रूव करने के लिए क्या-क्या कदम उठाने चाहिए, इस संबंध में सुझाव प्राप्त हुए। इस बिल में हमने एक दूसरा प्रावधान रखा है। जो ट्रिब्यूनल्स बने हैं, इसमे एक जुडिशियल और एक टेक्निकल मेम्बर होगा। आज वक्फ बोर्ड का टोटल 12,792 केसेस पंडिग हैं। 19,207 केसस ट्रिब्यूनल्स में पेंडिंग है। न्याय मिलना चाहिए, लेकिन समय पर न्याय मिलना चाहिए। इसलिए, बिल में प्रावधान किया गया है कि जो भी फाइलिंग होती है, उसकी अपील 90 डेज के अंदर होनी चाहिए और डिस्पोजल ऑफ दी केसेस छह महीने के अंदर होना चाहिए। वक्फ बोर्ड में टेक्नोलॉजिक इंडक्शन अनिवार्य है। वक्फ बोर्ड को साइंटिफिक तरीके से बहुत ही एफिसिएंटली और ट्रांसपेरेंटली चलाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। अब जो सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्ड होगा, इसने महिलाओं का रिप्रेजेंटेशन अनिवार्य हो गया है। इसमें भोराज, अगाकानीज़ और बेकवर्ड क्लासेज को प्रतिनिधित्व देने का निर्णय किया गया है। हमने बच्चों और महिलाओं का काफी ध्यान रखा है। एक्ट पास होने के बाद कोई मुसलमान बच्चा या महिला इंसाफ मिलने से वंचित रहे, ऐसा नहीं होना चाहिए।

हमने इसके लिए ठोस प्रावधान किए हैं। वक्फ प्रापर्टी की प्रोसीड्स और आय सिर्फ मुसलमान कम्युनिटी के वेलफेयर के लिए खर्च होगी। हम मुसलमान समुदाय को लाभ पहुंचाना चाहते हैं, खासकर गरीब मुसलमान महिलाएं, जो बैकवर्ड हैं, उनके लिए यह कर रहे हैं। साथ ही, मैं प्रस्ताव करता हूं कि ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई जाए और वक्फ (संसोधन) विधेयक, 2024 को उसमें भेजा जाए।