सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मिली मंज़ूरी

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मई को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के मेल से ‘सहकारिता के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना’ के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) के गठन और सशक्तीकरण को मंज़ूरी प्रदान की।

योजना का प्रोफेशनल तरीके से समयबद्ध और एकरूपता के साथ कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों/संघराज्य क्षेत्रों में कम से कम 10 चुने हुए जिलों में एक पायलट परियोजना चलाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट, इस योजना की विभिन्न क्षेत्रीय आवश्यकताओं के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिसे इस योजना के देशव्यापी कार्यान्वयन में शामिल किया जाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि यह अत्यंत दूरदर्शी निर्णय है, जो एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और खाद्यान्नों से संपन्न भारत की नींव रखेगा। कृषि भंडारण क्षमता की कमी से खाद्यान्नों की बर्बादी होती है और किसानों को मजबूरन अपनी फसलों को कम दाम पर बेचना पड़ता है। इस निर्णय से अब किसानों को आधुनिक अन्न भंडारण की सुविधा प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के माध्यम से उनके ब्लॉक में मिलेगी, जिससे वे अपने अनाज का उचित मूल्य प्राप्त कर पाएंगे।

श्री शाह ने कहा कि पैक्स ग्रामीण अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण धुरी हैं। इस योजना से देश को खाद्यान्न सुरक्षा मिलेगी और सहकारिता से जुड़े करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचेगा। इस योजना से पैक्स भंडारण के साथ-साथ कई अन्य कार्य, जैसे— फेयर प्राइस शॉप व कस्टम हायरिंग केन्द्रों की तरह भी काम कर पाएंगे।

इस ऐतिहासिक निर्णय से किसानों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे :

1. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कुछ अग्रिम भुगतान प्राप्त कर अपनी फसल पैक्स को बेच सकते हैं और पैक्स द्वारा बाजार में खाद्यान्नों की बिक्री के उपरांत शेष राशि प्राप्त कर सकते हैं, या
2. किसान अपनी फसल का भंडारण पैक्स द्वारा प्रबंधित गोदाम में कर सकते हैं और फसल के अगले चक्र के लिए वित्त सुविधा प्राप्त कर सकते हैं तथा अपनी फसल को अपनी इच्छानुसार समय पर बेच सकते हैं, या
3. किसान अपनी पूरी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैक्स को बेच सकते हैं।