दीनदयाल उपाध्याय

जनतंत्र और राजनीतिक दल

 -दीनदयाल उपाध्याय अधिकांश भारतीय जनता जनतांत्रिक जीवन की आकांक्षी है; किंतु इधर अनेक एशियाई देशों म...

समाजवाद और लोकतंत्र

दीनदयाल उपाध्याय यद्यपि भारत में समाजवादी विचार और समाजवादी पार्टियां उस समय से ही विद्यमान हैं, जब...

समृद्धि की मर्यादा

दीनदयाल उपाध्याय भविष्य पुराण में लिखा है कि यह समाज एक ही पिता, प्रजापति, ब्रह्मा या विराट् ने बनाय...

समृद्धि की मर्यादा

दीनदयाल उपाध्याय केवल अंग्रेजों के जाने मात्र से हम स्वतंत्र हो गए, यह समझना पर्याप्त नहीं होगा तो स...

जनसंघ ही क्यों ?

दीनदयाल उपाध्याय अपना देश आज अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। राष्ट्र जीवन का ऐसा कोई क्षेत...

हमारी सांस्कृतिक एकता

दीनदयाल उपाध्याय वेदों के रचयिता ऋषियों से लेकर आज तक के समस्त आचार्यों ने राष्ट्र का गुणगान किया। स...