हमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘कैन डू, विल डू’ की भावना से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना होगा : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 जनवरी को इंडिया गेट पर ‘नेताजी’ सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। यह होलोग्राम प्रतिमा नेताजी की ग्रेनाइट प्रतिमा तैयार होने तक रहेगी। ‘नेताजी’ सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को लेकर सालभर चलने वाले उत्सव के तहत उसी स्थान पर प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा।

श्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर भारत मां के वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की धरती पर पहली स्वतंत्र सरकार की स्थापना करने वाले हमारे नेताजी, जिन्होंने हमारे भीतर एक संप्रभु और मजबूत भारत का विश्वास जगाया, की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट के पास डिजिटल रूप में स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा आजादी के महानायक को कृतज्ञ राष्ट्र की श्रद्धांजलि होगी। यह प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं, हमारी पीढ़ियों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराएगी।

श्री मोदी ने नेताजी का संदेश दोहराया कि ‘कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया में कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।’ उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आजादी के 100वें साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है।

श्री मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तियों के योगदान को मिटाने का काम किया गया।

श्री मोदी ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में लाखों देशवासियों की ‘तपस्या’ शामिल थी, लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिश की गई, लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है।

अतीत की गलतियों को सुधारने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थों को देश उनकी गरिमा के अनुरूप विकसित कर रहा है, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल के यशगान की तीर्थ बन गई है, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई, आदिवासी समाज के योगदान और इतिहास को सामने लाने के लिए जनजातीय संग्रहालय बनाए जा रहे हैं, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा अंडमान में तिरंगा लहराने की 75वीं वर्षगांठ पर अंडमान के एक द्वीप का नामकरण उनके नाम पर किया गया और अंडमान में एक विशेष संकल्प स्मारक नेताजी और आईएनए के सम्मान में समर्पित किया गया।

अगर नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं सकती थी। हमें नेताजी सुभाष की ‘कैन डू, विल डू’ की भावना से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है

श्री मोदी ने पिछले साल पराक्रम दिवस के अवसर पर कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास की अपनी यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि वह 21 अक्टूबर, 2018 के उस दिन को भी नहीं भूल सकते, जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे। उन्होंने कहा कि लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की टोपी पहनकर तिरंगा फहराया था। वह पल अद्भुत, अविस्मरणीय था।
श्री मोदी ने कहा कि अगर नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं सकती थी। हमें नेताजी सुभाष की ‘कैन डू, विल डू’ की भावना से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है।

प्रधानमंत्री ने अलंकरण समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार प्रदान किए। यह पुरस्कार केंद्र सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों के अमूल्य योगदान और नि:स्वार्थ सेवा को मान्यता देते हुए उन्हें सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया है।

नेताजी की प्रतिमा पराक्रम, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा देगी : अमित शाह

नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा के अनावरण के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज नेताजी का 125वां जन्मदिन है और कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है। आज इस पराक्रम दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए मोदी जी ने ये भी निर्णय लिया है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में गणतंत्र दिवस की शुरुआत भी 23 जनवरी से की जाएगी।
श्री शाह ने कहा कि नेताजी के 125वें जन्मदिन को मनाने के हिस्से के रूप में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा लगाने का निर्णय भी देश के प्रधानमंत्री ने लिया है। नेताजी की प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को कई वर्षों तक पराक्रम, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा देगी क्योंकि ये सिर्फ़ ग्रेनाइट से बनी हुई प्रतिमा नहीं होगी, बल्कि देश के करोड़ों लोगों के मन में नेताजी के लिए भाव की अभिव्यक्ति होगी। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने अपने पूरे जीवन का सुख त्याग करते हुए लगभग 35,000 किलोमीटर की यात्रा कार से या पनडुब्बी से की। कलकत्ता से बर्लिन के रास्ते जापान तक की यात्रा भारत को आज़ाद करने का नेताजी का पुरुषार्थ और एक भव्य प्रयास था और यह प्रतिमा इसका प्रतीक होगी।

उन्होंने कहा जब तक यह प्रतिमा लगेगी तब तक होलोग्राम से हम यहां नेताजी की प्रतिमा की प्रतिकृति देखेंगे। श्री शाह ने कहा कि आज देश के करोड़ों लोगों के मन को शांति मिलेगी कि नेताजी का जिस प्रकार का योगदान देश के आज़ादी संघर्ष में रहा उसका सम्मान करने का काम देश के प्रधानमंत्री जी ने इतने सालों के बाद किया है और यह प्रतिमा इसका प्रतीक बनकर रहेगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘दिल्ली चलो’ का नारा आज भी युवाओं को चेतना और ऊर्जा प्रदान करता है। नेताजी के संघर्ष की गाथाएं आज भी युवाओं को भारत के पुनर्निर्माण के साथ जोड़ती हैं और उनके व्यक्तित्व से आने वाले दिनों में कई युवा प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि कई सालों तक देश की आज़ादी के संघर्ष में जिन्होंने बड़ा पराक्रम दिखाया और योगदान दिया, उनके नाम को भुलाने का प्रयास किया गया। आज आज़ादी के अमृत वर्ष के दौरान नेताजी की प्रतिमा लगाने का जो फ़ैसला किया गया है, इससे पूरा देश संतोष और उत्साह का अनुभव कर रहा है।

28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है होलोग्राम प्रतिमा

होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है। इस प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90% पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह आगंतुकों को नजर नहीं आ रही है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि हर साल नेताजी की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाएगी। इसी उत्कृष्ट भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत एक दिन पहले यानी 23 जनवरी से की जाएगी।