हमारी सरकार द्वारा तैयार की गई ‘कर व्यवस्था’ से मध्यम वर्ग को लाभ होगा: वित्त मंत्री

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केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 7 अगस्त को लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा का उत्तर दिया। अपने उत्तर में उन्होंने कहा कि सरकार ने वास्तव में कर व्यवस्था को अधिक पारदर्शिता एवं अनुपालनों को सरल बनाया है और हमारी सरकार द्वारा तैयार की गई कर व्यवस्था से मध्यम वर्ग को लाभ मिलेगा। हम अपने सुधी पाठकों के लिए इस भाषण का सारांश यहां प्रकाशित कर रहे हैं:

माननीय प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण इस देश में एक सरल, कुशल, निष्पक्ष और प्रौद्योगिकी संचालित कराधान व्यवस्था स्थापित करना रहा है। इसलिए कराधान संबंधी दृष्टिकोण करदाताओं पर बोझ को कम करने का रहा है। हमने वास्तव में अधिक पारदर्शिता और अनुपालन में सुगमता के साथ कराधान व्यवस्था को सरल बनाया है। कुछ माननीय सदस्यों ने मध्यम वर्ग पर कर के बोझ के बारे में बोला है। मेरा मानना है कि इस सरकार द्वारा बनाई गई कर व्यवस्था से मध्यम वर्ग को लाभ होगा। वर्ष 2023 में व्यक्तिगत आयकर के स्लैब को काफी उदार बनाया गया था। इस सरकार ने नई कर व्यवस्था में स्लैब

वर्ष 2023 में व्यक्तिगत आयकर के स्लैब को काफी उदार बनाया गया था। इस सरकार ने नई कर व्यवस्था में स्लैब में फिर से संशोधन किया है। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी गई है। पिछले दो वर्षों में मध्यम वर्ग को काफी राहत दी गई है। हम फेसलेस सिस्टम लाए हैं, जो करदाता के अनुकूल है और इससे करदाता में  विश्वास पैदा हुआ है

में फिर से संशोधन किया है। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी गई है। पिछले दो वर्षों में मध्यम वर्ग को काफी राहत दी गई है। हम फेसलेस सिस्टम लाए हैं, जो करदाता के अनुकूल है और इससे करदाता में विश्वास पैदा हुआ है। ‘विवाद से विश्वास’ योजना की मदद से लंबित मुकदमेबाजी और मांगों को सुलझा लिया गया है और विस्तृत श्रेणियों के करदाताओं को राहत दी गई है। स्टार्ट-अप्स के लिए एंजेल टैक्स हटाना बड़ी राहत लेकर आया है। संप्रग सरकार ने इस कर को वर्ष 2012 में लागू किया था और अब वे विपक्ष में बैठे हैं और विपक्ष के नेता ने इसे शोषणकारी कर कहा था। हमने इस पर काम किया है, ताकि इस एंजेल टैक्स की वजह से बोझ छोटे व्यवसायों पर न पड़े। अंततः हमने अब इसे हटा दिया है।

सीमा शुल्क के मामले में हमने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने, प्रक्रियाओं को सरल एवं तेज बनाने और लॉजिस्टिक्स लागत एवं अनुपालन लागत को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे निश्चित रूप से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इस बजट में सूचीबद्ध मदों में से कई मदों पर सीमा शुल्क को कम करने का उद्देश्य कच्चे माल और आदानों की कीमतों को कम करना था, इस प्रकार घरेलू उत्पादन को और अधिक लागत प्रभावी बनाना था। व्यापार और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमने इस वित्त विधेयक में चमड़ा और वस्त्र क्षेत्रों जैसे श्रम प्रधान उद्योगों के लिए कतिपय आदानों पर दरों में कटौती का प्रस्ताव किया है। इससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और शुल्क व्युत्क्रम संबंधी मुद्दों का समाधान होगा जो वस्त्र क्षेत्रों में प्रचलित हैं।

हमने 27 महत्वपूर्ण खनिजों, जो इस देश की सामरिक स्वायत्तता के लिए आवश्यक हैं और बहुमूल्य धातुओं, सोने और चांदी पर शुल्क दरों को कम कर दिया है, क्योंकि भारत हीरों को तराशने और पालिश करने के सबसे बड़े केन्द्रों में से एक है और यह बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करता है। जलकृषि क्षेत्र और समुद्री उद्योग के लिए कतिपय आदानों पर शुल्क दर में कटौती भी की गई है, ताकि हम और अधिक समुद्री उत्पादों, विशेषकर श्रिम्प का निर्यात कर सके। मैंने यह भी घोषणा की है कि अगले छह महीनों के दौरान दर ढांचे की व्यापक समीक्षा की जाएगी और आशा है कि उस प्रक्रिया के अंत में हमारे पास समग्र रूप से हमारे देश के लिए अधिक सरलीकृत कर ढांचा होगा।

मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगी कि करदाताओं की सुविधा के लिए चार बड़े कदम उठाए गए हैं। यदि कोई आयकर दाता अपने रिटर्न दाखिल करने के लिए अपने पोर्टल पर जाता है, तो सत्यापित तीसरे पक्ष की जानकारी के आधार पर पहले से भरे हुए आयकर रिटर्न के द्वारा आय रिपोर्टिंग को तेज और आसान बना दिया गया है। दूसरी बात यह है कि मूल्यांकन और अपील की फेसलेस प्रणाली ने आईटी से

निर्धारण के मामले को फिर से खोलना और पुनर्मूल्यांकन करना सरल किया गया है। मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहती हूं कि कर निर्धारण के बाद मामले को केवल पांच साल तक खोला जा सकता है, लेकिन चौथे और पांचवें वर्ष के लिए, केवल तभी, जब अघोषित आय 50 लाख रुपये से अधिक हो। तलाशी के मामलों में कर निर्धारण की अवधि अब दस वर्ष से घटाकर केवल छह वर्ष कर दी गई है

संबंधित प्रमुख प्रक्रियाओं को स्वचालित कर दिया है और मानव इंटरफेस को कम कर दिया है। तीसरा, अब रिफंड कई महीनों के विपरीत कुछ दिनों के भीतर जारी किए जाते हैं। वर्ष 2024-25 के लिए 31 जुलाई, 2024 तक रिकॉर्ड 7.28 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए और पहली बार आयकर दाखिल करने वालों से 58.57 लाख आयकर रिटर्न प्राप्त हुए, जो करदाताओं की संख्या बढ़ने का संकेत देते हैं, जिसके लिए हमने लोगों को आकर्षित करने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। मुकदमा तंत्र भी एक ऐसी चीज है जिस पर हमने काफी ध्यान दिया है। कर निर्धारण के मामले को फिर से खोलना और पुनर्मूल्यांकन करना सरल किया गया है। मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहती हूं कि कर निर्धारण के बाद मामले को केवल पांच साल तक खोला जा सकता है, लेकिन चौथे और पांचवें वर्ष के लिए, केवल तभी, जब अघोषित आय 50 लाख रुपये से अधिक हो। तलाशी के मामलों में कर निर्धारण की अवधि अब दस वर्ष से घटाकर केवल छह वर्ष कर दी गई है। हम सभी लंबित अपीलों के निपटारे के लिए विवाद से विश्वास योजना लाए हैं। इसके अलावा, कर न्यायाधिकरणों या उच्च न्यायालयों या उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष कर, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपील दायर करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ा दी गई है। इससे मुकदमेबाजी कम होगी और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिलेगा।

टीडीएस दरों के यौक्तिकीकरण के संबंध में हमने इस बजट में टीडीएस दरों को पांच प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत करने, कोई अलग दर नहीं और धारा 194 एफ को समाप्त करने, जहां टीडीएस दर 20 प्रतिशत है, का प्रस्ताव किया है। इससे छोटे व्यवसाय के लिए नकदी प्रवाह के मुद्दों में सुधार होगा। हमने टीडीएस के देर से भुगतान को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है, अगर यह टीडीएस स्टेटमेंट दाखिल करने की समय सीमा से पहले किया जाता है। हमारे कर प्रस्तावों का उद्देश्य विकास को प्रेरित करना, रोजगार पैदा करना और निवेश लाना है। पोत परिवहन कंपनियों और खनन कंपनियों के लिए कुछ कदम उठाए गए है। अलग-अलग सांसदों ने ‘मिडिल क्लास पर टैक्स बोझ विषय पर बात की है। मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगी कि यह नैरेटिव कि कॉर्पोरेट कर व्यक्तिगत करों की तुलना में कम हैं, ठीक नहीं है। यह तथ्यों पर आधारित नहीं है। मैं केवल इस बात पर प्रकाश डालना चाहती हूं कि हमने लंबित अपीलों को निबटारे के लिए पिछले दो वर्षों में नए तंत्र बनाए हैं। कई सदस्यों द्वारा यह उल्लेख किया गया था कि आयकर कटौती को समाप्त कर दिया गया है, इसलिए मध्यम वर्ग घाटे में है। मैं केवल इस बात पर प्रकाश डालना चाहती हूं कि हमने जो नई कर व्यवस्था लागू की है वह सरल है, दरों में कम है। यह करदाता को लचीलापन भी देता है कि वह छूट के अभाव में अपना पैसा कहा रखना चाहता है, लेकिन पुरानी व्यवस्था को भंग नहीं किया गया है। यह अभी भी जारी है और अभी भी लोगों के लाभ के लिए उपलब्ध है। नई कर व्यवस्था वास्तव में लोगों को यह देखने में मदद कर रही है कि वे कम भुगतान कर रहे हैं, वे सरल प्रणाली के साथ लाभान्वित हो रहे हैं। मध्यम वर्ग को नुकसान हो रहा है यह सही तर्क नहीं है।

फिनटेक विकास के कारण लोगों में अधिक जागरूकता आयी है और निवेश में आसानी हो रही है। म्यूचुअल फंड में निवेश भी काफी बढ़ा है। माननीय सदस्यों के एक समूह की चिंता पूंजीगत लाभ कर के संबंध में थी कि यह अधिक है और यह कि इंडेक्सेशन को हटा दिया गया है। पूंजीगत लाभ के संबंध में बजटीय प्रस्ताव का तर्क यह है कि इसे मानकीकृत और सरलीकृत किया जाना चाहिए और सभी परिसंपत्ति वर्गों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए ताकि गणना, फाइलिंग और रिकार्ड रखने में आसानी हो। वर्तमान संशोधन जो हम ला रहे हैं वह 23 जुलाई, 2024 से पहले व्यक्तियों और एचयूएफ द्वारा अधिग्रहित भूमि और भवन संपत्ति के लिए है और यह निर्धारित करता है कि दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति के हस्तांतरण के मामले में, भूमि या भवन या दोनों, किसी व्यक्ति या एचयूएफ द्वारा जिसे 23 जुलाई, 2024 से पहले अधिग्रहित किया गया है, करदाता नई योजना के तहत, जो इंडेक्सेशन के बिना 12.5 प्रतिशत है और पुरानी योजना में इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत है, अपने करों की गणना कर सकता है और ऐसे कर का भुगतान कर सकता है जो दोनों में से कम है। रोलओवर प्रावधान भी मौजूद है यदि पूंजीगत लाभ राशि एक या दूसरी संपत्ति में भी निवेश की जाती है। आयकर अधिनियम के 54 ईसी के तहत अधिसूचित उन बॉन्डों या वस्तुओं में सालाना 50 लाख रुपये तक के निवेश का प्रावधान अब भी मौजूद है और यह मध्यम वर्ग को लाभान्वित करने के लिए है। कई सदस्यों ने हमें जीएसटी के संबंध में सुझाव दिए हैं, जिन पर निश्चित रूप से में परिषद् में चर्चा करूंगी क्योंकि अंतिम निर्णय परिषद् पर ही निर्भर है। कई वस्तुओं पर जीएसटी के संबंध में सुझाव आ रहे हैं। 2024-25 के वर्तमान बजट में सीटीएच 9802 अध्याय के दुरुपयोग को रोकने के लिए सीटीएच 9802 हेतु इस विशेष श्रेणी, बीसीडी को टेरिफ में 150 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। इसी प्रकार, किसी भी वस्तु के लिए बाउंड रेट डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित किया जाता है, लेकिन टैरिफ और अधिकतम दरें इस संसद द्वारा तय की जाती हैं। इसलिए, इस सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 के तहत टैरिफ दर का 160 प्रतिशत, जो एक सीमा के रूप में कार्य करता है, संसद द्वारा अनुमोदित होता है। पुनः, दुर्लभ खनिजों के आयात के संबंध में मेरा कहना है कि ये खनिज इस देश में उपलब्ध नहीं है। इसलिए, खान मंत्रालय का मानना है कि हमें इन्हें रियायती या शून्य प्रतिशत दरों पर प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसीलिए इसके सीमा शुल्क को कम कर दिया गया है। यह भी मांग की गई थी कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में राहत दी जाए। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मार्च, 2024 में ही देश भर में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है। पुनः उत्तर प्रदेश राज्य से सिंथेटिक मेन्थॉल पर जीएसटी दर बढ़ाने के लिए अनुरोध प्राप्त हुआ था ताकि इस देश में उत्पादित प्राकृतिक मेन्थॉल के मूल्यों को संरक्षण दिया जा सके। इस वित्त विधेयक में प्राकृतिक मेन्थॉल के लिए एक अलग एचएस कोड बनाने का प्रस्ताव है और इसलिए इसके बाद जीएसटी परिषद् इस मामले पर विचार कर अपना निर्णय ले सकती है। मेडिकल इंश्योरेंस के ऊपर जीएसटी लगाए जाने से पहले से ही हर स्टेट में प्री-जीएसटी टैक्स लगता था। 31वीं मीटिंग में फिर 37वीं मीटिंग में और इसके बाद 47वीं मीटिंग में भी इस पर चर्चा हुई। इस प्रकार जीएसटी काउंसिल में तीन बार इस पर चर्चा हुई है। स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी का प्रावधान है, जिसमें से 9 प्रतिशत राज्यों को और 9 प्रतिशत केन्द्र को जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि एक सौ रुपए जीएसटी में से 50 रुपए राज्य को तुरंत चला जाता है और केन्द्र को मिले शेष 50 रुपये में से भी 29 रुपए 55 पैसे राज्य को चले जातें है। यानी हर सौ रुपए में से 74 रुपए राज्य को चले जाते हैं।