ताना-रीरी : नरेन्द्र मोदी ने कैसे पूरा किया बचपन का सपना

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मोदी स्टोरी                                                                                -दशरथ पटेल

डनगर का ताना-रीरी मंदिर अब आस-पास के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के एक परित्यक्त मंदिर के जीर्णोद्धार और विकास के प्रयासों ने ताना-रीरी मंदिर को न केवल आकर्षण का केंद्र बनाया, बल्कि उनके बचपन के सपने को साकार किया। आइए जानते हैं कैसे?

श्री दशरथ पटेल श्री नरेन्द्र मोदी के बचपन के मित्र हैं। दोनों अपने छात्र जीवन के दौरान स्कूल से कॉलेज तक साथ रहे। वह याद करते हैं, जब वे एम.एन. कॉलेज, विसनगर, गुजरात में पढ़ रहे थे, तब वे दोनों ताना-रीरी मंदिर गए थे।

उस समय मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। प्लास्टर उखड़ गया था, दीवार से ईंटें भी निकली हुई थीं। मंदिर की सुध लेने वाला कोई नहीं था।

मंदिर की दयनीय स्थिति को देखते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मित्र से कहा कि जब वह वापस आएंगे, तो मंदिर की मरम्मत कराएंगे। उस समय श्री दशरथ पटेल को इस बात पर थोड़ा संदेह हुआ, क्योंकि छात्र जीवन में फिर से मंदिर जाना काफी कठिन था। उन्होंने श्री नरेन्द्र मोदी से अपनी बात रखते हुए कहा कि शायद हमें दोबारा यहां आने का समय न मिले। तब नरेन्द्र मोदी ने उन्हें जवाब दिया, ”मंदिर का जीर्णोद्धार सही समय पर होगा।”

श्री पटेल आगे कहते हैं कि कई वर्षों के बाद जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने ताना-रीरी मंदिर के दर्शन किए। श्री मोदी ने मंदिर के जीर्णोद्धार और इसे एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जहां श्रद्धालु आसानी से आ सकें।

उन्होंने देश के कुछ प्रमुख गायकों को आमंत्रित करके वार्षिक ताना-रीरी संगीत समारोह को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम भी बनाया। इससे लोगों को मंदिर और उसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में पता चला।

श्री पटेल का कहना है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने ताना-रीरी मंदिर के जीर्णोद्धार का बचपन का संकल्प पूरा किया। उन्होंने न केवल अपने संकल्प को पूरा किया, बल्कि संगीत समारोह के माध्यम से इस स्थान को उचित महत्व भी दिया। अब, यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं और दर्शन करते हैं।