हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 78वां स्वतंत्रता दिवस

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हम ‘विकसित भारत’ का लक्ष्‍य पूरा करके रहेंगे : नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2024 को भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, ”विकसित भारत 2047, ये सिर्फ भाषण के शब्‍द नहीं हैं, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। देश के को‍टि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और हमने देशवासियों से सुझाव मांगे और मुझे प्रसन्‍नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने ‘विकसित भारत 2047’ के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। हर देशवासी का संकल्‍प उसमें झलकता है। युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, किसान हों, दलित हों, आदिवासी हों, पहाड़ों में रहने वाले लोग हों, जंगल में रहने वाले लोग हों, शहरों में रहने वाले लोग हों, हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा, तब तक विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं।” प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मजबूत सुधारों के बारे में विस्तार से बात करते हुए कहा कि राजग सरकार बड़े सुधारों को लागू करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इन प्रयासों के माध्यम से हमारा लक्ष्य देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर करना है। उन्होंने कहा कि अगर हम इस अवसर का लाभ उठाते हैं और अपने सपनों एवं संकल्पों के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम हमारी ‘स्वर्णिम भारत’ की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे और 2047 तक ‘विकसित भारत’ के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। प्रस्तुत है प्रधानमंत्री श्री मोदी के भाषण के मुख्य अंश:

आज वो शुभ घड़ी है, जब हम देश के लिए मर-मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी के तख्‍ते पर चढ़ करके भारत मां की जय के नारे लगाने वाले अनगिनत आजादी के दीवानों को नमन करने का यह पर्व है। उनका पुण्‍य स्‍मरण करने का पर्व है। आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्‍वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्‍य दिया है। यह देश उनका ऋणी है। ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपना श्रद्धाभाव व्‍यक्‍त करते हैं।

आज जो महानुभाव राष्‍ट्र रक्षा के लिए और राष्‍ट्र निर्माण के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं, देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। चाहे वो हमारा किसान हों, हमारा जवान हो, हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारी माता-बहनों का योगदान हों, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, अब हम लोगों के बीच भी स्‍वतंत्रता के प्रति उसकी निष्‍ठा, लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा यह पूरे विश्‍व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सबकी चिंता बढ़ती चली जा रही है। प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोये हैं, सम्‍पत्ति खोई है, राष्‍ट्र ने भी बारम्बार नुकसान भोगा है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं और मैं उन्‍हें विश्‍वास दिलाता हूं, यह देश इस संकट की घड़ी में उन सबके साथ खड़ा है।

गुलामी में हर कालखंड संघर्ष का रहा

हम जरा आजादी के पहले के वो दिन याद करें, सैकड़ों साल की गुलामी में हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो, वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे, अविरत जंग लड़ते रहे। इतिहास गवाह है कि 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम जिसको हम याद करते हैं, उसके पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जाती थी। गुलामी का इतना लम्‍बा कालखंड, जुल्‍मी शासक, अपरंपार यातनाएं, सामान्‍य से सामान्‍य मानवीयों का विश्‍वास तोड़ने की हर तरकीबें, उसके बावजूद भी, उस समय की जनसंख्‍या के हिसाब से करीब 40 करोड़ देशवासी आजादी के पूर्व 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्‍बा दिखाया, वो सामर्थ्‍य दिखाया, एक सपना ले करके चले, एक संकल्‍प ले करके चलते रहे, जूझते रहे; एक ही स्‍वर था वंदे मातरम्, एक ही सपना था भारत की आजादी का।

और हमें गर्व है कि हमारी रगों में उन्‍हीं का खून है। वो हमारे पूर्वज थे, सिर्फ 40 करोड़। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महा सत्‍ता को उखाड़ करके फेंक दिया था, गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया था। अगर हमारे पूर्वज, जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम तो 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, अगर 40 करोड़ आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं, आजादी ले करके रह सकते हैं तो 140 करोड़ देश के मेरे नागरिक, 140 करोड़ मेरे परिवारजन अगर संकल्‍प ले करके चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित करके चल पड़ते हैं, कदम से कदम मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर अगर चल पड़ते हैं, तो चुनौतियां कितनी भी क्‍यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्‍यों न

-आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्‍वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्‍य दिया है। यह देश उनका ऋणी है
-प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोये हैं, सम्‍पत्ति खोई है, राष्‍ट्र ने भी बारम्बार नुकसान भोगा है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं
-हम जरा आजादी के पहले के वो दिन याद करें, सैकड़ों साल की गुलामी में हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो, वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे, अविरत जंग लड़ते रहे
-विकसित भारत 2047, ये सिर्फ भाषण के शब्‍द नहीं हैं, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है
अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ से, अपने समर्पण से, अपने त्‍याग से, अपने बलिदान से आजादी दे सकते हैं, आजाद भारत बना सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी उसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं

हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तो भी, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 ‘विकसित भारत’ का लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकते हैं।

अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ से, अपने समर्पण से, अपने त्‍याग से, अपने बलिदान से आजादी दे सकते हैं, आजाद भारत बना सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी उसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं। एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली। आज ये समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का। अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता ‘समृद्ध भारत’ भी बना सकती है।

विकसित भारत 2047, ये सिर्फ भाषण के शब्‍द नहीं

विकसित भारत 2047, ये सिर्फ भाषण के शब्‍द नहीं हैं, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। देश के को‍टि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और हमने देशवासियों से सुझाव मांगे। और मुझे प्रसन्‍नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। हर देशवासी का संकल्‍प उसमें झलकता है। युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, किसान हों, दलित हों, आदिवासी हों, पहाड़ों में रहने वाले लोग हों, जंगल में

-ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है। तब सामान्य मानवीय का भरोसा बढ जाता है
-जल जीवन मिशन के तहत इतने कम समय में नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंच रहा है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन चुके हैं
-कुछ लोगों ने कहा कि दुनिया का स्‍किल कैपिटल बनाने का सुझाव हमारे सामने रखा। 2047 विकसित भारत के लिए कुछ लोगों ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्‍लोबल हब बनाने का सुझाव दिया
-कई लोगों ने सुझाव दिया कि हमारे किसान जो मोटा अनाज पैदा करते हैं, जिसको हम श्रीअन्‍न कहते हैं, उस सुपर फूड को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है

रहने वाले लोग हों, शहरों में रहने वाले लोग हों, हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा, तब तक ‘विकसित भारत’ के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं।

मैं जब इन सुझावों को देखता था, मेरा मन प्रसन्‍न हो रहा था, उन्‍होंने क्‍या लिखा, कुछ लोगों ने कहा कि दुनिया का स्‍किल कैपिटल बनाने का सुझाव हमारे सामने रखा। 2047 विकसित भारत के लिए कुछ लोगों ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्‍लोबल हब बनाने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने भारत की हमारी यूनिवर्सिटीज ग्‍लोबल बने इसके लिए सुझाव दिया। कुछ लोगों ने ये भी कहा कि क्या आजादी के इतने सालों के बाद हमारा मीडिया ग्‍लोबल नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों ने ये भी कहा कि हमारा स्‍किल्‍ड युवा विश्‍व की पहली पसंद बनना चाहिए। कुछ लोगों ने सुझाव दिया भारत को जल्‍द से जल्‍द जीवन के हर क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनना चाहिए। कई लोगों ने सुझाव दिया कि हमारे किसान जो मोटा अनाज पैदा करते हैं, जिसको हम ‘श्रीअन्‍न’ कहते हैं, उस सुपर फूड को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है। हमें विश्‍व के पोषण को भी बल देना है और भारत के छोटे किसानों को भी मजबूती देनी है।

कई लोगों ने सुझाव दिया कि देश में स्‍थानीय स्‍वराज की संस्‍थाओं से लेकर के अनेक इकाइयां हैं, उन सबमें गर्वनेंस के रिफॉर्म्स की बहुत जरुरत है। कई लोगों ने लिखा कि न्‍याय के अंदर जो विलंब हो रहा है, उसके प्रति चिंता जाहिर की और ये भी कहा कि हमारे देश में न्‍याय व्‍यवस्‍था में रिफॉर्म्स की बहुत बड़ी जरुरत है। कई लोगों ने लिखा कि कई ग्रीन फील्‍ड सिटिज बनाने की अब समय की मांग है। किसी ने बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाओं के बीच शासन-प्रशासन में कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए एक अभियान चलाने का सुझाव दिया। बहुत सारे लोगों ने ये सपना भी देखा है कि अंतरिक्ष में भारत का स्‍पेस स्‍टेशन जल्‍द से जल्‍द बनना चाहिए। किसी ने कहा भारत की जो पारंपरिक ट्रेडिशनल मेडिसिन है, हमारी औषधि है, दुनिया जब आज हॉलिस्‍टिक हेल्‍थकेयर की तरफ जा रही है, तब हमें भारत की पारंपरिक औषधियां और वेलनेस हब के रूप में भारत को विकसित करना चाहिए। कोई कहता है कि अब देर नहीं होनी चाहिए, भारत अब जल्‍द से जल्‍द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनना चाहिए।

मैं इसलिए पढ़ रहा था कि ये मेरे देशवासियों ने ये सुझाव दिए हैं। मेरे देश के सामान्‍य नागरिक ने ये सुझाव हमें दिए हैं। मैं समझता हूं कि जब देशवासियों की इतनी विशाल सोच हो, देशवासियों के इतने बड़े सपने हो, देशवासियों की इन बातों में जब संकल्‍प झलकते हों, तब हमारे भीतर एक नया संकल्‍प दृढ़ बन जाता है। हमारे मन में आत्‍मविश्‍वास नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है और देशवासियों का ये भरोसा सिर्फ कोई बौद्धिक बहस नहीं है, ये भरोसा अनुभव से निकला हुआ है। ये विश्‍वास लंबे कालखंड के परिश्रम की पैदावार है और इसलिए देश का सामान्‍य मानवीय याद करता है जब लाल किले से कहा जाता है कि हिन्‍दुस्‍तान के 18 हजार गांवों में समय सीमा में बिजली पहुंचाएंगे और वो काम हो जाता है, तब भरोसा मजबूत हो जाता है। जब ये तय होता है कि आजादी के इतने सालों के बाद भी ढाई करोड़ परिवार ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं है, वो अंधेरे में जिंदगी गुजारते हैं, ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है। तब सामान्य मानवीय का भरोसा बढ़ जाता है।

नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंचा

जब स्वच्छ भारत की बात कही जाए तभी देश के अग्रिम घरों के पंक्ति में बैठे हुए लोग हों, गांव के लोग हों, गरीब बस्ती में रहने वाले लोग हों, छोटे-छोटे बच्चे हों, हर परिवार के अंदर स्वच्छता का वातावरण बन जाए, स्वच्छता की चर्चा हो, स्वच्छता के संबंध में एक दूसरे को रोक टोकने का निरंतर प्रयास चलता रहे, मैं समझता हूं कि ये भारत के अंदर आई हुई नई चेतना का प्रतिबिंब है। जब देश के सामने लालकिले से कहा जाए कि आज हमारे परिवारों में तीन करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके घर में नल से जल मिलता है। आवश्यक है हमारे इन परिवारों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचे। जल जीवन मिशन के तहत इतने कम समय में नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंच रहा है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन चुके हैं।

हमारे कौन लोग वंचित थे इन व्यवस्थाओं से? कौन पीछे रह गए थे? समाज के अग्रिम पंक्ति के लोग इसके लिए अभाव में नहीं जीते थे। मेरे दलित, मेरे पीड़ित, मेरे शोषित, मेरे आदिवासी भाई-बहन, मेरे गरीब भाई-बहन, मेरे झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारने वाले लोग, वही तो इन चीजों के अभाव में जी रहे थे। हमने अनेक ऐसे प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो प्रयास किया और उसका परिणाम हमारे इन सारे समाज के बंधुओं को मिला है।

वोकल फॉर लोकल

हमने वोकल फॉर लोकल का मंत्र दिया। आज मुझे खुशी है कि वोकल फॉर लोकल ने अर्थतंत्र के लिए एक नया मंत्र बन गया है। हर डिस्ट्रिक्ट अपनी पैदावर के लिए गर्व करने लगा है। ‘एक जिला एक उत्पाद’ का माहौल बना है। अब एक जिला एक उत्पाद को एक जिला का एक उत्पाद का निर्यात कैसे हो उस दिशा में हर जिले सोचने लगे हैं। रिन्यूएबल एनर्जी का संकल्प लिया था। जी-20 समूह के देशों ने जितना किया है उससे ज्यादा भारत ने किया है और भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए हमने काम किया है। देश गर्व करता है आज जब फिनटेक की सफलताओं को लेकर पूरा विश्व भारत से कुछ सीखना समझना चाहता है। तब हमारा गर्व और बढ़ जाता है।

हम कैसे भूल सकते हैं कोरोना के वो संकट काल। विश्व में सबसे तेज गति से करोड़ों लोगों को वैक्सीनेशन का काम हमारे इसी देश में हुआ। जब देश की सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है, जब देश की सेना एयर स्ट्राइक करती है तो उस देश के नौजवानों का सीना ऊंचा हो जाता है, तन जाता है, गर्व से भर जाता है और यही बातें हैं जो आज 140 करोड़ देशवासियों का मन गर्व से भरा हुआ है, आत्मविश्वास से भरा हुआ है।

हम ये न भूलें कि देश उस परिस्थितियों से दशकों तक भी आजादी के बाद समय बिताया है। जब होती है, चलती है, अरे यार ये तो चलेगा, अरे हमें क्या मेहनत करने की जरूरत है, अरे मामला है अगली पीढ़ी देखेगी, हमको मौका मिला है यार मौज कर लो। आगे वाला आगे का जाने हमें क्या करना है, हम अपना समय निकाल दें। अरे नया करने जाओगे कोई बवाल उठ जाए। पता नहीं क्यों देश में एक यथास्थिति का माहौल बन गया था। जो है उसी से गुजारा कर लो इसी का माहौल बन गया था और लोग तो कहते अरे भई छोड़ो अब कुछ होने वाला नहीं है। ऐसा ही मन बन गया था।

हमने बड़े सुधारों को लागू किया

हमें इस मानसिकता को तोड़ना था, हमें विश्वास से भरना था और हमने उस दिशा में प्रयास किया। कई लोग तो कहते थे अरे भई अगली पीढ़ी के लिए काम हम अभी से क्यों करें, हम तो आज का देखें, लेकिन देश का सामान्य नागरिक ये नहीं चाहता था, वो बदलाव के इंतजार में था, वो बदलाव चाहता था, उसकी ललक थी। लेकिन उसके सपने को किसी ने तवज्जों नहीं दी, उसकी आशा, आकांक्षाओं, अपेक्षाओं को

-आज मुझे खुशी है कि वोकल फॉर लोकल ने अर्थतंत्र के लिए एक नया मंत्र बन गया है
-अब एक जिला एक उत्पाद को एक जिला का एक उत्पाद का निर्यात कैसे हो उस दिशा में हर जिले सोचने लगे हैं। रिन्यूएबल एनर्जी का संकल्प लिया था। जी-20 समूह के देशों ने जितना किया है उससे ज्यादा भारत ने किया है
-विश्व में सबसे तेज गति से करोड़ों लोगों को वैक्सीनेशन का काम हमारे इसी देश में हुआ
-जब देश की सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है, जब देश की सेना एयर स्ट्राइक करती है तो उस देश के नौजवानों का सीना ऊंचा हो जाता है
-जब बैंक मजबूत होती है ना तब फॉर्मल इकॉनमी की ताकत भी बढ़ती है

तवज्जो नहीं दी गई और उसके कारण वो मुसीबतों को झेलते हुए गुजारा करता रहा। वो रिफॉर्म्स का इंतजार करता रहा। हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे। गरीब हो, मिडिल क्लास हो, हमारे वंचित लोग हों, हमारी बढ़ती जाती शहरी आबादी हो, हमारे नौजवानों के सपने हों, संकल्प हों, आकांक्षाएं हों, उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए रिफॉर्म्स का मार्ग हमने चुना।

हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वो राजनीति का भाग और गुणा करके नहीं सोचते हैं, हमारा एक ही संकल्प होता है— Nation First, Nation First, राष्ट्रहित सुप्रीम। ये मेरा भारत महान बने इसी संकल्प को लेकर के हम कदम उठाते हैं। जब रिफॉर्म्स की बात आती है, एक लंबा परिवेश है, अगर मैं उसकी चर्चा में चला जाऊंगा तो शायद घंटों निकल जाएंगे, लेकिन मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूं। बैंकिंग क्षेत्र में जो रिफॉर्म हुआ। आप सोचिए, बैंकिंग क्षेत्र का क्या हाल था, न विकास होता था, न विस्तार होता था, न विश्वास बढ़ता था। इतना ही नहीं जिस प्रकार के कारनामें चले उसके कारण हमारे बैंक संकटों से गुजर रहे थे। हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए अनेकविद रिफॉर्म्स किए और आज उसके कारण हमारे बैंक विश्व में जो गिने चुने मजबूत बैंक हैं उसमें भारत के बैंकों ने अपना स्थान बनाया है।

-मुझे तो खुशी है कि मेरे पशुपालक भी, मेरे मछली पालन करने वाले भाई-बहन भी आज बैंकों से लाभ ले रहे हैं
-मुझे खुशी है मेरे रेहड़ी-पटरी वाले लाखों भाई-बहन आज बैंक के साथ जुड़कर के अपनी नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं और विकास की दिशा में वो भागीदार बन रहे हैं
-हमारे MSMEs, हमारे लघु उद्योग के लिए तो बैंक एक सबसे बड़ी सहायक होती है। उसको रोजमर्रा पैसों की जरूरत होती है, अपने नित्य मर्जी प्रगति के लिए और वो काम हमारी मजबूत बैंकों के कारण आज संभव हुआ है
-आज विश्‍व में युवाओं के लिए संभावनाएं के द्वार खुले हैं। रोजगार के अनगिनत नये अवसर आजादी के इतने सालों के बाद भी नहीं आए थे, वो आज उनके दरवाजे पर दस्‍तक दे रहे हैं
-मैं कहना चाहूंगा भारत के लिए स्वर्णिम युग है

मजबूत बैंकिंग व्यवस्था से मिला लाभ

जब बैंक मजबूत होती है ना तब फॉर्मल इकॉनमी की ताकत भी बढ़ती है। जब बैंक व्यवस्था बन जाती है, जब सामान्य गरीब खासकर के मध्यम वर्गीय परिवार की जो जरूरत होती हैं, उसको पूरा करने की सबसे बड़ी ताकत बैंकिंग सेक्टर में होती है। अगर उसको होम लोन चाहिए, उसको व्हीकल का लोन चाहिए, मेरे किसान को ट्रैक्टर के लिए लोन चाहिए, मेरे नौजवानों को स्टार्ट अप्स के लिए लोन चाहिए, मेरे नौजवानों को कभी पढ़ने के लिए शिक्षा के लिए लोन चाहिए, किसी को विदेश जाने के लिए लोन चाहिए। ये सारी बातें उससे संभव होती है।

मुझे तो खुशी है कि मेरे पशुपालक भी, मेरे मछली पालन करने वाले भाई-बहन भी आज बैंकों से लाभ ले रहे हैं। मुझे खुशी है मेरे रेहड़ी-पटरी वाले लाखों भाई-बहन आज बैंक के साथ जुड़कर के अपनी नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं और विकास की दिशा में वो भागीदार बन रहे हैं। हमारे MSMEs, हमारे लघु उद्योग के लिए तो बैंक एक सबसे बड़ी सहायक होती है। उसको रोजमर्रा पैसों की जरूरत होती है, अपने नित्य मर्जी प्रगति के लिए और वो काम हमारी मजबूत बैंकों के कारण आज संभव हुआ है।

देश में नई व्‍यवस्‍थाएं बन रही हैं। देश को आगे ले जाने के लिए अनेक वित्‍त नीतियों को, अनेक वित्‍त पॉलिसीस को निरंतर बनाया जाए और नए सिस्‍टम पर देश का भरोसा भी बढ़ता रहता है, निरंतर बढ़ता रहता है। आज जो 20-25 साल का नौजवान है, जो 10 साल पहले जब 12-15 साल की उम्र का नौजवान था, उसने अपनी आंखों के सामने यह बदलाव देखा है। 10 साल के भीतर-भीतर उसके सपनों को आकार मिला है, धार मिली है और उसके आत्‍मविश्‍वास में एक नई चेतना जगी है और वही देश के एक नये सामर्थ्य के रूप में उभर रहा है। आज विश्‍वभर में भारत की साख बढ़ी है, भारत के प्रति देखने का नजरिया बदला है। आज विश्‍व में युवाओं के लिए संभावनाएं के द्वार खुले हैं। रोजगार के अनगिनत नये अवसर आजादी के इतने सालों के बाद भी नहीं आए थे, वो आज उनके दरवाजे पर दस्‍तक दे रहे हैं। संभावनाएं बढ़ती गई हैं। नये मौके बन रहे हैं।

भारत का स्वर्णिम युग

मेरे देश के युवाओं को अब धीरे-धीरे चलने का इरादा नहीं है। मेरे देश का नौजवान incremental प्रगति में विश्‍वास नहीं करता। मेरा देश का नौजवान छलांग मारने के मूड में है। वो छलांग मार करके नई सिद्धियों को प्राप्‍त करने के मूड में है। मैं कहना चाहूंगा भारत के लिए स्वर्णिम युग है। वैश्विक परिस्थितियों की तुलना में भी देखें यह Golden Era है, यह हमारा स्‍वर्णिम कालखंड है। यह अवसर हमें जाने नहीं देना, यह मौका हमें जाने नहीं देना चाहिए और इसी मौके को पकड़ करके अपने सपने और संकल्‍पों को ले करके चल पड़ेंगे, तो हम देश की स्‍वर्णिम भारत की अपेक्षा और विकसित भारत का 2047 का लक्ष्‍य पूरा करके रहेंगे। हम सदियों की बेड़ियों को तोड़ करके निकले हैं।

हर सेक्‍टर में आधुनिकता की जरूरत है, नयेपन की जरूरत है। टेक्‍नोलॉजी को जोड़ने की जरूरत है और हर सेक्‍टर में हमारी नई नीतियों के कारण इन सारे क्षेत्रों में एक नया सपोर्ट मिल रहा है, नयी ताकत मिल रही है। हमारे सारे अवरोध हटे, हमारी मंदी से दूर हो, हम पूरे सामर्थ्य के साथ चल पड़े, खिल उठे, सपनों को पा करके रहे, सिद्धि को हम अपने निकट देखें, हम आत्‍मसात् करें उस दिशा में हमने चलना हैं। अब आप देखिए, कितना बड़ा बदलाव आ रहा है। मैं एकदम ज़मीनी स्तर की बात कर रहा हूं, वीमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप; आज दस साल में हमारी 10 करोड़ बहनें वीमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप में जुड़ी हैं, 10 करोड़ नई बहनें। हमें गर्व हो रहा है कि हमारे सामान्‍य परिवार की गांव की 10 करोड़ महिलाएं आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बन रही हैं और जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बनती हैं तब परिवार की निर्णय प्रक्रिया की हिस्‍सेदार बनती हैं, एक बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन की गारंटी ले करके आती हैं।

इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और ईज ऑफ़ लीविंग साथ-साथ

आज देश में नए अवसर बनें, तब मैं कह सकता हूं दो चीजें और हों, जिसने विकास को एक गति दी है, विकास को एक नई छलांग दी है और ये है— पहला है आधुनिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का निर्माण। हमने इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को आधुनिक बनाने की दिशा में बहुत बड़े कदम उठाए हैं और दूसरी तरफ सामान्‍य मानवी के जीवन में जो बाधाएं हैं, ईज ऑफ़ लीविंग का हमारा जो सपना है, उस पर भी हमने उतना ही बल दिया है। पिछले एक दशक में अभूतपूर्व इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का विकास हुआ है। रेल हो, रोड हो, एयरपोर्ट हो, पोर्ट हो, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी हो, गांव-गांव नए स्कूल बनाने की बात हो, जंगलों में स्‍कूल बनाने की बात हो, दूर-सुदूर इलाकों में अस्‍पताल बनाने की बात हो, आरोग्‍य मंदिर बनाने की बात हो, मेडिकल कॉलेजों का काम हो, आयुष्‍मान आरोग्‍य मंदिरों का निर्माण चलता हो, 60 हजार से ज्‍यादा अमृत सरोवर बने हों, दो लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचा हो, नहरों का एक बहुत बड़ा जाल बिछाया जा रहा हो, चार करोड़ पक्‍के घर बनना, गरीबों को एक नया आश्रय मिलना, तीन करोड़ नए घर बनाने के संकल्‍प के साथ आगे बढ़ने की हमारी कोशिश हो।

हमारा पूर्वी भारत-नॉर्थ ईस्‍ट उसका इलाका आज इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए जाना जाने लगा है और हमने ये जो कायाकल्‍प किया है, उसका सबसे बड़ा लाभ समाज के उन वर्गों तक हम पहुंचे हैं, जब ग्रामीण सड़कें वहां बनी हैं, जिनकी तरफ कोई देखता नहीं था, जिन इलाकों को नहीं देखता था, जिन गांवों को नहीं देखता था। दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, पिछड़े हों, आदिवासी हों, जंगल में रहने वाले हों, दूर-सदूर पहाड़ों में रहने वाले हों, सीमावर्ती स्‍थान पर रहने वाले हों, हमने उनकी आवश्‍यकताओं की पूर्ति की है।

सर्वांगीण विकास का प्रयास

हमारे मछुआरे भाई-बहनों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना, हमारे पशुपालकों के जीवन को बदलना, एक प्रकार से सर्वांगीण विकास का प्रयास हमारी नीतियों में रहा, हमारी नियत में रहा है, हमारे रिफॉर्म्स में रहा है, हमारे कार्यक्रमों में रहा है, हमारी कार्यशैली में रहा है। हमारे मछुवारों भाई बहनों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना, हमारे पशुपालकों के जीवन को बदलना, एक प्रकार से सर्वांगीण विकास का प्रयास, हमारी नीतियों में रहा, हमारी नियत में रहा है, हमारे रिफॉर्म में रहा है, हमारे कार्यक्रमों में रहा है, हमारी कार्यशैली में रहा है और उन सबसे, सबसे बड़ा लाभ मेरे युवाओं को मिलता है। उनको नए-नए अवसर मिलते हैं, नए-नए क्षेत्र में कदम रखने का उसके लिए संभावनाएं बन जाती हैं और वही तो सबसे ज्‍यादा रोजगार दे रहा है और सबसे ज्‍यादा रोजगार प्राप्‍त करने का अवसर इन्‍हीं समय में उनको मिला है।

हमारा जो मध्‍यम वर्गीय परिवार है, मध्‍यम वर्गीय परिवार को जीवन की गुणवत्ता, वो स्‍वाभाविक उसकी अपेक्षा रहती है। वो देश के लिए बहुत देता है, तो देश का भी दायित्‍व है कि उसकी जो Quality of Life

60 हजार से ज्‍यादा अमृत सरोवर बने, दो लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचा, चार करोड़ पक्‍के घर बने
-हमारा पूर्वी भारत-नॉर्थ ईस्‍ट उसका इलाका आज इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए जाना जाने लगा है
हमारे मछुआरे भाई-बहनों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना, हमारे पशुपालकों के जीवन को बदलना, एक प्रकार से सर्वांगीण विकास का प्रयास हमारी नीतियों में रहा
-हम छोटी-छोटी जरूरतों पर भी ध्‍यान देते हैं। हम छोटी-छोटी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान देते हैं और उसको लेकर के हम चलते हैं
-हमने देशवासियों के लिए डेढ़ हजार से ज्‍यादा कानूनों को खत्‍म कर दिया ताकि कानूनों के जंजाल कें अंदर देशवासियों को फंसना न पड़े

में उसकी जो अपेक्षाएं हैं, सरकार की कठिनाइयों से मुक्‍ति की उसकी जो अपेक्षाएं हैं उसको पूर्ण करने के लिए हम निरंतर प्रयास करते हैं और मैंने तो सपना देखा है कि 2047 जब ‘विकसित भारत’ का सपना होगा, तो उसकी एक इकाई ये भी होगी कि सामान्‍य मानवीय के जीवन में सरकार की दखलें कम हों। जहां सरकार की जरूरत हो वहां अभाव न हो।

छोटी-छोटी जरूरतों पर भी ध्‍यान

हम छोटी-छोटी जरूरतों पर भी ध्‍यान देते हैं। हम छोटी-छोटी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान देते हैं और उसको लेकर के हम चलते हैं। चाहे हमारे गरीब के घर का चूल्‍हा जलता रहे, गरीब की मां कभी आंसू पी करके सोना न पड़े और इसके लिए मुफ्त इलाज की योजना हमारी चल रही है। बिजली, पानी, गैस, अब सैच्‍यूरेशन के मोड पर हैं और जब हम सैच्‍यूरेशन की बात करते हैं तो शत-प्रतिशत होता है। जब सैच्‍यूरेशन होता है, तो उसको जातिवाद का रंग नहीं लगता है। जब सैच्‍यूरेशन होता है, तो उसमें वामपंथिकता का रंग नहीं लगता है। जब सैच्‍यूरेशन का मंत्र होता है, तब सच्‍चे अर्थ में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र साकार होता है।

लोगों के जीवन में सरकार की दखल कम हो, उस दिशा में हमने, हजारों अनुपालनों के लिए सरकार सामान्‍य मानवीय पर बोझ डालती थी, हमने देशवासियों के लिए डेढ़ हजार से ज्‍यादा कानूनों को खत्‍म कर दिया ताकि कानूनों के जंजाल कें अंदर देशवासियों को फंसना न पड़े। हमने छोटी-छोटी गलतियों के कारण ऐसे कानून बने थे, उनको जेल में अंदर ढकेल दिया जाए। हमने उन छोटे-छोटे कारणों से जेल

नागरिकों को Dignity of Citizen, नागरिकों के जीवन में सम्‍मान मिलें, डिलिवरी के संबंध में कभी किसी को ये कहने की नौबत न आए कि ये तो मेरा हक था कि मुझे मिला नहीं, उसको खोजना न पड़े, सरकार के गवर्नेंस में डिलेवरी सिस्टम को और मजबूती चाहिए
-आज देश में करीब-करीब तीन लाख संस्थाएं काम कर रही हैं। चाहे पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, UT हो, राज्य हो, जिला हो, केंद्र हो, छोटी-मोटी तीन लाख करीब-करीब इकाइयां हैं
-एक पंचायत हो, एक राज्य सरकार हो, कोई विभाग हो, सिर्फ एक साल में दो रिफार्म और उसको जमीन पर उतारें। आप देखिए हम देखते ही देखते एक साल में करीब-करीब 25-30 लाख रिफार्म कर सकते हैं
-आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ है। हमारे देश का नौजवान नई सिद्धियों को चूमना चाहता है

जाने की जो परंपराएं थीं, उन सारे कानूनों को नष्‍ट कर दिया और उसको कानूनों को जेल भेजने के प्रावधान को व्‍यवस्‍था से बाहर कर दिया है। आज जो आजादी के विरासत के गर्व की जो हम बात करते हैं, सदियों से हमारे पास जो क्रिमिनल लॉ थे, आज हमने उसको नए क्रिमिनल लॉ जिसको हमने न्‍याय संहिता के रूप में और जिसके मूल में दंड नहीं तो नागरिक को न्‍याय इस भाव को हमने प्रबल बनाया है।

ईज ऑफ़ लीविंग बनाने में देशव्यापी मिशन में हम काम कर रहे हैं। हर लेवल पर मैं सरकार के प्रति इन चीजों का आह्वान करता हूं। मैं जन-प्रतिनिधि वो किसी भी दल के क्‍यों न हो, किसी भी राज्‍य के क्‍यों न हो सबसे आग्रह करता हूं कि हमने एक मिशन मोड में ईज ऑफ़ लीविंग के लिए कदम उठाने चाहिए। मैं हमारे युवाओं को, प्रोफेशनल्स को, सबको मैं कहना चाहता हूं, आप अपने स्‍थान पर जहां पर आपको छोटी-छोटी दिक्‍कतें होती हैं आप उसको solutions को लेकर के सरकार को चिट्ठी लिखते रहिए। सरकार को बताइए कि बिना कारण की कठिनाई आए, उसको दूर करने से कोई नुकसान नहीं है, मैं पक्‍का मानता हूं आज सरकारें संवेदनशील हैं। हर सरकार स्‍थानीय स्‍वराज की सरकार होगी या राज्‍य सरकार होगी या केंद्र सरकार होगी, उसको तवज्‍जो देगी।

गवर्नेंस में रिफॉर्म्स

गवर्नेंस में रिफॉर्म्स, ये हमें विकसित भारत @ 2047 के सपने के लिए उसको जोर लगाकर के आगे बढ़ाना होगा ताकि सामान्‍य मानवीय के जीवन में अवसर ही अवसर पैदा हों, रुकावटें खत्‍म ही खत्‍म होती चली जाएं। नागरिकों को Dignity of Citizen, नागरिकों के जीवन में सम्‍मान मिलें, डिलिवरी के संबंध में कभी किसी को ये कहने की नौबत न आए कि ये तो मेरा हक था कि मुझे मिला नहीं, उसको खोजना न पड़े, सरकार के गवर्नेंस में डिलेवरी सिस्टम को और मजबूती चाहिए। आप देखिए देश में जब हम रिफॉर्म की बात करते हैं। आज देश में करीब-करीब तीन लाख संस्थाएं काम कर रही हैं। चाहे पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, UT हो, राज्य हो, जिला हो, केंद्र हो, छोटी-मोटी तीन लाख करीब-करीब इकाइयां हैं।

अगर ये हमारे तीन लाख इकाइयों का मैं आज आह्वान करता हूं कि अगर आप साल में अपने स्तर पर जिन चीजों की जरूरत है सामान्य मानवीय के लिए दो रिफार्म करें, ज्यादा नहीं कह रहा हूं मेरे साथियों। एक पंचायत हो, एक राज्य सरकार हो, कोई विभाग हो, सिर्फ एक साल में दो रिफार्म और उसको जमीन पर उतारें। आप देखिए हम देखते ही देखते एक साल में करीब-करीब 25-30 लाख रिफार्म कर सकते हैं। जब 25-30 लाख रिफार्म हो जाएं तब सामान्य मानवीय का विश्वास कितना बढ़ जाएगा। उसकी शक्ति राष्ट्र को नई ऊंचाई पर ले जाने में कितनी काम आएगी और इसलिए हम अपने स्तर पर होती है, चलती से मुक्ति पाकर के बदलावों के लिए आगे आएं, हिम्मत के साथ आगे आएं और सामान्य मानवीय की जरूरत तो छोटी-छोटी जरूरत होती है, पंचायत लेवल पर भी वो मुसीबतें झेल रहा है। उन मुसीबतों से मुक्ति दिलाएं तो मुझे पक्का विश्वास है कि हम सपनों को पार कर सकते हैं।

आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ

आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ है। हमारे देश का नौजवान नई सिद्धियों को चूमना चाहता है। नए-नए शिखरों पर वो कदम रखना चाहता है और इसलिए हमारी कोशिश है हर सेक्टर में कार्य को हम गति दें, तेज गति दें और उसके द्वारा पहले हम हर सेक्टर में नए अवसर पैदा करें। दूसरा ये बदलती हुई व्यवस्थाओं के लिए ये जो सपोर्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। उन इंफ्रास्ट्रक्चर पर हम बदलाव के मजबूती देने की दिशा में काम करें। और तीसरी बात है नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं के विषय में हम प्राथमिकता दें, उसको बल दें। इन तीनों ने भारत में एक आकांक्षी समाज का निर्माण किया है और उसके परिणामस्वरूप आज समाज खुद एक विश्वास से भरा हुआ है। हमारे देशवासियों की आकांक्षाएं उनके aspirations, हमारे नौजवानों की ऊर्जा, हमारे देश के सामर्थ्य के साथ जोड़कर के, हम आगे बढ़ने के, एक ललक लेकर के चल रहे हैं। मुझे विश्वास है रोजगार और स्वरोजगार नए रिकॉर्ड के अवसर पर हमने काम किया है।

प्रति व्यक्ति आज आय दोगुनी करने में हम सफल हुए हैं। वैश्विक विकास में भारत का योगदान बड़ा है। भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ा हुआ है, पहले से दोगुना पहुंचा है। ग्लोबल संस्थानों का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। मुझे विश्वास है भारत की दिशा सही है, भारत की गति तेज है और भारत के सपनों में सामर्थ्य है, लेकिन इन सबके साथ संवेदनशीलता का हमारा मार्ग हमारे लिए ऊर्जा में एक नई चेतना भरता है। ममभाव हमारे कार्य की शैली है। समभाव भी चाहिए और ममभाव भी चाहिए, उसको लेकर के हम चल रहे हैं।

25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले

जब हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालते हैं तब हमारा विश्वास पक्का हो जाता है कि हमने गति को बराबर बनाए रखा किया है और सपनों को साकार करना अब दूर नहीं है। जब 100 से अधिक आकांक्षी जिले अपने-अपने राज्य के अच्छे जिलों की स्पर्धा कर रहे हैं, बराबरी करने लगे हैं तो हमें लगता है कि हमारी दिशा और गति दोनों सामर्थ्यवान हैं। जब हमारे उन आदिवासी साथियों को वो मदद मिलती है, पीएम जन-मन के द्वारा उनको जो योजनाएं पहुंची थी, आबादी बहुत छोटी है। लेकिन बहुत से दूर-सुदूर इलाकों में छुट-पुट, छुट-पुट, परिवार रहते हैं, हमने उनको खोजकर निकाला हैं, उनके लिए चिंता की है। तब लगता है कि संवेदनशीलता से जब काम करते हैं तब संतोष कितना मिलता है।

हमारे ट्रांसजेंडर समाज के प्रति हम जिस संवेदना के साथ निर्णय बना रहे हैं, हम नए-नए कानून बना रहे हैं, उनको सम्मान का जीवन देने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। तब बदलाव की हमारी दिशा सही दिखती है। सेवा-भाव से किए गए इन कामों का जो त्रिविध मार्गों से हम चले हुए हैं, इन कामों का एक सीधा-सीधा लाभ आज उसके परिणाम के रूप में हमें नजर आ रहा है। 60 साल बाद लगातार तीसरी

 

-जब हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालते हैं तब हमारा विश्वास पक्का हो जाता है कि हमने गति को बराबर बनाए रखा किया है और सपनों को साकार करना अब दूर नहीं है
-जब 100 से अधिक आकांक्षी जिले अपने-अपने राज्य के अच्छे जिलों की स्पर्धा कर रहे हैं, बराबरी करने लगे हैं तो हमें लगता है कि हमारी दिशा और गति दोनों सामर्थ्यवान हैं
-विकसित भारत के सपने के लिए जिस प्रकार से मानव समूह तैयार करना चाहते हैं, नई शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है
-पिछले 10 साल में मेडिकल सीटों को करीब-करीब एक लाख कर दिया है
-अगले 5 साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी

बार आपने हमें देश सेवा का मौका दिया है। मेरे 140 करोड़ देशवासी आपने जो आशीर्वाद दिए हैं, उसके आशीर्वाद में मेरे लिए एक ही संदेश है ‘जन-जन की सेवा’, हर परिवार की सेवा, हर क्षेत्र की सेवा और सेवा भाव से समाज की शक्ति को साथ लेकर के विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचना।

2047 विकसित भारत के सपने को लेकर के चलना उसी एक संदेश को लेकर मैं आज लालकिले की प्राचीर से हमें आशीर्वाद देने के लिए मैं कोटि-कोटि देशवासियों का सर झुकाकर के आभार व्यक्त करता हूं, मैं उनके प्रति नतमस्तक होता हूं। और मैं उनको विश्वास दिलाता हूं कि हमें नई ऊंचाइयों को, नए जोश के साथ आगे बढ़ना है। हमें सिर्फ जो हो गया है वो संतोष मानकर के बैठने वाले हम लोग नहीं हैं, वो हमारे संस्कार में नहीं है। हम कुछ और करने के लिए, कुछ और आगे बढ़ने के लिए और कुछ और नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं। विकास को, समृद्धि को सपनों को साकार करने को, संकल्पों के लिए जीवन खपाने को हम अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं, देशवासियों को स्वभाव बनाना चाहते हैं।

21वीं सदी के अनुरूप हमारी शिक्षा व्यवस्था

आज नई शिक्षा नीति में कई राज्यों ने अच्छे initiatives लिए हैं और उसके कारण आज एक 21वीं सदी

-मैं मेरे देश के लाखों किसानों का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, जिन्‍होंने प्राकृतिक खेती का रास्‍ता चुना है और हमारी धरती माता की भी सेवा करने का उन्‍होंने बीड़ा उठाया है
-बीते वर्षों में महिलानीत विकास मॉडल पर हमने काम किया है। नवाचार हो, रोजगार हो, उद्यमिता हो, हर सेक्‍टर में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं
-मुझे विश्वास है मैं लाल किले की प्राचीर से कह रहा हूं वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग का हब होगा
-कोई एक जमाना था, हम मोबाइल फोन इम्‍पोर्ट करते थे, आज मोबाइल फोन के मैन्युफैक्चरिंग का इकोसिस्टम बना है, एक बहुत बड़ा हब बना है और आज हम मोबाइल फोन दुनिया में एक्‍सपोर्ट करने लगे हैं
-हम 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी को 500 गीगावॉट तक ले जाने के लिए मकसद से काम कर रहे हैं

के अनुरूप हमारी शिक्षा व्यवस्था को जो हम बल देना चाहते हैं। और विकसित भारत के सपने के लिए जिस प्रकार से मानव समूह तैयार करना चाहते हैं, नई शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे देश के नौजवानों को अब विदेशों में पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़े। मध्यमवर्गीय परिवार का लाखों-करोड़ो रुपया बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए भेजने में खर्च हो जाए। हम यहां ऐसी शिक्षा व्यवस्था को विकसित करना चाहते हैं कि मेरे देश के नौजवानों को विदेश जाना न पड़े। मेरे मध्‍यमवर्गीय परिवारों को लाखों-करोड़ों रुपया खर्च न करना पड़ें, इतना ही नहीं, ऐसे संस्थानों का निर्माण हो ताकि विदेशों से भारत के अंदर उनका मुंह मोड़े।

आज भी हमारे देश में चिकित्सा शिक्षा के लिए हमारे बच्‍चे बाहर जा रहे हैं। वो ज्‍यादातर मध्‍यम वर्ग परिवार के हैं। उनके लाखों-करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं और तब जा करके हमने पिछले 10 साल में मेडिकल सीटों को करीब-करीब एक लाख कर दिया है। करीब-करीब 25 हजार युवा हर साल विदेश में चिकित्सा शिक्षा के लिए जाते हैं और ऐसे-ऐसे देश में जाना पड़ रहा है, कभी-कभी तो मैं सुनता हूं तो हैरान हो जाता हूं और इसलिए हमने तय किया है कि अगले 5 साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी।

विकसित भारत 2047, वो स्‍वस्‍थ भारत भी होना चाहिए और जब स्‍वस्‍थ भारत हो तो आज जो बच्‍चे हैं, उनके पोषण पर आज से ही ध्‍यान देने की जरूरत है और इसलिए हमने विकसित भारत की जो पहली पीढ़ी है, उनकी तरफ विशेष ध्‍यान दे करके हमने पोषण का एक अभियान चलाया है। हमने राष्‍ट्रीय पोषण मिशन शुरू किया है, पोषण को हमने प्राथमिकता दी है।

प्राकृतिक खेती पर बल

आज जब धरती माता के प्रति सारा विश्‍व चिंतित है, जिस प्रकार से उर्वरक के कारण हमारी धरती माता की सेहत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है, हमारी धरती माता की उत्‍पादकता क्षमता खत्‍म होती चली जा रही है, कम होती चली जा रही है और उस समय मैं मेरे देश के लाखों किसानों का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, जिन्‍होंने प्राकृतिक खेती का रास्‍ता चुना है और हमारी धरती माता की भी सेवा करने का उन्‍होंने बीड़ा उठाया है और इस बार बजट में भी हमने प्राकृतिक खेती को बल देने के लिए बहुत बड़ी योजनाओं के साथ बहुत बड़ा बजट में प्रावधान किया है।

बीते वर्षों में महिलानीत विकास मॉडल पर हमने काम किया है। नवाचार हो, रोजगार हो, उद्यमिता हो, हर सेक्‍टर में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं। महिलाएं सिर्फ भागीदारी बढ़ा रही हैं ऐसा नहीं है, महिलाएं नेतृत्‍व दे रही हैं। आज अनेक क्षेत्रों में, आज हमारे रक्षा क्षेत्र में देखिए हमारा एयरफोर्स हो, हमारी आर्मी हो, हमारी नेवी हो, हमारा स्‍पेस सेक्‍टर हो, आज हमारी महिलाओं का हम दमखम देख रहे हैं, देश के लिए। लेकिन दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं और मैं आज लाल किले से फिर से एक बार अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के नाते हमे गंभीरता से सोचना होगा कि हमारी माताओं-बहनों बेटियों के प्रति जो अत्‍याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है। जन सामान्‍य का आक्रोश है। इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं। इसको देश को, समाज को, हमारी राज्‍य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा।

आज हो रहा है मोबाइल फोन का निर्यात

किसी जमाने में कहा जाता था अरे खिलौने भी बाहर से आते थे, वो दिन देखे हमने। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मेरे देश के खिलौने इस दुनिया के बाजार में अपनी धमक लेकर के पहुंच रहे हैं। खिलौने हमारे एक्‍सपोर्ट होने शुरू हुए हैं। कोई एक जमाना था, हम मोबाइल फोन इम्‍पोर्ट करते थे, आज मोबाइल फोन के मैन्युफैक्चरिंग का इकोसिस्टम बना है, एक बहुत बड़ा हब बना है और आज हम मोबाइल फोन दुनिया में एक्‍सपोर्ट करने लगे हैं। ये भारत की ताकत है।

मुझे विश्वास है मैं लाल किले की प्राचीर से कह रहा हूं वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग का हब होगा, दुनिया उसकी तरफ देखती होगी। आज विश्व की बहुत बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। ये चुनाव के बाद मैंने देखा है, मेरे तीसरे कार्यकाल में जितने लोग मुझसे मिलने के लिए मांग कर रहे हैं वो ज्यादातर निवेशक लोग हैं। विश्वभर के निवेशक हैं, वो आना चाहते हैं, भारत में निवेश करना चाहते हैं। ये एक बहुत बड़ी सुनहरा अवसर है। मैं राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि आप निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्पष्ट नीति निर्धारित कीजिए। सुशासन का आश्वासन दीजिए, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के लिए उनको भरोसा दीजिए। हर राज्य एक तंदुरुस्त स्पर्धा में आगे आएं।

2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी का बड़ा लक्ष्य

आज विश्व के अंदर ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन हर क्षेत्र में चिंता और चर्चा का विषय रहता है। भारत ने उस दिशा में काफी कदम उठाए हैं। हम विश्व को आश्वस्त करते रहे हैं और शब्दों से नहीं अपने कार्यों से, प्राप्त परिणामों से हमने विश्व को आश्वस्त भी किया है और विश्व को आश्चर्यचकित भी किया है। हम 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी को 500 गीगावॉट तक ले जाने के लिए मकसद से काम कर रहे हैं, आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा लक्ष्य है। दुनिया के लोग सिर्फ 500 गीगावॉट शब्द सुनते हैं ना तो मेरी तरफ ऐसे-ऐसे देखते हैं। लेकिन आज मैं विश्वास से कह रहा हूं देशवासियों को कि इस लक्ष्य को भी हम पूरा करके रहेंगे। और ये मानवजाति की भी सेवा करेगा, हमारे भविष्य की भी सेवा करेगा, हमारे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बनेगा।

आज हमारे साथ इस तिरंगे झंडे के नीचे वो नौजवान बैठे हैं, जिन्होंने ओलंपिक की दुनिया में भारत का परचम लहराया है। मैं मेरे देश के सभी एथलीट्स को, मैं देश के सभी खिलाड़ियों को 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से बधाई देता हूं। और हम नए सपने, नए संकल्प अत्यधिक पुरुषार्थ के साथ नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगे बढ़ेंगे, ऐसा मैं विश्वास के साथ उनको शुभकामनाएं भी देता हूं आने वाले कुछ दिनों में भारत का एक बहुत बड़ा दस्ता पैरालंपिक के लिए, पेरिस जाने के लिए रवाना होगा। मैं, मेरे सभी पैरालंपिक खिलाड़ियों को भी ह्दय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

समाज के आखिरी तबके के जो लोग हैं, यह हमारा सामाजिक दायित्‍व है, अगर कोई पीछे रह जाते हैं, तो यह हमारे आगे बढ़ने की गति कम कर देता है और इसलिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं तो भी सफलता तब मिलती है पीछे वाले को भी साथ-साथ आगे ले आए। और इसलिए हम सबका दायित्‍व बनता है कि हमारे समाज में आज भी जो क्षेत्र पीछे रह गए हैं, जो समाज पीछे रह गए हैं, जो लोग पीछे रह गए हों,

-समाज के आखिरी तबके के जो लोग हैं, यह हमारा सामाजिक दायित्‍व है, अगर कोई पीछे रह जाते हैं, तो यह हमारे आगे बढ़ने की गति कम कर देता है और इसलिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं तो भी सफलता तब मिलती है पीछे वाले को भी साथ-साथ आगे ले आएं
-भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती आ रही है। यह हम सबके लिए प्रेरणा का कारण बनें। समाज के प्रति छोटा सा छोटा व्‍यक्ति भी देश के लिए कैसे जज्‍़बात रखता है उससे बड़ी प्रेरणा भगवान बिरसा मुंडा से कौन अधिक हो सकता है
-ईमानदारी के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी, तीव्र गति से जारी रहेगी और भ्रष्‍टाचारियों पर कार्रवाई जरूर होगी
-बांग्‍लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना, मैं इसको समझ सकता हूं। मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्‍द ही सामान्‍य होंगे। खासकर के 140 करोड़ देशवासियों की चिंता कि वहां हिंदू, वहां के अल्‍पसंख्‍यक, उस समुदाय की सुरक्षा
सुनिश्‍चित हो

हमारे छोटे-छोटे किसान हो, हमारे जंगलों में रहने वाले मेरे आदिवासी भाई-बहन हों, हमारी माताएं-बहनें हों, हमारे मजदूर हों, हमारे श्रमिक साथी हों, हमारे कामगार लोग हों, इन सबको हमें बराबरी में लाने के लिए, हमारे बराबर लाने के लिए भरपूर प्रयास करना है, लेकिन अब गति पकड़ गई है अब लम्‍बे दिन तक हमें वो करना नहीं पड़ेगा, बहुत जल्‍द वो हमारे पास पहुंच जाएंगे, हमारी बराबरी में आ जाएंगे, हमारी ताकत बहुत बढ़ जाएगी और बड़ी संवेदना के साथ हमें इस काम को करना है। इसके लिए एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है। मैं मानता हूं संवेदनशीलता की दृष्टि से इससे बड़ा अवसर और क्‍या हो सकता है।

आ रही है भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती

हमें पता है अंग्रेजों की नाक में दम करने वाला हमारे देश का एक आदिवासी युवक था। 20-22 साल की उम्र में उसने अंग्रेजों की नाकों में दम ला दिया था, जिसको आज भगवान बिरसा मुंडा के रूप में लोग पूजा करते हैं। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती आ रही है। यह हम सबके लिए प्रेरणा का कारण बनें। समाज के प्रति छोटा सा छोटा व्‍यक्ति भी देश के लिए कैसे जज्‍़बात रखता है उससे बड़ी प्रेरणा भगवान बिरसा मुंडा से कौन अधिक हो सकता है। आइये, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं

-परिवारवाद, जातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान कर रहा है। देश को, राजनीति को हमें परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति दिलानी होगी
-हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं शुरुआत में, एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि न हो
-भारत का स्वर्णिम कालखंड है 2047 विकसित भारत, ये हमारी प्रतीक्षा कर रहा है
-मैं साफ देख रहा हूं, मेरे विचारों में कोई झिझक नहीं है। मेरे सपनों के सामने कोई पर्दा नहीं है

जयंती जब मनाएं, संवेदनशीलता का हमारा व्‍याप बढ़े, समाज के प्रति हमारा मनोभाव बढ़े, हम समाज के हर व्‍यक्ति को गरीबों को, दलितों को, पिछड़ों को, आदिवासियों को, हरेक को हम अपने साथ ले करके चले, इस संकल्‍प को ले करके चलना है।

समाज की मनोरचना में भी बदलाव कभी-कभी बहुत बड़ी चुनौती का कारण बन जाता है। हमारा हर देशवासी भ्रष्‍टाचार की दीमक से परेशान रहा है। हर स्‍तर के भ्रष्‍टाचार ने सामान्‍य मानवी का व्‍यवस्‍थाओं के प्रति विश्‍वास तोड़ दिया है। उसको अपनी योग्‍यता, क्षमता के प्रति अन्‍याय का जो गुस्‍सा होता है, वो राष्‍ट्र की प्रगति में नुकसान करता है। और इसलिए मैंने व्‍यापक रूप से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। मैं जानता हूं, इसकी कीमत मुझे चुकानी पड़ती है, मेरी प्रतिष्‍ठा को चुकानी पड़ती है, लेकिन राष्‍ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्‍ठा नहीं हो सकती है, राष्‍ट्र के सपनों से बड़ा मेरा सपना नहीं हो सकता है। और इसलिए ईमानदारी के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी, तीव्र गति से जारी रहेगी और भ्रष्‍टाचारियों पर कार्रवाई जरूर होगी।

बांग्‍लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना, मैं इसको समझ सकता हूं। मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्‍द ही सामान्‍य होंगे। खासकर के 140 करोड़ देशवासियों की चिंता कि वहां हिंदू, वहां के अल्‍पसंख्‍यक, उस समुदाय की सुरक्षा सुनिश्‍चित हो। भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, हमारे संस्‍कार हैं। हम आने वाले दिनों में बांग्‍लादेश की विकास यात्रा में हमेशा हमारा शुभ चिंतन ही रहेगा क्‍योंकि हम मानव जाति की भलाई सोचने वाले लोग हैं।

संविधान के 75 वर्ष

हमारे संविधान को 75 वर्ष हो रहे हैं। भारत के संविधान की 75 वर्ष यात्रा, देश के एक बनाना, देश को श्रेष्‍ठ बनाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है। भारत के लोकतंत्र को मजबूती देने में हमारे देश के संविधान की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हमारे देश के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित को सुरक्षा देने का बहुत बड़ा काम हमारे संविधान ने किया है। अब जब संविधान के 75 वर्ष हम मनाने जा रहे हैं तब हम देशवासियों ने संविधान में निर्दिष्‍ट कर्तव्‍य के भाव पर बल देना बहुत जरुरी है और जब मैं कर्तव्‍य की बात करता हूं तब मैं सिर्फ नागरिकों पर बोझ बनाना नहीं चाहता।

कर्तव्‍य केंद्र सरकार के भी हैं, कर्तव्‍य केंद्र सरकार के हर मुलाजिम के भी हैं, कर्तव्‍य राज्‍य सरकारों के भी हैं, राज्‍य सरकार के मुलाजिम के हैं। कर्तव्‍य हर स्‍थानीय स्‍वराज संस्‍था के हैं चाहें पंचायत हो, नगरपालिका हों, महानगरपालिका हों, तहसिल हो, जिला हो, हर किसी के कर्तव्‍य हैं, लेकिन साथ-साथ 140 करोड़ देशवासियों के कर्तव्‍य हैं। अगर हम सब मिलकर के अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करेंगे तो हम अपने आप औरों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए निमित्त बनेंगे और जब कर्तव्‍य का पालन होता है, तब अधिकारों की रक्षा निहित होती है, उसके लिए कोई अलग से प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ जाती है। मैं चाहता हूं कि हमारे इस भाव को लेकर के हम चलेंगे। हमारा लोकतंत्र भी मजबूत होगा। हमारा सामर्थ्य और बढ़ेगा और हम एक नई शक्‍ति के साथ आगे बढ़ेंगे।

परिवारवाद-जातिवाद से लोकतंत्र को बहुत नुकसान

जब मैं देश में एक चिंता के बारे में हमेशा कहता हूं परिवारवाद, जातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान कर रहा है। देश को, राजनीति को हमें परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति दिलानी होगी। मैं देख रहा हूं मेरे सामने जो नौजवान हैं उसमें लिखा हुआ है My Bharat जिस संगठन का नाम है उसकी चर्चा लिखी है। बहुत बढ़िया तरीके से लिखा हुआ है। My Bharat के अनेक मिशन हैं। एक मिशन ये भी है कि हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं शुरुआत में, एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि न हो। जिसके माता-पिता, भाई-बहन, चाचा, मामा–मामी कभी भी राजनीति में नहीं रहे।

भारत का स्वर्णिम कालखंड है 2047 विकसित भारत, ये हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। बाधाएं, रुकावटें, चुनौतियां, उसको परास्त करके एक दृढ़संकल्प के साथ ये देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है और मैं साफ देख रहा हूं, मेरे विचारों में कोई झिझक नहीं है। मेरे सपनों के सामने कोई पर्दा नहीं है। मैं साफ–साफ देख सकता हूं कि ये देश 140 करोड़ देशवासियों के परिश्रम से हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में है। अगर वो 40 करोड़ लोग आजादी के सपनों को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी समृद्ध भारत के सपने को साकार कर सकते हैं। 140 करोड़ देशवासी ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार कर सकते हैं।

मेरा हर पल देश के लिए

मैंने पहले भी कहा था कि मेरे तीसरे टर्म में देश तीसरी इकॉनमी तो बनेगा ही, लेकिन मैं तीन गुना काम करूंगा, तीन गुना तेज गति से काम करूंगा, तीन गुना व्‍यापकता से काम करूंगा, ताकि देश के लिए जो सपने हैं वो बहुत निकट में पूरे हो, मेरा हर पल देश के लिए है, मेरा हर क्षण देश के लिए है, मेरा कण-कण सिर्फ और सिर्फ ‘मां’ भारती के लिए है और इसलिए 24×7 और 2047 इस प्रतिबद्धता के साथ आइये मैं देशवासियों को आह्वान करता हूं, हमारे पूर्वजों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को हम

-140 करोड़ देशवासी विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं
-मैंने पहले भी कहा था कि मेरे तीसरे टर्म में देश तीसरी इकॉनमी तो बनेगा ही, लेकिन मैं तीन गुना काम करूंगा, तीन गुना तेज गति से काम करूंगा, तीन गुना व्‍यापकता से काम करूंगा, ताकि देश के लिए जो सपने हैं वो बहुत निकट में पूरे हों
-मैं भारत माता के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए जी रहा हूं और उन सपनों को पूरा करने के लिए आज राष्‍ट्रध्‍वज की छाया में तिरंगे की छाया में दृढ़ संकल्‍प के साथ हम आगे बढ़े

संकल्‍प बनाएं, अपने सपनों को जोड़े, अपने पुरुषार्थ को जोड़े और 21वीं सदी जो भारत की सदी है, उस सदी में स्‍वर्णिम भारत बना करके रहें, उसी सदी में हम विकसित भारत बना करके रहें और उन सपनों को पूरा करते हुए आगे बढ़ें और स्‍वतंत्र भारत 75 साल की यात्रा के बाद एक नये मुकाम पर बढ़ रहा है, तब हम कोई कोर-कसर न छोड़ें और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, आपने जो मुझे दायित्‍व दिया है मैं कोई कोर-कसर नहीं छोडूंगा, मैं मेहनत में कभी पीछे नहीं रहूंगा, मैं साहस में कभी कतराता नहीं हूं, मैं चुनौतियों से कभी टकराते से डरता नहीं हूं, क्‍यों? क्‍योंकि मैं आपके लिए जीता हूं, मैं आपके भविष्‍य के लिए जीता हूं, मैं भारत माता के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए जी रहा हूं और उन सपनों को पूरा करने के लिए आज राष्‍ट्रध्‍वज की छाया में तिरंगे की छाया में दृढ़ संकल्‍प के साथ हम आगे बढ़े, इसी के साथ मेरे साथ बोलिए—

भारत माता की जय। भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
वन्‍दे मातरम्। वन्‍दे मातरम्। वन्‍दे मातरम्। वन्‍दे मातरम्। जय हिन्‍द। जय हिन्‍द। जय हिन्‍द।