भारत और यूएई के बीच रुपे घरेलू कार्ड स्कीम समझौता

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नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) ने संयुक्त अरब अमीरात में घरेलू कार्ड स्कीम (डीसीएस) के कार्यान्वयन के लिए अल एतिहाद पेमेंट्स (एईपी) के साथ एक कार्यनीतिक साझेदारी समझौता किया। एईपी सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई (सीबीयूएई) की एक अप्रत्यक्ष सहायक कंपनी है।

समझौते के अनुसार एनआईपीएल और एईपी यूएई की राष्ट्रीय घरेलू कार्ड योजना के निर्माण, कार्यान्वयन और प्रचालन के लिए मिलकर काम करेंगे। डीसीएस का लक्ष्य यूएई में ई-कॉमर्स और डिजिटल लेनदेन के विकास को सुविधाजनक बनाना, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, यूएई के डिजिटलीकरण एजेंडा की सहायता करना, वैकल्पिक भुगतान विकल्पों को बढ़ाना, भुगतान की लागत को कम करना और वैश्विक स्तर पर यूएई की प्रतिस्पर्धात्मकता और वैश्विक पेमेंट लीडर के रूप में स्थिति को बढ़ाना है।

यह साझेदारी अन्य देशों को किफायती और सुरक्षित भुगतान प्रणाली स्थापित करने में सहायता करने के लिए अपने ज्ञान और विशेषज्ञता की पेशकश करने के एनआईपीएल के मिशन के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

डीसीएस सॉल्यूशन संप्रभुता, बाजार की गति, नवोन्मेषण, डिजिटलीकरण और कार्यनीतिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित है। एनआईपीएल द्वारा प्रदान किए गए डीसीएस सॉल्यूशन में रुपे स्टैक और धोखाधड़ी निगरानी सेवाओं और विश्लेषण जैसी मूल्यवर्धित सेवाएं शामिल हैं। एनआईपीएल एईपी को उनकी घरेलू कार्ड योजना के लिए प्रचालन नियम तैयार करने में भी सहायता करेगा।

रुपे भारत में एक स्वदेशी, अत्यधिक सुरक्षित और व्यापक रूप से स्वीकृत कार्ड पेमेंट नेटवर्क है। रुपे कार्ड में डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड सुविधाएं हैं। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा पांच अक्टूबर को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार वर्तमान में 750 मिलियन से अधिक रुपे कार्ड प्रचलन में हैं। भारत में जारी किए गए कुल कार्डों में से 60 प्रतिशत से अधिक रुपे कार्ड हैं, अब हर दूसरे भारतीय के पास रुपे कार्ड है। ये कार्ड सार्वजनिक क्षेत्र, निजी और छोटे बैंकों सहित संपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र के माध्यम से जारी किए जाते हैं।

भारत का विश्व प्रसिद्ध डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) भुगतान क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव ला रहा है। डीपीआई ढांचे में डिजिटल पहचान, डिजिटल भुगतान और डिजिटल डेटा विनिमय शामिल हैं; इन तीनों का संयोजन भारत में फिनटेक क्रांति के पीछे की शक्ति है। सरल शब्दों में भारत में लगभग हर वयस्क की बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच है, खुद को दूर से प्रमाणित करने का एक तरीका (आधार के माध्यम से) और कुशल तथा किफायती मोबाइल कनेक्टिविटी के माध्यम से इंटरनेट तक पहुंच है।

इन कारकों का संयोजन भारत को तेजी से सामने आने वाले यूनिकॉर्न के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक इकोसिस्टम बनाता है। भारत में पिछले पांच वर्षों में डिजिटल लेनदेन में भाग लेने वाले ग्राहकों में 367 प्रतिशत की अत्यधिक तेज वृद्धि देखी गई है, जिसका सक्रिय ग्राहक आधार 340 मिलियन से अधिक है।