प्रधानमंत्री की जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस यात्रा

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 मई से 3 जून के दौरान यूरोप के चार देश- जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस की सफल यात्रा की। छह दिनों की इस यात्रा के दौरान श्री मोदी ने इन देशों के साथ आतंकवाद से निपटने, व्यापार और जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की और कई महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये। उन्होंने इन देशों को भारत में पूंजी निवेश के लिए भी आमंत्रित किया।

भारत-जर्मनी के बीच 12 समझौताें पर हस्ताक्षर

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत-जर्मनी अंतर सरकारी वार्ता (चौथे चरण) के लिए 30 मई को बर्लिन पहुंचे। प्रधानमंत्री श्री मोदी की यह जर्मनी की दूसरी द्विपक्षीय यात्रा है। चांसलर एंजेला मार्केल ने बर्लिन के बाहरी इलाके में स्थित श्लॉस मेसेबर्ग में प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए अनौपचारिक रात्रिभोज का आयोजन किया। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब तीन घंटे तक विचार-विमर्श हुआ और समान हित वाले विभिन्न मुद्दों जैसे स्मार्ट शहर, कौशल विकास, स्वच्छ ऊर्जा आदि पर चर्चा हुई। जीएसटी सहित भारत के विभिन्न आर्थिक सुधार एजेंडों को लेकर प्रशंसा मिली। गौरतलब है कि दोनों देशों ने 12 समझौताें पर हस्ताक्षर किए।

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इन नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यूरोपीय संघ में एकजुटता के महत्व को दोहराया और दुनिया में स्थिरता के बल के रूप में इसके महत्व को रेखांकित किया। अफगानिस्तान के मसले पर दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के नेतृत्व वाली अफगान स्वामित्व वाली सुलह प्रक्रिया के महत्व को दोहराया। चर्चाओं में उथल-पुथल और आतंकवाद जैसे मुद्दे सामने भी आए। विचार-विमर्श के दायरे में चीन के वन बेल्ट, वन रोड और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे भी सामने आए।

जर्मनी और भारत ‘एक दूसरे के लिए’ बने: मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने 30 मई को बर्लिन में चौथे चरण की भारत-जर्मनी अंतर सरकारी वार्ता (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता की। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यूरोप और पूरी दुनिया को लेकर चांसलर मार्केल के नजरिये की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में आई नई गति साफ रूप से झलक रही है। उन्होंने कहा कि जर्मनी का भारत में विदेशी निवेश, खासकर मेक इन इंडिया को लेकर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ‘वैश्विक मानक’ पर जर्मनी के मापदंडों पर स्किल इंडिया मिशन के लिए उसकी साझेदारी महत्वपूर्ण है, जो भारत के लिहाज से खासी अहम है।

प्रधानमंत्री ने जलवायु संरक्षण और स्मार्ट शहरों जैसे विषयों के बारे में बात की, जो चर्चा के केंद्र में भी रहे। उन्होंने कहा कि जर्मनी का नवप्रवर्तन और भारतीय युवा स्टार्ट-अप अंतरिक्ष के क्षेत्र में गतिशीलता प्रदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र पर आधारित एक वैश्विक व्यवस्था और अन्योन्याश्रित दुनिया की आवश्यकता है।

सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जर्मनी और भारत ‘एक दूसरे के लिए’ बने हैं। उन्होंने जर्मन क्षमताओं और भारतीय आवश्यकताओं के बीच मौजूद विशाल तालमेल के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने इंजीनियरिंग, बुनियादी ढांचे और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता में भारत की खोज की बात की। नवाचार और लोकतंत्र के मूल्यों को मानव जाति के लिए आशीर्वाद के रूप में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जर्मनी इन मूल्यों को साझा करते हैं।

भारत और स्पेन के बीच हुए सात समझौते

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स्पेन और भारत के बीच 31 मई को सात बड़े समझौते किए गए। इनमें सिविल एविशन, साइबर सुरक्षा, गैर पारंपरिक उर्जा, अंग प्रत्यारोपण जैसे करार बेहद अहम हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मैड्रिड में राष्ट्रपति श्री मैरिएन राहोय के साथ वार्ता की। श्री मोदी ने कहा कि आज की वार्ता दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दूसरे पर आधारित और अन्योन्याश्रित दुनिया में स्पेन और भारत पारस्परिक लाभ के लिए एक साथ काम कर सकते हैं और इससे बड़े पैमाने पर दुनिया को लाभ मिलेगा। उन्होंने राष्ट्रपति राहोय को दूरदर्शी नेता बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और स्पेन दोनों ने आतंकवाद की समस्या का सामना किया है और दोनों देश ही इससे लड़ने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और स्पेन दोनों जोरदार आर्थिक सुधारों में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा, रेलवे और स्मार्ट शहरों में सहयोग के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत और स्पेन के बीच संबंधों में “नई गति” के माध्यम से “नए भारत” के विचार को आगे बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के बीच सात समझौते हुए, जिसमें ऊर्जा, सुरक्षा और नागरिक उड्डयन जैसे विषय शामिल हैं।

बाद में प्रधानमंत्री ने स्पेन की कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से मुलाकात की। उन्होंने बैठक के दौरान कहा कि भारत में स्पेनिश निवेश की और उसकी वृद्धि के लिए बहुत संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से बुनियादी ढांचा, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो, रसायन और वस्त्र जैसे क्षेत्रों का उल्लेख किया। उन्होंने स्मार्ट शहरों की पहल में स्पेनिश भागीदारी को आमंत्रित किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने जीएसटी सहित भारत में किए गए आर्थिक सुधारों का व्यापक अवलोकन भी प्रस्तुत किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसे पहल निवेश के लिए वैश्विक मैग्नेट बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने उनके महामहिम राजा फेलिप छठवें से भी मुलाकात की।

कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट को लेकर भारत-रूस के बीच बड़ा सौदा

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भारत और रूस ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देते हुए 1 जून को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में दो और इकाइयां स्थापित करने और भारत से कीमती रत्नों तथा आभूषणों का निर्यात बढ़ाने समेत पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों पर प्रधानमंत्री श्री नरेंन्द्र मोदी तथा रूस के राष्ट्रपति श्री व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए।

इनमें कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में तीसरे चरण के दौरान पांचवीं और छठी इकाई के निर्माण के लिए समझौता, भारत से रूस को कीमती रत्नों एवं आभूषणों का निर्यात बढ़ाने के अलावा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदन-प्रदान बढ़ाने, नागपुर-सिकंदराबाद सेक्शन पर तीव्र गति की रेल सेवा के संबंध में समझौता और पारंपरिक ज्ञान की भारतीय डिजिटल लाइब्रेरी में रूसी विशेषज्ञों पहुंच सुनिश्चित करने का समझौता शामिल है।

साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जून को सेंट पीटर्सबर्ग में 18वीं वार्षिक भारत-रूस शिखरवार्ता में रूस के राष्ट्रपति श्री व्लादीमिर पुतिन से मुलाकात की। शिखरवार्ता के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा से लेकर संस्कृति तक के विषयों पर अच्छे संबंध हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों के दौरान विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक विषयों पर उल्लेखनीय तालमेल रहा है।

प्रधानमंत्री ने ऊर्जा सहयोग का उल्लेख भारत और रूस के बीच संबंध के स्तंभ के रूप में किया और इस बात पर गौर किया कि आज की गई वार्ता और लिए गए निर्णयों से परमाणु, हाइड्रोकार्बन तथा अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग और अधिक मजबूत होगा। इस संबंध में उन्होंने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की 5 और 6 यूनिटों के समझौते का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्यिक रिश्तों को बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि भारत और रूस वर्ष 2025 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत के लक्ष्य को पूरा करने के काफी करीब हैं। कनेक्टिविटी के विषय पर बोलते हुए प्रधान मंत्री ने इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कोरिडोर में दोनों देशों के बीच सहयोग का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 जून को सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) के समापन सत्र को संबोधित किया। समापन सत्र का विषय था- ‘एचीविंग अ न्यू बैलेंस ऑन द ग्लोबल स्टेज’ यानी वैश्विक स्तर पर नया संतुलन हासिल करना। भारत एसपीआईईएफ में इस साल ‘अतिथि देश’ है और प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मोदी ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ हैं।

भारत-रूस संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम संबंध हैं, जहां रिश्ते परस्पर विश्वास पर आधारित होते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों से भारत-रूस संबंध विश्वास पर आधारित है और बदलती दुनिया में और भी अधिक मजबूत हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एसपीआईईएफ में वह 1.25 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया अब एशिया पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इसलिए भारत पर ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में पिछले तीन वर्षों में केंद्र सरकार सभी मोर्चों पर प्रगतिशील निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा कि आज हमारी वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत है।

प्रधनमंत्री श्री मोदी ने कहा कि ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ और ‘रेड टेप के बजाय रेड कारपेट’ भारत में शासन सुधारों का आधार रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और स्पष्ट दृष्टिकोण सुधार के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि अफसरशाही भी जीवंत और नेतृत्व के अनुरूप होनी चाहिए।

विविधता ही भारत की ताकत है, का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर लागू होने जा रहा है और इससे पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था सुनिश्चित होगी। राष्ट्रपति पुतिन, जिन्होंने उनसे पहले संबोधित किया था, से सहमति जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी अब एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है और उन्होंने इस संदर्भ में डिजिटल इंडिया अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल डिवाइड’ को समाज में जड़ जमाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने वित्तीय समावेशीकरण के लिए सरकार के कार्यक्रमों- जनधन, आधार, मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी का उल्लेख किया। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 1200 से अधिक कानूनों को खत्म करने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कारोबारी सुगमता के लिए महज केंद्र सरकार के स्तर पर 7000 सुधार किए हैं।

प्रधानमंत्री ने एफडीआई और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने एफडीआई के लिए भारत को शीर्ष तीन जगहों में से एक के रूप में पहचान की है। निवेशकों के लिए सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का जीवंत लोकतंत्र और अंग्रेजी का इस्तेमाल सुरक्षा की भावना सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होगा।

पेरिस जलवायु समझौता पूरी दुनिया की साझी विरासत: मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 3 जून को फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों से पेरिस में मुलाकात की। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को अपने जोरदार स्वागत के लिए धन्यवाद दिया और राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री ने मानवता और मानवीय मूल्यों की सेवा के बारे में बताते हुए कहा कि वर्षों से फ्रांस-भारत के संबंध आगे बढ़ते रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आगे भी यह संबंध इसी तरह कायम रहेंगे।

इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने अतंरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की तरफ ध्यान दिलाया और कहा कि भारत और फ्रांस दिशा में संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने पेरिस जलवायु समझौते को पूरी दुनिया की साझी विरासत बताया और उम्मीद जताई कि यह अगली पीढ़ी के लिए उम्मीद की नई किरण बनेगा। उन्होंने कहा कि धरती माता को बचाने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। अपने राजनीतिक यात्रा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में पेरिस शहर का वर्णन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और फ्रांस ने इस समझौते के लिए कंधे पर कंधे से काम किया था। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए भारतीयों के विश्वास सदियों पुरानी समृद्ध परंपरा का हिस्सा बताया ।

उन्होंने कहा कि भारत समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। इससे आगे भी वह दूसरों के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि भविष्य के पीढ़ियों के लिए एक उपहार प्रदान किया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद और कट्टरपंथियों का मुकाबला करने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत एक संयुक्त प्रगतिशील यूरोपीय संघ के पक्ष में है।