‘तमिल संस्कृति और तमिल लोग दोनों शाश्वत और वैश्विक प्रकृति के हैं’

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तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इस पर हर भारतीय को गर्व है

प्रधानमंत्री तमिल नववर्ष समारोह में हुए शामिल

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 13 अप्रैल को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी डॉ. एल मुरुगन के निवास पर आयोजित तमिल नव वर्ष समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने पुत्तांडु मनाने के लिए तमिल भाई-बहनों के बीच उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। समारोह में श्री मोदी ने कहा कि पुत्तांडु प्राचीन परंपरा में नवीनता का पर्व है। इतनी प्राचीन तमिल संस्कृति और हर साल पुत्तांडु से नई ऊर्जा लेकर आगे बढ़ते रहने की यह परंपरा अद्भुत है।

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से उनके द्वारा बताए गए पंच प्राणों में से एक को याद करते हुए कहा कि मैंने आजादी के 75 साल पूरे होने पर लाल किले से अपनी विरासत पर गर्व करने की बात कही थी। जो चीज जितनी प्राचीन होती है, वह उतनी ही अधिक समय की कसौटी पर खरी उतरती है। इसीलिए, तमिल संस्कृति और तमिल लोग दोनों शाश्वत और साथ ही वैश्विक प्रकृति के हैं। चेन्नई से कैलिफोर्निया तक, मदुरै से मेलबर्न तक, कोयम्बटूर से केपटाउन तक, सलेम से सिंगापुर तक, आप पाएंगे कि तमिल लोग अपने साथ अपनी संस्कृति और परंपरा लेकर आए हैं।

श्री मोदी ने आगे कहा कि चाहे पोंगल हो या पुत्तांडु, पूरी दुनिया में इनकी छाप है। तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इस पर हर भारतीय को गर्व है। तमिल साहित्य का भी व्यापक रूप से सम्मान किया जाता है। तमिल फिल्म उद्योग ने हमें कुछ सबसे प्रतिष्ठित क्षण दिए हैं।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में तमिल लोगों के महान योगदान को याद किया और आजादी के बाद देश के विकास में तमिल लोगों के योगदान को भी रेखांकित किया। सी. राजगोपालाचारी, के. कामराज, डॉ. कलाम जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा, कानून और शिक्षा के क्षेत्र में तमिल लोगों का योगदान अतुलनीय है।

भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र

श्री मोदी ने दोहराया कि भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई ऐतिहासिक संदर्भ हैं। एक महत्वपूर्ण संदर्भ तमिलनाडु है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के उतिरमेरुर में 1100 से 1200 साल पुराना एक शिलालेख है, जिसमें देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक दिखती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिल संस्कृति में बहुत कुछ है जिसने भारत को एक राष्ट्र के रूप में आकार दिया है।

श्री मोदी ने हाल ही में हुए काशी तमिल संगमम् की सफलता पर गहरा संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में हमने प्राचीनता, नवीनता और विविधता को एक साथ सेलिब्रेट किया। संगमम् में तमिल अध्ययन पुस्तकों के प्रति उत्साह का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हिंदी भाषी क्षेत्र में

संबोधन की मुख्य बातें
 पुत्तांडु प्राचीन परंपरा में नवीनता का पर्व
 तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा, हर भारतीय को इस पर गर्व
 तमिल संस्कृति में ऐसा बहुत कुछ है जिसने एक राष्ट्र के रूप में भारत को आकार दिया है
 तमिल लोगों की निरंतर सेवा करने की भावना मुझमें नई ऊर्जा भरती है
 काशी तमिल संगमम् में हमने प्राचीनता, नवीनता और विविधता को एक साथ सेलिब्रेट किया
 मैं मानता हूं, तमिल लोगों के बिना काशीवासियों का जीवन अधूरा है और मैं काशीवासी हो गया हूं और काशी के बिना तमिल लोगों का जीवन अधूरा है

और वो भी इस डिजिटल युग में तमिल पुस्तकों को इस तरह पसंद किया जाता है, जो हमारे सांस्कृतिक बंधन को दर्शाता है। तमिलों के बिना काशीवासियों का जीवन अधूरा है, मैं काशीवासी हो गया हूं और मैं मानता हूं कि तमिलों का जीवन भी काशी के बिना अधूरा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के अमृतकाल में हमारी ये ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी तमिल विरासत के बारे में जानें और देश और दुनिया को गर्व के साथ बताएं। ये विरासत हमारी एकता और, ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना का प्रतीक है। अपनी बात समाप्त करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हमें तमिल संस्कृति, साहित्य, भाषा और तमिल परंपरा को निरंतर आगे बढ़ाना है।