‘आज भाजपा को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां परिवारवाद और वंशवाद की समस्या से ग्रस्त हैं’

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने 19 मई, 2022 को नई दिल्ली स्थित नेहरू ऑडिटोरियम में ‘वंशवादी राजनीतिक दलों से लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को खतरा’ विषय पर रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित किया और इसे समसामयिक एवं अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि परिवारवाद पर आधारित कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों का मुख्य उद्देश्य येन-केन प्रकारेण, सत्ता प्राप्त करना है और परिवारहित में सत्ता का दुरुपयोग करना है। उन्होंने कहा कि विचारधाराविहीन पार्टियों से भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन ‘वंशवादी राजनीतिक दलों’ से देश के लोकतंत्र को खतरा है क्योंकि हमारा देश सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस पार्टी में परिवार के अंदर ही अध्यक्ष पद के लिए चल रहे खींचतान पर तंज कसते हुए श्री नड्डा ने कहा कि इस प्रकार की पार्टी में लंबे समय से एक ही आदमी अध्यक्ष बना रहता है। वंशवादी पार्टी में परिवारहित प्राथमिक होता है। वहां पर पार्टी का आतंरिक चुनाव भी फर्जी और एक तरह से महज दिखावा होता है। यदि परिवार के पक्ष में चुनाव है तो चुनाव करा लेंगे और नहीं है तो नहीं कराएंगे। ऐसी पार्टियां लोकतंत्र में अलोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी के रूप में काम करती हैं।

कांग्रेस सहित देश के अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियों में परिवारवाद के वर्चस्व पर चिंता जाहिर करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि आज भाजपा को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां परिवारवाद और वंशवाद की समस्या से ग्रस्त हैं। तमिलनाडु से लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक लगभग सभी राजनीतिक दल वंशवाद आधारित दल के रूप में काम कर रहे हैं। वहां न तो विधायकों की भूमिका है, न सांसदों की और न ही किसी मंत्रियों की। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, बिहार में आरजेडी, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, तमिलनाडु में डीएमके, तेलंगाना में टीआरएस, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा— इन पार्टियों का कोई लक्ष्य नहीं है।

लोकतंत्र पर मंडराते खतरे की ओर ध्यान दिलाते हुए श्री नड्डा ने कहा कि इन पार्टियों के बारे विस्तार से बताने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि 18 करोड़ सदस्यों वाली भाजपा किस तरह की पार्टियों से लड़ रही है। भाजपा आज वंशवाद पर चलने वाली पार्टियों से लड़ रही है जिसके पास न तो विकास का विजन है और न ही कोई नीति। भाजपा इस अवधारणा पर चलती है कि केंद्र मजबूत होना चाहिए, लेकिन क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी समुचित जगह मिलनी चाहिए और राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति में उनका समावेश होना चाहिए।