‘वस्तु और सेवा कर’ एक महत्वाकांक्षी कर सुधार: अरुण जेटली

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यहां प्रस्तुत है संसद के केंद्रीय कक्ष से वस्तु और सेवा कर के शुभारम्भ पर वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के संबोधन के मुख्य अंश : 

हम आज यहां, अपने देश की यात्रा के महत्वपूर्ण क्षण के लिए एकत्रित हुए हैं। हम इतिहास बनाने की प्रक्रिया में हैं। मध्य रात्रि को वस्तु और सेवा कर लांच होने के साथ हम अपने इतिहास का सबसे बड़ा और सर्वाधिक महत्वकांक्षी कर तथा आर्थिक सुधार कार्यक्रम लांच करेंगे। जीएसटी भले ही गंतव्य कर हो, लेकिन भारत के लिए एक नई यात्रा की शुरूआत है। एक ऐसी यात्रा है, जहां भारत अपने आर्थिक क्षितिज और गौरवशाली राजनीतिक विज़न को विस्तार देने की असीम संभावनाओं के लिए जगेगा। पुराना भारत आर्थिक दृष्टि से खण्डित था, नया भारत एक देश के लिए एक कर, एक बाजार बनाएगा। एक ऐसा भारत होगा, जहां केन्द्र और राज्य साझी समृद्धि के समान लक्ष्य के लिए एक साथ सहयोगी और सदभावपूर्ण भाव से काम करेंगे। ऐसा भारत होगा, जो नई नियति लिखेगा।

जीएसटी पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जीएसटी काउंसिल के सहमति आधारित कार्य में संविधान संशोधन के लिए सर्वसम्मत समर्थन यह दिखाता है कि भारत संकुचित राजनीति से ऊपर उठ सकता है और व्यापक राष्ट्रीय हित के लिए एक स्वर में बोल सकता है। संविधान संशोधन तथा जीएसटी परिषद में गुणवत्ता संपन्न और परिपक्व बहस इस बात का परिचायक है कि भारत सामूहिक रूप से सोच सकता है और व्यापक उद्देश्य के लिए परिपक्कता के साथ कार्य कर सकता है।

संविधान कहता है कि भारत राज्यों का संघ है। संघ तभी शक्तिशाली होगा, जब राज्य और केन्द्र दोनों मजबूत हों। सहयोगी संघवाद की यही वास्तविक अर्थ है। जीएसटी बनाते हुए न तो केन्द्र ने और न ही राज्यों ने अपनी संप्रभुता छोड़ी। उन्होंने अपनी संप्रभुता को प्रत्यक्ष कराधान पर संयुक्त निर्णय करने के लिए आगे बढ़ाया है।

केन्द्र, विधानसभाओं सहित 29 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों तथा व्यापक वैविध्यपूर्ण हितों वाले बहुदलीय लोकतंत्र की विशाल और जटिल प्रणाली में हमने संविधान संशोधन लागू किया और भारतीय राजनीति के उत्कर्ष को प्रदर्शित करते हुए विशाल कर सुधार को अंजाम दिया। हमने यह कार्य ऐसे समय में किया है, जबकि समूचा विश्व धीमी वृद्धि, पृथकतावाद और संरचनात्मक सुधारों के अभावों से जूझ रहा है। जीएसटी के माध्यम से भारत ने यह दिखा दिया है कि समावेशन, खुलेपन और साहस के साथ इन ताकतों पर काबू पाया जा सकता है। इस कार्य में योगदान देने वाले सभी सांसदों, राज्य सरकारों, समस्त राजनीतिक दलों, राज्यों के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्र एवं राज्य सरकारों के हमारे अधिकारियों की समर्पित टीम की व्यापक सराहना की जानी चाहिए और इनका आभार प्रकट करना चाहिए।

राष्ट्रपति जी ये जो यात्रा थी आप इसके सबसे प्रमुख गवाह हैं कि लगभग 15 वर्ष से पहले आरंभ हुई थी। एनडीए-1 सरकार ने एक समिति की रचना की थी जिसके अध्यक्ष श्री विजय केलकर इस सभागार में मौजूद है। उन्होंने सन 2003 में एक एतिहासिक रिपोर्ट दी थी। कि इस देश के अंदर एक वैल्यू बेस्ड Taxation GST के नाम से आरंभ किया गया। 2006 के बजट में यूपीए सरकार ने घोषणा की थी कि 2010 तक इसको लागू करने का प्रयास होगा और 2011 के बजट में जब महामहिम राष्ट्रपति जी ने उस वक्त वित्त मंत्री की हैसियत में बजट पेश किया था तो उसके तुरंत बाद आपने संविधान संशोधन भी देश के सामने रखा था। जिसके माध्यम से राज्य और केंद्र अपने अधिकारों को एकत्रित करके वस्तु और सेवा कर की रचना करें। आपकी उस संविधान संशोधन के बाद संसद की Standing Committee उसने बहुत योगदान लायक सुझाव दिए थे। यशवंत सिन्हा जी आज मौजूद है इस सभागार में, वो उसके अध्यक्ष थे और उसका सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक थी कि जीएसटी परिषद की रचना की जाए जिसमें एक तिहाई वोट केंद्र का होगा, दो तिहाई वोट राज्यों के होंगे, लेकिन निर्णय करने के लिए तीन चौथाई बहुमत की आवश्यकता है। Standing Committee के उस निर्णय का ये असर था कि केंद्र और राज्यों को संवैधानिक दृष्टि से इकट्ठा काम करने के लिए मजबूर किया गया और जीएसटी परिषद में जो एक प्रकार से सहमति बनी, उसमें इसका एक बहुत बड़ा योगदान Standing Committee के उस सुझाव का था।

एक समानांतर रचना राज्यों के वित्त मंत्रियों की थी, एक Empowered Committee थी और समय-समय पर हर सरकार ने एक परंपरा बनाई कि किसी विरोधी पक्ष के दल की जिस राज्य की सरकार हो, उसका कोई वित्त मंत्री उस Empowered Committee का अध्यक्ष रहे। पहले अध्यक्ष श्री डॉ. असीम दास गुप्ता हमारे बीच में हैं और बहुत वर्षो तक देश में उन्होंने सहमति बनाने का एक बहुत बड़ा काम किया। मुझे स्वयं उनका आभार इसलिए भी व्यक्त करना है कि मुझे पहली शिक्षा जीएसटी पे उनसे ही मिली थी, एक बैठक में।
प्रोफेसर दास गुप्ता के बाद जम्मू -कश्मीर के श्री अब्दुल रहीम राथर, श्री सुशील मोदी उसके बाद केरल के श्री के. एम. मणि और बंगाल के डॉ. अमित मित्रा, ये एक राज्यों के बीच में आम राय बनाते रहे। और इस पूरे इतिहास के बाद इस देश ने कि राजनीति ने ऐसी एक परिपक्वता का एक उदाहरण पेश किया जिसका सबसे बड़ा सबूत ये था कि संविधान संशोधन संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित हुआ जिससे जीएसटी परिषद की रचना हुई। उस रचना के बाद परिषद की पहली जिम्मेवारी थी कि केंद्र के लिए और राज्यों के लिए कानून बनाए। वो सभी कानून पांच केंद्र के लिए एक सभी राज्यों के लिए सर्वसम्मति से बनें। संसद ने उसे सर्वसम्मति से पास किया, राज्यों ने एकमत से पास किया और आज वो एक वास्तविक्ता के रूप में हमारे सामने आया है।

जीएसटी परिषद 18 बार मिल चुकी है। कुछ बैठकें सुबह से शाम तक और दो-दो तीन-तीन दिन चलती हैं और एक भी निर्णय पर वोट करवाने की आज तक आवश्यकता नहीं पड़ी। हर एक निर्णय सर्वसम्मति से हुआ जिसमें अलग-अलग राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि थे, अलग-अलग राज्य सरकारों के प्रतिनिधि थे, और एक मत से हर निर्णय उसमें हुआ अभी तक 24 Regulations बन चुके हैं। राज्य और केन्द्र के अधिकार क्षेत्र के बारे में बंटवारा क्या रहेगा उसमें निर्णय हो चुका है। 1211 commodities हैं, जिस पर Taxation तय करना था। बिना मतभेद के, बिना किसी Dissent के एक एक Commodity का टैक्स सर्वमत से तय हुआ और उसके पीछे भी दो सिद्धांत थे कि एक आम और गरीब आदमी पर ज्यादा बोझ न पड़े। Revenue Neutral रहे कि जितना राजस्व राज्य और केन्द्र इकट्ठा करते हैं कम से कम वो बरकरार रहे और जो मौजूदा Taxation ढांचा है उससे बहुत अधिक किसी के ऊपर बोझ न पड़े।

आज की जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में राज्यों और केन्द्र को मिलाकर 17 Transaction टैक्स हैं- 23 सेस हैं, उन सबको समाप्त कर दिया गया है और उनके स्थान पर केवल एक टैक्स रहेगा। उस हर टैक्स के लिए अलग रिटर्न जाता था, आज एक रिटर्न जाएगा। हर एक assesse को अलग-अलग taxation अधिकारियों के साथ interface करना पड़ता था। आज केवल उसको अपने साफ्टवेयर के साथ एक रिटर्न के माध्यम से interface करना पड़ेगा और केवल साफ्टवेयर के ऊपर registration ले लेना और उस registration के बाद हर महीने की दस तारीख तक केवल एक फार्म भरना computer पर कि मेरी पिछले महीने की transaction क्या है, उसमें डाल देना और उसके माध्यम से टैक्स के ऊपर टैक्स न लगना, ये इसकी एक विशेषता है।

पूरे देश के अंदर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रेट और चुंगी-नाकों के ऊपर ट्रकों की भीड़ वो समाप्त होगी और एक प्रकार से single flow good and services का पूरे देश के अंदर उसके बाद होगा और इसका एक और लाभ है कि जो एक बार आपने टैक्स दे दिया इनपुट के ऊपर आउटपुट के स्तर पर इसका आपको लाभ मिलने लगेगा। महंगाई के ऊपर भी लगाम लगेगी। टैक्स avoidance कठिन होगा, रेट पहले की तुलना में कम होंगे। देश की GDP को लाभ मिलेगा और जो अधिक राज्यों को और केंद्र को साधन मिलेंगे वो इस देश की गरीब की सेवा करने के लिए उनको एक अवसर उपलब्ध होगा। राज्य ने, केंद्र ने, सभी राजनीतिक दलों ने, सभी सांसदों ने सभी विधान सभाओं के सदस्यों ने, सभी राज्य सरकारों ने एकमत से इसमें कार्य किया है। मैं सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।