आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है: नरेन्द्र मोदी

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त 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के लाल किले में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने श्री गुरु तेग बहादुर जी को नमन किया। प्रधानमंत्री 400 रागियों द्वारा किए गए शबद/कीर्तन के समय प्रार्थना में बैठे। इस अवसर पर सिख नेतृत्व ने श्री मोदी को सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।

इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा कि आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने गुरुओं के चरणों में नमन किया। श्री मोदी ने लाल किले के ऐतिहासिक महत्व के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस किले ने गुरु तेग बहादुरजी की शहादत को भी देखा है और यह राष्ट्र के इतिहास और आकांक्षा का प्रतिबिंब रहा है। उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में इस ऐतिहासिक स्थल पर आज के कार्यक्रम का बहुत महत्व है।

औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी ‘हिन्द दी चादर’ बनकर एक चट्टान की तरह खड़े हो गए थे

श्री मोदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सैकड़ों साल की गुलामी से भारत की आजादी और भारत की आजादी को उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा से अलग नहीं किया जा सकता है। इसलिए देश आजादी का अमृत महोत्सव और श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को एक ही संकल्प के साथ मना रहा है।

उन्होंने कहा कि ये भारतभूमि सिर्फ एक देश ही नहीं है बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है। इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों-हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है। श्री मोदी ने कहा कि लाल किले के पास में ही गुरु तेग बहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है। ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था।

श्री मोदी ने धार्मिक कट्टरता और उस दौर में धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों के घोर अत्याचारों को याद करते हुए कहा कि उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर एक चट्टान की तरह खड़े हो गए थे। गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की कई पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की गरिमा और उसके आदर व सम्मान की रक्षा के लिए जीने और मरने के लिए प्रेरित किया है।

उन्होंने कहा कि गुरुओं ने पुरानी रूढ़ियों को दूर कर नए विचारों को सामने रखा। उनके शिष्यों ने उन्हें अपनाया और उनसे सीखा। नई सोच का यह सामाजिक अभियान सोच के स्तर पर एक नवाचार था। श्री मोदी ने कहा कि नई सोच, सतत परिश्रम और शत-प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।