वेल्थ के साथ वेल्नस चाहते हैं, तो भारत में अद्वितीय अवसर है : नरेन्द्र मोदी

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वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम, दावोस

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 23 जनवरी को दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के मंच पर संबोधन ऐतिहासिक और भारतवासियों के लिये गर्व का विषय है। इस प्रभावी संबोधन में उन्होंने भारत की शक्ति, क्षमता और उसके बहु-आयामी प्रभाव को विश्वपटल पर रेखांकित किया। दरअसल, प्रधानमंत्री का संबोधन भारत के बढ़ते कदमों और भारत के प्रति विश्व के बदलते नजरिये का परिचायक है।

प्रधानमंत्री ने विश्व का आह्वान करते हुए कहा कि अगर आप वेल्थ के साथ वेल्नस चाहते हैं और हेल्थ के साथ जीवन की समग्रता चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए अद्वितीय अवसर उपलब्ध है। यदि आप समृद्धि के साथ शांति चाहते हैं, तो भारत में आपका अभिनंदन है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान, तकनीक और आर्थिक प्रगति के नये आयामों में एक ओर तो मानव को समृद्धि के नये रास्ते दिखाने की क्षमता है। वहीं दूसरी ओर, इन परिवर्तनों से ऐसी दरारें भी पैदा हुई हैं, जो दर्द भरी चोट पहुंचा सकती हैं। बहुत से बदलाव ऐसी दीवारें खड़ी कर रहे हैं, जिन्होंने पूरी मानवता के लिए शान्ति और समृद्धि के रास्ते को दुर्गम ही नहीं दु:साध्य बना दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि ये दरारें, ये विभाजन और ये बाधाएं विकास के अभाव की हैं, गरीबी की हैं, बेरोजगारी की हैं, अवसरों के अभाव, और प्राकृतिक तथा तकनीकी संसाधनों पर आधिपत्य की हैं। इस परिवेश में हमारे सामने कई महत्वपूर्ण सवाल हैं, जो मानवता के भविष्य और भावी पीढ़ियों की विरासत के लिए समुचित जवाब मांगते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या हमारी विश्व-व्यवस्था इन दरारों और दूरियों को बढ़ावा दे रही है? वे कौन सी शक्तियां हैं जो सामंजस्य के ऊपर अलगाव को तरजीह देती हैं, जो सहयोग के ऊपर संघर्ष को हावी करती हैं? और हमारे पास वे कौन से साधन हैं, वे कौन से रास्ते हैं जिनके ज़रिये हम इन दरारों और दूरियों को मिटाकर एक सुहाने और साझा भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं ?

उन्होंने कहा कि भारत, भारतीयता ओर भारतीय विरासत का प्रतिनिधि होने के नाते मेरे लिए इस फोरम का विषय जितना समकालीन है उतना ही समयातीत भी है। समयातीत इसलिए क्योंकि भारत में अनादिकाल से हम मानव मात्र को जोड़ने में विश्वास करते आये हैं, उसे तोड़ने में नहीं, उसे बांटने में नहीं।

प्रधानमंत्री जी ने अपने संबोधन में भारत की महान संस्कृति, मान्यताओं और दर्शन को उद्धृत किया और चोटी की आर्थिक और उद्योग जगत की हस्तियों से आह्वान किया कि भारत संयोजन, सौहार्द और समन्वय की धरती है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हज़ारों साल पहले संस्कृत भाषा में लिखे गये ग्रंथों में भारतीय चिंतकों ने कहा: “वसुधैव कुटुम्बकम्’’। यानी पूरी दुनिया एक परिवार है। तत्वतः हम सब एक परिवार की तरह बंधे हुए हैं, हमारी नियतियां एक साझा सूत्र से हमें जोड़ती हैं। वसुधैव कुटुम्बकम् की यह धारणा निश्चित तौर पर आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए और भी ज्यादा सार्थक है।

श्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज सम्पूर्ण विश्व के लिये एक महत्वपूर्ण चुनौती है। भारत ने इस चुनौती से निपटने के लिये न केवल लक्ष्य निर्धारित किये, बल्कि इस दिशा में लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई अभूतपूर्व कदम भी उठाये। यह पहल भी भारत ने अपने दर्शन “भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्याः” के आधार पर धरती को माता मानकर इस विषय पर संवेदनशील रुख अपनाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हज़ारों साल पहले भारत में लिखे गए सबसे प्रमुख उपनिषद ‘इशोपनिषद’ की शुरुआत में ही तत्त्व द्रष्टा गुरु ने अपने शिष्यों से परिवर्तनशील जगत के बारे में कहा:

‘तेन त्यक्तेन भुन्जीथा, मागृधःकस्यस्विद्धनम्।

यानी संसार में रहते हुए उसका त्याग पूर्वक भोग करो, और किसी दूसरे की सम्पत्ति का लालच मत करो। ढाई हज़ार साल पहले भगवान् बुद्ध ने अपरिग्रह यानि आवश्यकता के अनुसार इस्तेमाल को अपने सिद्धांतों में प्रमुख स्थान दिया।

उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण में व्याप्त भयंकर कुपरिणामों के इलाज का एक अचूक नुस्खा है – प्राचीन भारतीय दर्शन का मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य। यही नहीं, इस दर्शन से जन्मी योग और आयुर्वेद जैसी भारतीय परम्पराओं की समग्र पद्धति न सिर्फ परिवेश और हमारे बीच के दरारों को पाट सकती है, बल्कि हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य और संतुलन भी प्रदान करती है।

श्री मोदी ने कहा कि वातावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन का प्रतिकार करने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान, एक बहुत बड़ा लक्ष्य मेरी सरकार ने देश के सामने रखा है। सन् 2022 तक हमें भारत में 175 GW रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन करना है। पिछले करीब तीन वर्षों में 60 GW, यानी इस लक्ष्य का एक तिहाई से भी अधिक हम प्राप्त कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री जी ने हर वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के मंच पर भी दोहराया। उन्होंने आतंकवाद के व्यापक खतरे को स्पष्ट रूप से पराजित करने के लिये समग्र विश्व से एकजुट होने की अपील की ‘गुड टेररिज्म’ और ‘बैड टेररिज्म’ के नजरिये को खत्म करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री जी ने भूमंडलीकरण के खिलाफ संरक्षणवाद की नीति पर कड़ा वार करते हुए कहा कि पूरी दुनिया को इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जिसका समाधान आपसी सहमति और एकजुट होकर करने से संभव होगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के ख़तरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात करता है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन की चमक कम हो रही है।

श्री मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्श अभी भी सर्वमान्य हैं। वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन भी व्यापक है, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने हुए विश्व संगठनों की संरचना, व्यवस्था और उनकी कार्य पद्धति क्या आज के मानव की आकांक्षाओं और उसके सपनों को, आज की वास्तविकता को परिलक्षित करते हैं?

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का लोकतंत्र देश की स्थिरता, निश्चितता और सतत विकास का मूल आधार है। धर्म, संस्कृति, भाषा, वेश-भूषा और खान-पान की अपार विविधता से भरे-पूरे भारत के लिए लोकतंत्र महज़ एक राजनैतिक व्यवस्था नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जीवन शैली है। हम भारतीय यह भली-भांति जानते और समझते हैं की विविधता की अनेकता को सौहार्द, सहयोग और संकल्प की एकता में बदलने के लिए लोकतांत्रिक परिवेश और स्वतंत्रताओं का महत्व क्या है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र सिर्फ हमारी विविधता का ही पालन-पोषण नहीं करता, बल्कि सवा सौ करोड़ से भी अधिक भारतीयों की आशाओं, आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और उनके सपनों को पूरा करने के लिए, उनके समुचित विकास के लिए आवश्यक परिवेश, रोड मैप और खांका भी प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य और समावेशी आर्थिक विकास और प्रगति में तमाम दरारों को पाटने की संजीवनी शक्ति है। भारत के साठ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में तीस साल बाद पहली बार किसी एक राजनीतिक पार्टी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया। हमने किसी एक वर्ग या कुछ लोगों के सीमित विकास का नहीं, बल्कि सबके विकास का संकल्प किया। मेरी सरकार का सिद्धांत है: “सबका साथ -सबका विकास”। प्रगति के लिए हमारा विज़न समावेशी है, हमारा मिशन समावेशी है।

श्री मोदी ने कहा कि यह समावेशी दर्शन मेरी सरकार की हर नीति का हर योजना का आधार है। चाहे वह करोड़ों लोगों के लिए पहली बार बैंक खाते खुला के वित्तीय समावेशन करना हो, या गरीबों तक, हर जरूरतमंद तक डिजिटल टेक्नोलॉजी द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर या फिर जेंडर जस्टिस के लिए ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’।