‘ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर एक दूसरे की ताकत बनें’

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प्रधानमंत्री ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट 3.0 को किया संबोधित

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बना, जहां हमने
विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 अगस्त को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट 3.0 को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि 2022 में जब भारत ने G-20 अध्यक्षता संभाली, तो हमने संकल्प लिया था कि हम G-20 को एक नया स्वरूप देंगे।

उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बना, जहां हमने विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की और भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं पर आधारित G-20 एजेंडा तैयार किया। एक समावेशी और विकास-केंद्रित अप्रोच से G-20 को आगे बढ़ाया।

श्री मोदी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था, जब अफ्रीकन यूनियन ने G-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की।

उन्होंने कहा कि आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अभी तक कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

श्री मोदी ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना तो कर ही रहे हैं और अब हेल्थ सिक्योरिटी, फ़ूड सिक्योरिटी और एनर्जी सिक्योरिटी की चिंताएं भी हैं। आतंकवाद, अतिवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी डिवाइड और टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। पिछले सदी में बने ग्लोबल गवर्नेंस और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस इस सदी की चुनौतियों से लड़ने में असमर्थ रहे हैं।

हम एक दूसरे के अनुभवों से सीखें

श्री मोदी ने कहा कि यह समय की मांग है कि ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर, एक स्वर में, एक साथ खड़े रहकर, एक दूसरे की ताकत बनें। हम एक दूसरे के अनुभवों से सीखें। अपनी क्षमताओं को साझा करें। मिलकर अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएं। मिलकर दो-तिहाई मानवता को मान्यता दिलाएं और भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव, अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि हम आपसी व्यापार, समावेशी विकास, सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स की प्रगति, और महिलानीत विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल और एनर्जी कनेक्टिविटी से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिला है। मिशन लाइफ के अंतर्गत हम न केवल भारत में बल्कि पार्टनर देशों में भी रूफ टॉप सोलर और रिन्यूएबल पावर जनरेशन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि हमें खुशी है कि ग्लोबल साउथ के 12 पार्टनर्स के साथ ‘इंडिया स्टैक’ साझा करने संबंधी समझौते हो चुके हैं। ग्लोबल साउथ में DPI में तेजी लाने के लिए हमने सोशल इम्पैक्ट फंड बनाया है। भारत इसमें 25 मिलियन डॉलर का शुरुआती योगदान करेगा।

संकट के समय भारत एक फर्स्ट रेस्पॉन्डर

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अफ्रीका और पैसिफिक आइलैंड देशों में अस्पताल, डायलिसिस मशीनें, जीवन-रक्षक दवाएं और जन औषधि केंद्रों के सहयोग से इस मित्रता को निभाया है। मानवीय संकट के समय भारत एक फर्स्ट रेस्पॉन्डर की तरह अपने मित्र देशों की सहायता कर रहा हैं। चाहे पापुआ न्यू गिनी में ज्वालामुखी फटने की घटना हो, या कीनिया में बाढ़ की घटना। हमने गाजा और यूक्रेन जैसे कॉन्फ्लिक्ट क्षेत्रों में भी मानवीय सहायता प्रदान की है।

श्री मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम उन लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को आवाज़ दे रहे हैं, जिन्हें अब तक अनसुना किया गया है। मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में है और इस एकता के बल पर हम एक नई दिशा की ओर बढ़ेंगे।