मोदी के नेतृत्व में भारत जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेतृत्व कर रहा है

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडे में अपना हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आज दुनिया जिन चुनौतियों का सामना कर रही है उसका समाधान सामूहिकता में निकलने की जरूरत है। विश्व आर्थिक मंच के कार्यकारी निदेशक क्लॉस श्वाब ने जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे प्रमुख वैश्विक आंदोलनों द्वारा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संपन्न वैश्विक कार्यवाई में सबसे आगे है। जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर श्री मोदी के ‘पंचामृत’ के प्रयास को भी इस मंच से सराहना मिली। COP26 की बैठक में श्री मोदी ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए पंचामृत (पांच अमृत) के रूप में पांच प्रमुख प्रतिबद्धताओं की घोषणा की थी। पांच अमृत में 2030 तक देश की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक बढ़ाना, कुल अनुमानित कार्बन के उत्सर्जन को 2030 तक एक बिलियन टन कम करना है , 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45% से कम करना, कार्बन न्यूट्रल बनना और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है। जलवायु परिवर्तन पर पार्टियों के सम्मेलन (COP-21) का इक्कीसवां सत्र 2015 में पेरिस, फ्रांस में आयोजित किया गया था। उस सत्र में भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40% हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन श्री मोदी के नेतृत्व और उनके पर्यावरण समर्थक दृष्टिकोण के कारण उस 40% लक्ष्य को सात साल पहले ही हासिल कर लिया गया।
विश्व आर्थिक मंच पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आग्रह किया कि सभी देशों को ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के विजन के माध्यम से स्थायी जीवन शैली को अपनाना चाहिए। इस विजन के तहत ही COVID-19 के दौरान मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने कई देशों को आवश्यक दवाएं और टीके उपलब्ध कराकर कई लोगों की जान बचाई।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि हमारी जीवन शैली भी जलवायु के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति ने जलवायु चुनौती को और गंभीर बना दिया है। आज की ‘टेक-मेक-यूज़-डिस्पोजल’ अर्थव्यवस्था को एक सर्कुलर इकॉनमी की ओर तेजी से स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण के लिए जीवन शैली (lifestyle for the environment) का विचार प्रधानमंत्री श्री मोदी ने COP26 में दिया था। उन्होंने डब्ल्यूईएफ में कहा कि मिशन लाइफ को वैश्विक जन आंदोलन में बदलना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि LIFE जैसे जन-भागीदारी अभियान को P-3 ‘प्रो प्लेनेट पीपल’ के लिए एक बड़ा आधार बनाया जा सकता है।

श्री मोदी को जलवायु चुनौतियों से निपटने के प्रयास के लिए संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड’ 2018 में दिया गया। यह पुरस्कार श्री मोदी को पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव लाने में उनके कार्यों के लिए दिया गया था। प्रधानमंत्री श्री मोदी को यह पुरस्कार फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों के साथ संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को बढ़ावा देने और भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के अभियान के लिए मिला था, जिसमें पर्यावरण के लिए वैश्विक समझौते पर मैक्रों का काम शामिल था। संयुक्त राष्ट्र ने आईएसए (ISA) के पहल को मोदी का सबसे महत्वाकांक्षी कदम माना। अंतरारष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) सौर ऊर्जा के लाभों का दोहन करके स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। COP21 बैठक (संयुक्त जलवायु सम्मेलन) के दौरान श्री मोदी द्वारा की गई पहल में अब 121 सदस्य हैं। अधिकांश सदस्य धूप वाले देशों से हैं। उन्होंने आईएसए के माध्यम से ‘वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड’ के दृष्टिकोण को प्राप्त करने की परिकल्पना की है। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में आईएसए वही भूमिका निभाएगा जो आज तेल कार्टेल ओपेक करता है।

‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड’ ने 2022 तक देश से सभी एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करने के लिए श्री मोदी की अभूतपूर्व और महत्वाकांक्षी प्रतिज्ञा को भी मान्यता दी। हालांकि, भारत में विश्व के प्लास्टिक उपभोग के औसत से आज काफी कम है। भारत में प्लास्टिक की औसत खपत 11 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है, जबकि 28 किलो प्रति व्यक्ति वैश्विक औसत है।

श्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति काफी संवेदनशील रहे हैं। एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए कई ऐतिहासिक पहल की है। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपने नीतिगत अनुभव पर आधारित ‘कन्वीनिएंट एक्शन: गुजरात रिस्पॉन्स टू द चैलेंजेज ऑफ क्लाइमेट चेंज’ एक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद, श्री नरेन्द्र मोदी का नाम अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर के बाद जलवायु परिवर्तन पर एक पुस्तक लिखने वाले दुनिया के दूसरे राजनेता के रूप में दर्ज किया गया था। मीडिया ने उन्हें तब ‘ग्रीन क्रूसेडर’ कहा था। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक हरित योद्धा से एक शीर्ष वैश्विक नेता तक की उनकी यात्रा और पर्यावरण को बचाने के उनके अथक प्रयासों के लिए बहुपक्षीय विश्व मंचों से काफी प्रशंसा अर्जित मिली है।

विकास आनन्द